क्या है वो नेशनल हेराल्ड केस, जिसमें सोनिया-राहुल को हो सकती है जेल

By अभिनय आकाश | Apr 16, 2025

ईडी के एक एक्सन के बाद कांग्रेस अब तक की सबसे बड़ी मुसीबत में फंसती हुई दिख रही है। प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ ही सैम पित्रोदा और सुमन दुबे के खिलाफ पहली चार्जशीट दाखिल कर दी है। ये नेशनल हेराल्ड वही केस है जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी को जमानत मिली हुई है और जिसको लेकर बीजेपी हमेशा कहती आई है कि ये लोग तो बेल पर बाहर घूम रहे हैं। ऐसे में आपको आज विस्तार से बताते हैं नेशनल हेराल्ड की वो कहानी जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी मुख्य आरोपी बनाए गए हैं। 

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ईडी ने दायर की चार्जशीट

नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी। ईडी का आरोप है कि कांग्रेस नेताओं ने साजिश के तहत एसोसिएटेड जर्नल्स लि. (एजेएल) की 2,000 करोड़ की संपत्तियों पर कब्जे के लिए उसका अधिग्रहण निजी स्वामित्व वाली कंपनी 'यंग इंडियन' के जरिए केवल 50 लाख रुपया में कर लिया। इस कंपनी के 76% शेयर सोनिया और राहुल के पास हैं। इस मामले में 'अपराध से अर्जित आय' 988 करोड़ रुपया की मानी गई। साथ ही संबद्ध संपत्तियों का बाजार मूल्य 5,000 करोड़ रु. बताया गया है। 

नेशनल हेराल्ड क्या है? 

अंग्रेजी अखबार, स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने की। स्वामित्व एजेएल के पास था, जो नवजीवन (हिंदी), कौमी आवाज' (उर्दू) निकालता था। 

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एजेएल ने कर्ज क्यों लिया

एजेएल पर साल 2008 तक 90 करोड़ रुपए का कर्ज हो गया। इसका प्रकाशन बंद हो गया। कांग्रेस ने 2002 से 2011 के बीच एजेएल को 90 करोड़ रुपए की राशि ऋण के रूप में दी थी। 

अधिग्रहण क्यों किया था? 

2010 में यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) नाम से गैर-व्यावसायिक कंपनी बनी, जिसकी 76% हिस्सेदारी सोनिया व राहुल के पास थी। शेष 24% मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नाडीज, दुबे व पित्रोदा के पास थी। 'यंग इंडियन' ने 50 लाख में एजेएल का अधिग्रहण किया। इससे एजेएल की 99% हिस्सेदारी मिल गई। 

यह केस कैसे दर्ज हुआ? 

2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने कोर्ट में शिकायत की। आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं ने एजेएल का अधिग्रहण वाईआईएल से किया। इसमें नेशनल हेराल्ड की संपत्तियों का दुरुपयोग हुआ। 

पहली बार निजी शिकायत पर ईडी जांच

यह संभवतः पहला केस है जिसमें ईडी की कार्रवाई निचली कोर्ट द्वारा निजी शिकायत पर संज्ञान लेने और आरोपियों को समन जारी करने पर शुरू हुई। अब विशेष अदालत बार्जशीट पर संज्ञान लेते समय 'प्राथमिक अपराध' से जुड़े कानूनी बिंदुओं पर भी विचार कर सकती है। 

नया वारंट जारी होने तक जमानत पर संकट नहीं है 

कोर्ट चार्जशीट पर संज्ञान लेता है तो औपचारिक रूप से आरोपी घोषित किया जाएगा इसके बाद ट्रायल की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष को कोर्ट के समक्ष अपने-अपने साक्ष्य और तर्क प्रस्तुत करने होंगे। कोर्ट तय करेगा कि जब्त की गई संपत्तियों पर सरकार का स्थायी नियंत्रण हो या नहीं?  सोनिया और राहुल को कोर्ट ने दिसंबर 2015 में जमानत दी थी। जब तक कोर्ट नया गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं करता है, जमानत पर तत्काल संकट नहीं। भविष्य में अदालत के निर्णयों के आधार पर इसमें परिवर्तन संभव है।  

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