योगी पर ही हमला क्यों ? नेताओं को तनावग्रस्त इलाकों में ममता और अखिलेश भी नहीं जाने देते थे

By नीरज कुमार दुबे | Oct 06, 2021

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों के नेताओं का आरोप है कि उन्हें पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए लखीमपुर जाने से रोका जा रहा है। लेकिन यहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी तथा अन्य दल यह भूल गये कि कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए उनके नेतृत्व वाली सरकारें भी तत्कालीन विपक्षी नेताओं को तनावग्रस्त इलाके में जाने से रोकती रही हैं। अभी लखीमपुर में जो हालात हैं उसमें सभी का प्रयास यह होना चाहिए वहां पहले शांति कायम हो। लेकिन उत्तर प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनावों को देखते हुए कुछ राजनीतिक दल शायद नहीं चाहते कि यह मामला इतनी जल्दी शांत हो जाये इसलिए तमाम तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। देखा जाये तो नेताओं को राजनीति करनी ही चाहिए और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए सरकार पर दबाव भी बनाना चाहिए लेकिन उत्तर प्रदेश में जो कुछ चल रहा है उसे 'आपदा में अवसर' की तलाश ही कहा जायेगा।

 

 


वैसे तो नेताओं को किसी इलाके में जाने से रोके जाने का बहुत पुराना इतिहास है और इसके कई उदाहरण दिये जा सकते हैं। लेकिन कुछ हालिया उदाहरणों की बात करें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को पश्चिम बंगाल की सरकार ने राज्य में रैली करने से रोक दिया गया था। ऐसा कई बार हुआ है कि योगी आदित्यनाथ के हेलिकाप्टर को उतरने की अनुमति बंगाल सरकार ने नहीं दी। यही नहीं कर्नाटक की तत्कालीन सरकार ने विश्व हिन्दू परिषद के नेता रहे प्रवीण तोगडिया के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान राजनाथ सिंह को दंगा प्रभावित क्षेत्रों में जाने की अनुमति नहीं मिली थी। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जाते समय अरुण जेटली को जम्मू एअरपोर्ट पर ही हिरासत में ले लिया गया था। ऐसे ही अनेकों प्रकरण हैं जब सरकारें इस तरह के कदम उठाती रहती हैं क्योंकि कानून व्यवस्था बनाये रखना उनकी पहली जिम्मेदारी होती है। चुनाव आते जाते रहेंगे, सत्ता मिलती छिनती रहेगी लेकिन समाज की सुरक्षा और देश की एकता हर कीमत पर कायम रहनी चाहिए इसका प्रयास नेताओं को करना चाहिए।

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