वन नेशन वन राशन कार्ड योजना क्या है? इसका क्या महत्त्व है और इसके समक्ष क्या-क्या चुनौतियाँ हैं?

By कमलेश पांडे | Jan 25, 2023

वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना केंद्र में सत्तारूढ़ नरेंद्र मोदी सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत कोई भी जरूरतमंद राशनकार्ड धारक व्यक्ति देश के किसी भी हिस्से में स्थित सरकारी जनवितरण प्रणाली की दुकानों पर अपना कार्ड दिखाकर अपने हिस्से का सरकारी राशन उठा सकता है। बता दें कि यह योजना  प्रवासी श्रमिकों के खाद्यान्न जरूरतों की पूर्ति और उनके आर्थिक हितों की रक्षा करने के लिए लाई गई है। हालांकि इसका फायदा अन्य लोग भी उठा सकते हैं और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत देश के किसी भी हिस्से में अवस्थित उचित मूल्य की दुकान से सस्ता खाद्यान्न खरीद सकते हैं। 


# देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक लागू है ओएनओआरसी योजना


बता दें कि गत वर्ष असम सरकार द्वारा वन नेशन वन राशन कार्ड (ओएनओआरसी) योजना को लागू कर देने के साथ ही ओएनओआरसी कार्यक्रम को देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है, जिससे पूरे देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। वहीं इस  योजना का अधिकतम लाभ उठाने के लिये सरकार ने 'मेरा राशन' नामक एक मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू किया है। जिस पर लाभार्थियों को उपयोगी रीयल-टाइम जानकारी प्रदान किया जा रहा है, जो 13 भाषाओं में उपलब्ध है। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के पिछले दो वर्षों के दौरान, ओएनओआरसी योजना ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के लाभार्थियों, विशेष रूप से प्रवासी लाभार्थियों को रियायती खाद्यान्न सुनिश्चित कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


# ओएनओआरसी का कार्यान्वयन अगस्त 2019 में किया गया था शुरू और 2022 तक पूरे देश में हुआ लागू


सनद रहे कि ओएनओआरसी योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लागू की जा रही है। जिसके तहत प्रवासी राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एमएनएफएसए), 2013 के लाभार्थी देश में कहीं भी अपनी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से अपने हिस्से के खाद्यान्न कोटे की खरीद कर सकते हैं। यह प्रणाली उनके परिवार के सदस्यों को घर पर यदि कोई हो तो उसे राशन कार्ड पर शेष खाद्यान्न का दावा करने की अनुमति देती है। बता दें कि ओएनओआरसी का कार्यान्वयन अगस्त 2019 में शुरू किया गया था। वहीं, 2022 में असम प्रान्त, जो देश का 36 वां राज्य था, में यह योजना लागू हो चुकी है। इसी के साथ यह योजना पूरे देश में लागू हो चुकी है।


# ये है ओएनओआरसी का उद्देश्य


सभी एनएफएसए लाभार्थियों को उनके मौजूदा राशन कार्डों की सुवाह्यता के माध्यम से देश में कहीं भी उनकी खाद्य सुरक्षा के लिये आत्मनिर्भर बनने हेतु सशक्त बनाना है। इसके साथ ही उनकी पसंद के किसी भी उचित मूल्य की दुकान से उनके हकदार सब्सिडी वाले खाद्यान्न (आंशिक या पूर्ण) को निर्बाध रूप से उठाना है। इसके अलावा परिवार के सदस्यों को अपनी पसंद के उचित दर दुकान से अपने मूल स्थान/किसी भी स्थान पर उसी राशन कार्ड पर शेष/आवश्यक मात्रा में खाद्यान्न उठाने में सक्षम बनाना है।


# ये है ओएनओआरसी का महत्त्व


पहला, यह भोजन के अधिकार को सक्षम करता है। कहने का आशय यह कि पूर्व में राशन कार्डधारक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न की अपनी पात्रता का लाभ केवल संबंधित राज्य के अंदर निर्दिष्ट उचित मूल्य की दुकान (एफपीएस) से ही प्राप्त कर सकते थे। वहीं, यदि कोई लाभार्थी किसी दूसरे राज्य में प्रवास या पलायन करता है तो उसे उस दूसरे राज्य में नए राशन कार्ड के लिये आवेदन करना होता था, लेकिन ओएनओआरसी ने सामाजिक न्याय के लिये इस भौगोलिक बाधा को दूर करने और भोजन के अधिकार को सक्षम करने की परिकल्पना करता है और उसकी डिलीवरी हर जगह सुनिश्चित करता है। 


दूसरा, इससे आबादी के लगभग एक-तिहाई भाग को समर्थन मिलता है। कहने का अभिप्राय यह कि हमारे देश की लगभग 37 प्रतिशत आबादी प्रवासी श्रमिकों की है। इसलिये यह योजना उन सभी लोगों के लिये महत्त्वपूर्ण है जो रोज़गार आदि कारणों से एक स्थान से दूसरे स्थान की ओर पलायन कर जाते हैं।


तीसरा, इससे रिसाव कम होगा। कहने का तातपर्य यह कि ओएनओआरसी रिसाव या लीकेज को कम कर सकता है, क्योंकि इस योजना की पूर्व शर्त नकली/डुप्लिकेट राशन कार्डों की पहचान करना या डी-डुप्लीकेशन है। वहीं, इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही व्यक्ति देश के दो अलग-अलग स्थानों में लाभार्थी के रूप में चिह्नित नहीं है। इसके अलावा, यह योजना आधार और बायोमेट्रिक्स से लिंक्ड है जो भ्रष्टाचार की अधिकांश संभावनाओं को दूर करती है और पारदर्शिता लाती है। 


चतुर्थ, इससे सामाजिक भेदभाव को कम करने में मदद मिलेगी। कहने का मतलब यह कि ओएनओआरसी महिलाओं और अन्य वंचित समूहों के लिये विशेष रूप से लाभप्रद होगा। क्योंकि पीडीएस तक पहुँच प्रदान करने में सामाजिक पहचान (जाति, वर्ग और लिंग) और अन्य प्रासंगिक घटकों (शक्ति संबंधों सहित) को पर्याप्त महत्त्व दिया गया है। 


# ये है ओएनओआरसी से संबद्ध चुनौतियाँ


पहला, अपवर्जन त्रुटि यानी कि आधार से लिंक्ड राशन कार्ड और स्मार्ट कार्ड के माध्यम से इस पीडीएस प्रक्रिया के डिजिटलीकरण को लीकेज कम करने के प्रयास के तहत आगे बढ़ाया गया है। हालाँकि आधार-सीडिंग के बाद भी अपवर्जन त्रुटियों (एक्सक्लूशन एरर) में वृद्धि हुई है। क्योंकि समाज के कई वर्ग ऐसे हैं जिनके पास अभी भी आधार कार्ड नहीं है और इस कारण वे खाद्य सुरक्षा से वंचित हो रहे हैं। 


दूसरा, अधिवास-आधारित सामाजिक क्षेत्र योजनाएँ यानी कि न केवल पीडीएस बल्कि निर्धनता उन्मूलन, ग्रामीण रोज़गार, कल्याण और खाद्य सुरक्षा संबंधी अधिकांश योजनाएँ ऐतिहासिक रूप से अधिवास-आधारित पहुँच पर आधारित रही हैं और सरकारी सामाजिक सुरक्षा, कल्याण और खाद्य अधिकारों तक लोगों की पहुँच को उनके मूल स्थान या अधिवास स्थान तक के लिये सीमित रखती हैं। 

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तीसरा, एफपीएस पर आपूर्ति बाधित करना यानी कि किसी एफपीएस को प्राप्त उत्पादों का मासिक कोटा कठोरता से उससे संबद्ध लोगों की संख्या के अनुसार सीमित रखा गया है। वहीं, ओएनओआरसी जब पूर्णरूपेण कार्यान्वित होगा तब इस अभ्यास को समाप्त कर देगा, क्योंकि कुछ एफपीएस को नए लोगों के आगमन के कारण अधिक संख्या में कार्डधारकों को सेवा देनी होगी, जबकि कुछ अन्य एफपीएस लोगों के पलायन के कारण निर्धारित कोटे से कम लोगों को सेवा देंगे। 


# ये है ओएनओआरसी योजना का अब तक का प्रदर्शन


यह देश में अपनी तरह का एक नागरिक केंद्रित पहल है, जिसे अगस्त 2019 में शुरू किये जाने के बाद, लगभग 80 करोड़ लाभार्थियों को कवर करते हुए कम समय में तेजी से लागू किया गया है। वर्ष 2019 के बाद से पोर्टेबिलिटी के माध्यम से खाद्य सब्सिडी में लगभग 40,000 करोड़ रुपए की खाद्यान्न पहुंचाने के लिये लगभग 71 करोड़ रुपए का पोर्टेबल लेन-देन हुआ है। वर्तमान में लगभग 3 करोड़ पोर्टेबल मासिक औसत लेन-देन दर्ज किया जा रहा है। वहीं, लाभार्थियों को किसी भी स्थान पर लचीलेपन के साथ सब्सिडी वाले एनएफएसए और मुफ्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) खाद्यान्न वितरित किया जा रहा है। 


 # ये है ओएनओआरसी योजना के आगे की राह


पहला, यदि आपात स्थिति में राशन की दुकानों पर आपूर्ति बाधित होती है, तो कमज़ोर समूहों को खाद्यान्न पहुंँचाने के लिये वैकल्पिक वितरण चैनलों पर विचार किया जा सकता है। 

दूसरा, खाद्य सुरक्षा को पोषण सुरक्षा के व्यापक ढांचे से देखा जाना चाहिये। इसलिये ओएनओपीसी को समेकित बाल विकास योजनाओं, मध्याह्न भोजन, टीकाकरण, स्वास्थ्य देखभाल और अन्य सुविधाओं की पोर्टेबिलिटी की अनुमति देनी चाहिये। 


तीसरा, लंबे समय में पीडीएस प्रणाली को फुल-प्रूफ फूड कूपन सिस्टम या प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है। 


चतुर्थ, गरीबी रेखा से नीचे का परिवार किसी भी किराना स्टोर से बाज़ार मूल्य पर चावल, दाल, चीनी और तेल कूपन के माध्यम से या नकद द्वारा पूरी तरह से भुगतान करके खरीद सकता है। 


पांचवां, केवल 'गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) की श्रेणी में आने वाले परिवार ही सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं। 


छठा, परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र की सबसे अधिक उम्र वाली महिला ही राशन कार्ड निर्गत किये जाने के प्रयोजन से परिवार का मुखिया होगी। 


सातवां, गर्भवती महिलाएँ एवं दुग्ध पिलाने वाली माताएँ, गर्भावस्था के दौरान और उसके छ: महीने बाद तक प्रतिदिन 1600 कैलोरी वाला राशन घर ले जाने की हकदार हैं। 


आठवां, सार्वजनिक वितरण प्रणाली और लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (टीपीडीएस) के माध्यम से सरकार द्वारा खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को स्थापित किया गया है। 


नवम, 5 जुलाई, 2013 को अधिनियमित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) ने खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण में कल्याण से अधिकार आधारित दृष्टिकोण में बदलाव को चिह्नित किया है। 


# राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए), 2013 की मुख्य विशेषताएं


पहला, 75 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी आबादी को टीपीडीएस के तहत प्रति माह 5 किलोग्राम प्रति व्यक्ति की समान पात्रता के साथ कवर किया जाएगा। 


दूसरा, गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं और 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजनाओं के तहत निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे। 


तीसरा, 6 वर्ष तक के कुपोषित बच्चों के लिये उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किये गए हैं।


चतुर्थ, गर्भवती महिलाएं और स्तनपान कराने वाली माताएं भी कम से कम 6,000 रुपए का मातृत्व लाभ पाने की हकदार होंगी। 


पांचवां, एनएफएसए के कार्यान्वयन से पहले राज्य सरकारों द्वारा मुख्य रूप से तीन प्रकार के राशन कार्ड जारी किये जाते थे, जैसे कि गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल), गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) और अंत्योदय (एएवाई) राशन कार्ड अलग-अलग रंगों से अलग होते हैं। एनएफएसए, 2013 के अनुसार, एपीएल और बीपीएल समूहों को दो श्रेणियों में फिर से वर्गीकृत किया गया है- गैर-प्राथमिकता और प्राथमिकता। 


छठा, राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से परिवार की 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की सबसे बड़ी महिला को घर की मुखिया होना चाहिये।


सातवां, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को 600 कैलोरी ऊर्जा और प्रति दिन 18-20 ग्राम प्रोटीन के पूरक आहार के रूप में माइक्रोन्यूट्रिएंट फोर्टिफाइड फूड और/या एनर्जी डेंस फूड के रूप में राशन प्राप्त करने की हकदार हैं।


स्पष्ट है कि इस योजना से पूरे देश के लोगों को लाभ मिलेगा। इससे पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को भी बल मिलेगा।


- कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार

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