Chai Par Sameeksha: नीतीश कुमार को विधानसभा में सेक्स ज्ञान देने की जरूरत आखिर क्यों पड़ गयी?

By अंकित सिंह | Nov 14, 2023

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह बिहार के सीएम नीतीश कुमार के विवादित बयान और कर्नाटक बीजेपी की कमान बुकानाकेरे येदियुरप्पा राघवेंद्र को सौंपे जाने के मुद्दे पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन के अंदर जिस तरह की भाषा का प्रयोग किया वह सर्वथा अनुचित है। हालांकि विवाद होने के बाद उन्होंने अपने शब्दों को वापस ले लिया है लेकिन यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने ऐसी भाषा का उपयोग किया जोकि महिला गरिमा के खिलाफ है। यह सही है कि जनसंख्या नियंत्रण महत्वपूर्ण विषय है लेकिन इसके बारे में बात करते हुए मर्यादा की सीमा को नहीं लांघना चाहिए। मुख्यमंत्री के बयान के समय सदन में मौजूद महिला विधायक शर्मसार दिखीं और पुरुष विधायक ठहाका लगाते दिखे इस दृश्य ने समाज को झकझोर कर रख दिया है।


प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री से इस तरह की बयान की उम्मीद करना दुर्भाग्यपूर्ण है। नीतीश कुमार भाषाओं की समझ रखते हैं। उन्हें शालिन नेता माना जाता है। लेकिन ऐसा लगता है कि अब बिहार के मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। नीतीश कुमार ने जिस भाषा का प्रयोग किया, वैसी भाषा चौक चौपाल पर बैठे लोग भी नहीं बोलना चाहते। उन्होंने कहा नीतीश कुमार को कतई इस तरह की भाषा नहीं बोलनी चाहिए। हां, इसको लेकर समाज में जागरूकता फैलाने की जरूरत है। लेकिन नीतीश कुमार ने जो तरीका अपनाया है वह पूरी तरीके से गलत है। देश में किसी भी विधानसभा या संसद में कोई भी नेता ने इस तरह का बयान नहीं दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के बयान की वजह से बिहार की राजनीति में बहुत ज्यादा कुछ बदलने नहीं जा रहा है। रोज नए-नए मुद्दे आते हैं।

इसे भी पढ़ें: क्या Bihar में CM Nitish की राह चलने को मजबूर हुई BJP, चुनाव से पहले JDU-RJD के लिए जीत!

दुबे ने कहा कि इस बयान से ध्यान हटाने के लिए नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को लेकर बयान दे दिया। यह कहीं ना कहीं मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि जीतन राम मांझी उनकी कृपा से मुख्यमंत्री बने तो इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन आप किसी को ऐसा नहीं कह सकते हैं। आपने ही उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। आप अपने ही फैसले को गलत ठहरा रहे हैं। इसके साथ ही नीरज दुबे ने कहा के लोकतंत्र में किसी की कृपा नहीं चलती है। लोकतंत्र में सिर्फ और सिर्फ जनता की कृपा होती है और जनता जिसे चाहेगी उसे ही अपना आशिर्वाद देगी। जीतन राम मांझी की जमीनी पकड़ है। वह विधानसभा में चुनकर आते हैं। 


इसके अलावा प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि कर्नाटक  में परिवारवाद और भ्रष्टाचार कोई मुद्दा ही नहीं रह गया है। साथ ही वहां चुनाव दर चुनाव लिंगायत समुदाय यह जता चुकी है कि येदियुरप्पा परिवार के हाथ में कमान रहने पर ही भाजपा को वोट मिलेगा। इसीलिए पार्टी की कमान येदियुरप्पा के बेटे और विधायक बीवाई राघवेंद्र को सौंपी गयी है। नीरज दुबे ने सौफ तौर पर कहा कि ऐसा नहीं है कि परिवारवाद किसी एक पार्टी में मुद्दा है। हर पार्टी में कहीं ना कहीं परिवारवाद है। लेकिन वह परिवारवाद कितना हद तक है, इसको ध्यान देने की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा को विधानसभा चुनाव में भाजपा ने आगे रखा था लेकिन वह मुख्यमंत्री के चेहरा नहीं थे। ऐसे में भाजपा को नुकसान का सामना करना पड़ा। जब येदियुरप्पा को सीएम फेस बनाकर चुनाव लड़ा गया था तब भाजपा को फायदा हुआ था। ऐसे में भाजपा ने उनके बेटे पर ही दाव लगाया है ताकि लिंगायत समुदाय का वोट बैंक अपने पास सुरक्षित रख सके क्योंकि इस बार हुए चुनाव में लिंगायत समुदाय के वोट बीजेपी से दूर हुए थे जिससे उसे करारी हार का सामना करना पड़ा।

प्रमुख खबरें

Mandi के लिए पारिस्थितिकी-पर्यटन को बढ़ावा देना मेरी सर्वोच्च प्राथमिकता : Vikramaditya Singh

Rajasthan: पुलिस ने ट्रक से 3.50 करोड़ रुपये का मादक पदार्थ जब्त किया, चालक गिरफ्तार

BJP सरकार में भ्रष्टाचार चरम पर, 40 फीसदी तक कमीशन लिया जा रहा : Digvijay Singh

Pune luxury car हादसा : आरोपी नाबालिग के पिता और बार के खिलाफ होगा मामला दर्ज