'जब खराब सेहत से जूझ रहा था तो कुछ लोग पार्टी बर्बाद करने निकले', भाजपा पर बरसे उद्धव ठाकरे, पढ़ें इंटरव्यू की मुख्य बातें

By प्रेस विज्ञप्ति | Jul 26, 2022

महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार गिरने के तकरीबन 26 दिन बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने एक साक्षात्कार में एकनाथ शिंदे पर जमकर हमला बोला। ऐसे में पढ़ें उद्धव ठाकरे ने साक्षात्कार में क्या कुछ कहा। चिंता मुझे अपनी नहीं ना ही शिवसेना की है। लेकिन मराठी मानुस और हिंदुत्व की है। मराठी मानुस की एकजुटता तोड़ने की, हिंदुत्व में फूट करने की कोशिश हो रही है। जो मेहनत बाला साहेब ने ज़िन्दगी भर की, मराठियों को एकजुट करने की , हिन्दुओं को एकजुट करने की उसे अपने खुद के कुछ कपटी लोग द्वारा तोड़ने की मोड़ने की कोशिश की जा रही है, उसकी चिंता है। मैं कहता हूं कि पुराने पाला छोड़ने का काम ज़ारी है। जो पत्ते उड़ने की गरज है वह उड़ गए। सड़े गले पत्ते गिर रहे हैं। जिस पेड़ ने उसे रस दिया, सब दिया उससे सड़ के अलग हो रहे हैं। लेकिन इसके बाद नए पत्तो का कुम फूटेगा।

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वर्षा बंगलो से मातोश्री आया तो रिलैक्स हूं। मातोश्री मेरा असली घर है।

मेरा ऑपरेशन हुआ था, गर्दन का। गर्दन का ऑपरेशन काफी नाज़ुक और जोखिम भरा होता है। में अपनी तबियत से जूझ रहा था। मैं अपनी गर्दन से नीचे के हिस्सों को भी हिला नहीं सकता था। पेट भी हिला नहीं पा रहा था। ब्लड क्लॉट भी हुआ था। गोल्डन ऑवर में मेरा ऑपरेशन हुआ इसलिए आपके सामने बैठा हूं। इस दौर में कुछ लोग मेरे जल्दी स्वस्थ होने की कामना कर रहे थे, तो कुछ लोग ऐसे भी थे की मैं ज़िन्दगी भर ऐसा ही रहूं, इसकी प्राथना कर रहे थे। यही लोग आज पार्टी बर्बाद करने निकले हैं। मेरे बारे में इन लोगों द्वारा अफवा फैलाई जा रही थी कि अब यह खड़ा नहीं होगा तो तुम्हारा क्या होगा। जिस वक़्त पार्टी संभालने का वक़्त था, उस वक़्त इनकी हलचल तेज़ थी। आपको दो नंबर की पोस्ट दी, आप पर अंधा विश्वास किया ऐसे में विश्वासघात किया गया। जब मेरी हलचल बंद थी तो इनकी तेज़ थी।

जो आज हमने हिंदुत्व छोड़ दिया ऐसा उडी मार रहे है, उनसे पूछना है की साल 2014 में जब बीजेपी ने युति तोड़ी थी , तो हमने हिंदुत्व छोड़ा था क्या। आज भी नहीं छोड़ा है। 2014 में शिवसेना अकेली चुनाव लड़ी थी और 63 सीटे जीतकर आई थी। थोड़े दिनों के लिए विरोध में भी बैठी थी , तभी भी विरोधी पद के नेता का पोस्ट दिया था। बीजेपी ने अभी जो किया , उस वक़्त करती तो सम्मान से साथ होती। भारत भ्रमण की ज़रूरत नहीं पड़ती। मैंने कही पढ़ा की इसके लिए हज़ारो करोड़ खर्च हुए, विमान के , होटल के और बाकी चीज़ो के, वह सब फुकट में होता। लेकिन इन्हे शिवसेना को खत्म करना है। शिवसेना प्रमुख हिंदुत्व के लिए राजकरण करते है और यह लोग राजकरण के लिए हिंदुत्व करते है, यह फर्क है इनमें और हम में।

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मुझे एक वाक्य ऐसा बताइए, या ऐसी घटना बताये या मेरे मुख्यमंत्री होते हुए ऐसा निर्णय जिससे हिंदुत्व खतरे में पड़ा हो। हम अयोध्या में महाराष्ट्र भवन बना रहे है। सीएम बनने से पहले में अयोध्या गया रामा लाला के दर्शन करने , सीएम रहते हुए भी गया। नवी मुंबई में तिरुपति मंदिर को जगह दी, पुराने प्राचीन मंदिर की मरम्मत कर रहे है। तो हिंदुत्व कैसे छोड़ा।

ठाणेकर जागरूक है। शिवसेना और ठाणेकर का जो रिश्ता है वह यह दल बदलू को तोड़ते नहीं आएगा। सभी जनता चुनाव का इन्तिज़ार कर रही है। इस घटना से मेरा ऐसा विचार है की ऐसा नियम लाना चाहिए, की चुनाव के वक़्त जो करार होते है युति में, उसकी सभी शर्ते जनता के सामने रखनी ज़रूरी होनी चाहिए। यदि हमने महा विकास आघाडी का जन्म करके गलती की , तो जनता हमे चुनाव में सबक सिकाएगी। जनता के कोर्ट में फैसला होगा।

मैंने जानकारों से बात की है , इन्हे किसी ना किसी से मर्ज होना पडेगा। मेरे पास से किसी ने माइक नहीं छीना था। महाविकास अगाडी में एक सभ्यता थी, सम्मान था, वह इनमें नहीं है। इनका बस प्लान है की शिवसेना को खत्म करना है। इन्हे ठाकरे और शिवसेना अलग करनी है जैसे गाँधी और कांग्रेस। मेरे पिता का पोस्टर लगाके वोट मत मांगो, खुद के पिताजी का फोटो के साथ वोट मांगो। मेरे बाप को क्यों चुराते हो।

मुझे देश के संविधान और कानून पर भरोसा है। हर जगह चोरी मारी होती है , में ऐसा नहीं मानता। मुझे सत्य मेव जयते में विश्वास है। नहीं तो इसके लिए दो भाग करने होंगे असत्मेव जयते और सत्ता मेव जयते।

चूक मेरी है, गुन्हा मेरा है। मैंने इन्हे परिवार समझा। इनपर विश्वास किया। यदि में इन्हे सीएम उस वक़्त की बनाता तो यह अलग क्या करते। लेकिन इनकी तो भूक ही नहीं मिट रही। सीएम भी चाहिए लेकिन अब शिवसेना प्रमुख भी बनना है। यह राखसेषी महत्वकांक्षा है।

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हम तुम एक कमरे में बंद हो, ऐसा इनका मंत्री मंडल है। इनका विस्तार कब होगा पता नहीं। और जब यह लोग मंत्री भी बन जाएंगे, लेकिन इनके माथे पर विश्वासघात का जो सिक्का है, वह मिटाते नहीं बनेगा।

शिवसेना की यह ताकत रही है की सामान्य को भी असामान्य देना। अभी वापस वह टाइम आया है, मैं अपने तमाम शिवसैनिक से अपील करता हु, वापस से सामान्य लोगों को असामान्य बनाना है। यह लोग भी सब सादे थे, लेकिन मेरी गलती थी, की इन्हे मैंने ताकत दी। इन्होने उस ताकत से ना सिर्फ उलटा वार किया बल्कि रामकरण में जिस माँ ने इनको जनम दिया उसी माँ को निगलने वाली यह औलादे है। लेकिन इनमें इतनी ताकत नहीं है क्यूंकि माँ माँ होती है।

जिस शिवसेना ने बाबरी गिराने की ज़िम्मेदारी ली। उसी शिवसेना को तुम कह रहे हो की हिंदुत्व छोड़ दिया। लेकिन जब महबूबा मुफ़्ती के साथ आप गए तब आपने क्या किया। तब तो आपने अपनी शर्म छोड़ दी। क्या महबूबा मुफ़्ती वन्दे मातरम बोलती है, भारत माता की जय बोलती है। सरकार बनी थी तो यही मुफ़्ती थे जिन्होंने पाकिस्तान का धन्यवाद किया था कश्मीर में चुनाव शांति से कराने के लिए। अभी बिहार में यह लोग नीतीश के साथ है, क्या नीतीश हिंदूवादी है। नीतीश ने एक बार तो संघ मुक्त भारत का नारा दिया था, हमने कभी ऐसा नारा नहीं दिया, हम तो राम मंदिर आंदोलन में भी शामिल रहे...

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