By अभिनय आकाश | May 23, 2022
दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनने की होड़ में अमेरिका और चीन के बीच सियासी खेल चल रहा है। चीन के बढ़ते दबदबे पर लगाम के लिए क्वाड देशों की बैठक बुलाई गई और जापान जिसका मेजबान देश बना। टोक्यो में आज इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क को लॉन्च किया गया। भारत, अमेरिका, जापान समेत कुल तेरह देश इसमें शामिल हो रहे हैं। हिंद प्रशांत में व्यापारिक साझेदारी भी बढ़ेगी। आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर से चीन के वर्चस्व को चैलेंज करने का मंतव्य है।
कौन-कौन देश सदस्य
भारत, जापान, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, इंडोनेशिया, ब्रुनेई, साउथ कोरिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम।
बाइडेन की दिमाग की उपज
इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क जो बाइडेन के दिमाग की उपज है। बाइडन ने सबसे पहले अक्टूबर 2021 में ईस्ट एशिया समिट में इंडो-पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क की बात कही थी। अमेरिका इस वक्त भारत की तरफ बेहद ही आशा भरी निगाहों से देख रहा है। इंडो पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क को लेकर बयान देते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि हम इंडो पैसिफिक क्षेत्र को बैलेंस करना चाहते हैं।
पीएम मोदी ने इंडो-पैसिफिक फ्रेमवर्क के बताए 3 स्तंभ
इस इनिशिएटिव के जरिए अमेरिका क्लीन एनर्जी, डिकार्बनाइजेशन, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सप्लाई चेन में सुधार जैसे साझा हित के मुद्दों पर एशिया के देशों के साथ पार्टनरशिप करेगा। ऐेसे में देखना होगा कि सप्लाई चेन से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक किस हद तक चीन पर निर्भरता को किस हद तक कम कर पाते हैं। वहीं भारत के प्रधानमंत्री की तरफ से एक महत्वपूर्ण बात रेखांकित की गई कि आप सप्लाई चेन बना तो देते हैं। इसमें लोग जुड़ भी जाते हैं। लेकिन इसमें ट्रस्ट, ट्रांसप्रेसी, टाइमलीनेस किसी बात की भी कमी रही तो ये सप्लाई चेन मॉडल ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है।