क्यों मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, कब हुई इसकी शुरुआत ?

By आनंद जोनवार | Mar 07, 2019

यह दिन महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा, प्यार प्रकट करते हुए शैक्षणिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उपलक्ष्य में उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। पूरी दुनिया में महिलाओं से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की जाती है, समाधान खोजे जाते हैं और संकल्प लिए जाते हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस महिला जागरूकता और सशक्तिकरण का आयोजन है। जानकारी और जागरूकता महिलाओं और पुरुषों में भेदभाव मिटाने के सबसे बड़े हथियार हैं। इसकी शुरुआत तब हुई जब 1857 में न्यूयॉर्क शहर में पोशाक बनाने वाले एक कारखाने की महिलाएं अपने समान अधिकारों, काम करने की अवधि में कमी, कार्य अवस्था में सुधार की मांग करते हुए जुलूस निकाल कर सड़कों पर उतर आई थीं।

 

सन् 1910 में महिलाओं की समस्याओं के समाधान हेतु बीजिंग में एक विश्व सभा बुलाई गई थी। उसी दिन की स्मृति में प्रतिवर्ष 8 मार्च को महिला दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। इसका उद्देश्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना था। शिक्षा पाकर लड़कियां आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनेंगी तो आर्थिक आजादी के साथ ही समानता की भावना भी पनपेगी। महिलाओं में अधिकारों के प्रति जागरूकता जरूरी है। तभी वे  अपनी सुरक्षा खुद कर पाएंगी, तब समाज, पुलिस और कानून भी उनकी मदद करेगा।

इसे भी पढ़ें: खुद को कम नहीं आंकें महिलाएँ, अपने अरमानों का गला भी नहीं घोंटें

आज महिलाओं को अधिकार और महत्व देने का दिन है। महिलाओं की सुरक्षा, कल्याण एवं सुरक्षित मातृत्व को लेकर अनेकों योजनाएं तैयार की जाती हैं। इस दिशा में कई संस्थाएं कार्यरत हैं, परंतु सफलता तभी मिलेगी जब हर महिला अपने अधिकारों के प्रति सजग होकर पहला कदम खुद बढ़ाए। भारत में महिलाओं से संबंधित अनेक मुद्दे जीवित हैं और अनेक पैदा हो रहे हैं। भारतीय महिलाओं की स्थिति पर ध्यान दें तो  दो असंतुलित चित्र सामने आते हैं। एक तरफ महिलाएं अपनी मेधाशक्ति, मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर धरातल से आसमान तक की ऊंचाइयों को छू कर अपनी प्रवीणता अर्जित कर रही हैं तथा देश को गौरवान्वित कर देश की प्रतिष्ठा दुनिया में बढ़ा रही हैं। यह एक गौरवान्वित चित्र है। दूसरा चित्र चिंतित और सोचने पर मजबूर कर देता है। जहां ना वह जन्म से पहले सुरक्षित है, ना जन्म के बाद। आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता हो रही है। रोज ही अखबारों और न्यूज़ चैनलों में पढ़ते हुए देखते हैं कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़, सामूहिक बलात्कार की घटनाएं हो रही हैं। ऐसी घटनाओं को सुनकर दिल और दिमाग दोनों कौंध जाते हैं, माथा शर्म से झुक जाता है और दिल दर्द से भर जाता है। महिलाएं पूरे देश में असुरक्षित हैं।

इसे भी पढ़ें: कामकाजी महिलाओं को होती है ये बीमारियां जानिए बचने के उपाय

इसे नैतिक पतन कहा जा सकता है। शायद ही कोई दिन हो जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार ना हो। नारी के सम्मान और अस्मिता की रक्षा के लिए इस पर विचार करना बेहद जरूरी है और रक्षा करना भी। अधिकतर महिलाएं कोल्हू के बेल की मानिंद घर परिवार में ही खटती रहती हैं और अपने अरमानों का गला घोट देती हैं। परिवार की खातिर अपना जीवन होम करने में भारतीय महिलाएं सबसे आगे हैं।

 

मां, बहन, बेटी, पत्नी, सखी, प्रेमिका, शिक्षिका हर रूप में करुणा, दया, सरंक्षण, परवाह, सादगी की अपार शक्ति है नारी, जिसने अंधेरों में सिमटी ना जाने कितनी जिंदगियों को योद्धा बनाया है। मेरी नजर से देखें तो मुझे आप में दिखाई देता है समर्पण, समर्पण प्यार का, समर्पण दुलार का, समर्पण सेवा का, इनके समर्पण भाव से सृष्टि भी तृप्त है। हम आभारी हैं, कर्जदार हैं, आपके समर्पण के, दुलार के, प्यार के। आज नारी शक्ति का दिन है। स्वयं को पहचान और नमन कर आगे बढ़ती चलो, ठोकर मार उसे जो तेरा सम्मान ना करें। नागरिक, समाज और सिस्टम के तौर पर एक जिम्मेदारी हमारी बनती है कि इनके संघर्षपूर्ण जीवन को और कठिन न बनाएं। समाज की नींव और जीवन का रूप नारी की प्रतिभा को सम्मान और सुरक्षा दे।

 

-आनंद जोनवार

प्रमुख खबरें

विजय दिवस पर राष्ट्रपति भवन में भारत के वीरों को सम्मान, परमवीर दीर्घा का हुआ लोकार्पण

Stranger Things 5 Volume 2 Trailer | स्ट्रेंजर थिंग्स 5 वॉल्यूम 2 का एक्शन से भरपूर ट्रेलर जारी, हॉकिन्स का अंत या नई शुरुआत?

भेदभाव के आधार पर कोई कानून पास नहीं किया जाना चाहिए..., मनरेगा के नाम बदलने पर लोकसभा में बोलीं प्रियंका गांधी

Border 2 Teaser OUT | सनी देओल, वरुण धवन, दिलजीत दोसांझ का वॉर ड्रामा, आपके अंदर जगाएगा देशभक्ति