By एकता | Jul 13, 2023
बॉलीवुड अभिनेता गजराज राव इन दिनों फिल्म 'सत्यप्रेम की कथा' में अपने अभिनय को लेकर सुर्खियों में बने हुए है। फिल्म में अभिनेता ने दमदार अभिनय किया है, जिसकी हर जगह जमकर तारीफ हो रही है। गजराज पिछले कुछ सालों से एक के बाद एक फिल्मों में नजर आ रहे हैं और अपने अभिनय से लोगों के दिलों पर छाप छोड़ रहे हैं। हालाँकि, अभिनेता का एक्टिंग करियर ग्राफ हमेशा से ऐसा नहीं था। किसी समय में, बेहतरीन अभिनेता होने के बावजूद उनके पास करने को कोई फिल्म नहीं थी। इसकी वजह से उन्हें कई बार भूखे सोना पड़ा। इतना ही नहीं संघर्ष के दिनों में उन्हें लोगों की गालियां तक सुननी पड़ी। इन सभी बातों का खुलासा गजराज ने हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में किया है।
वरुण दुग्गी के पॉडकास्ट में गजराज राव ने अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बात की। अभिनेता ने कहा, 'मैंने बहुत सारी नौकरियां की। मुझे सही दिशा में गाइड करने के लिए मेरे पास कोई सपोर्ट सिस्टम नहीं था। एक समय आर्थिक स्थिति बहुत कठिन थी। मेरे लिए अब यह कहना आसान है, लेकिन जब आपके पास भोजन नहीं होता है, तो आपके सारे सपने और कल्पनाएँ धरी की धरी रह जाती हैं। और उस समय परिवार का भरण-पोषण करना महत्वपूर्ण था।'
अभिनेता ने आगे कहा, 'मुझे अब वित्तीय सुरक्षा पसंद है, क्योंकि मैंने 25-30 वर्षों तक कड़ी मेहनत की है। मुझे महंगे फोन, यात्रा करना, अच्छे होटलों में रहना पसंद है, मुझे यह स्वीकार करने में कोई शर्म नहीं है। मैं 5 सितारा होटलों में रहने और बिजनेस क्लास में यात्रा करने के बारे में बुरा महसूस नहीं करना चाहता। मैं इसे अपने लिए चाहता हूं, और मैं इसे अपने परिवार के लिए चाहता हूं; मैं उन्हें यथासंभव सर्वोत्तम देना चाहता हूं। अगर कोई बीमार पड़ जाए और उसे अस्पताल की जरूरत पड़े तो मैं असमंजस में नहीं पड़ना चाहता।'
पॉडकास्ट में बातचीत के दौरान अभिनेता ने एक किस्से का जिक्र किया। अभिनेता ने बताया कि उन्होंने एक कास्टिंग डायरेक्टर के लिए अपनी फीस कम करने से मना कर दिया था। अभिनेता ने कहा, 'उन्होंने मुझसे अपनी फीस कम करने को कहा, कहा कि सिर्फ 20 दिन का काम है। मैंने उनसे कहा कि मैं उन 20 दिनों के लिए कोई शुल्क भी नहीं ले रहा हूं, मैं मुफ्त में काम कर रहा हूं। मैंने उससे कहा कि मैं यहां तक पहुंचने के लिए किए गए सभी वर्षों के 'होमवर्क' के लिए शुल्क ले रहा हूं। यह उन सभी दिनों के लिए मेरी फीस थी जब मैं 20 चाय पर जिंदा रहा, भूखा सोया, गालियां सुनीं, मैं टाउन से अंधेरी तक पैदल चलता था... ये 20 दिन मुफ्त हैं।'