ताकत की दुनिया (व्यंग्य)

By संतोष उत्सुक | Mar 22, 2022

दुनिया ताक़त की है। हर तरफ ताक़त का रूतबा बढ़ता जा रहा है। ताक़त के साथ चौधराहट फैलती है। हमारे जानकार चौधरीजी को जब किसी नए चौधरी के बारे में पता चलता है तो वे बिना देर किए पूछते हैं कि यह कहां के चौधरी हैं। असलियत में उनके दिमाग में चल यह रहा होता है कि हमारे क्षेत्र में हमारे जैसा ताक़त का चौधरी होते हुए यह दूसरा चौधरी कहाँ से, क्यूं आ गया। इतिहास पढाता है कि ताक़त बहुत खतरनाक वस्तु है, एक बार शरीर और दिमाग में घुस जाए तो जाती नहीं है। लगता है यह मोटापे जैसी होती है। किसी ज़माने में कहा जाता था कि पढ़ने लिखने से बंदा समझदार हो जाता है, लेकिन परिस्थितियों में लाए गए शातिर बदलावों के कारण, अब तो बिना पढ़े लिखे भी, अवसरानुसार समझदारी के प्रयोग से अपनी तरह की ताक़त हासिल कर चौधरी बन जाते हैं।

इसे भी पढ़ें: चुनाव से मिलती दीक्षाएं (व्यंग्य)

ताक़त हासिल करने के धार्मिक, राजनीतिक, जातीय या राष्ट्रीय नाम के कई शर्तिया सफल रास्ते हैं। उचित समय पर चौधराहट ग्रहण कर इसका सामयिक प्रयोग करते और करवाते रहें तो प्रसिद्धि, शक्ति और पैसा स्वत आने लगता है। दुनिया की महान लोकतांत्रिक परम्पराओं के निमित बाकायदा चुना हुआ, एक आम हुडदंगी जब ताक़त भरी कुर्सी पर बैठता है तो फैसलों को इधर से उधर घुमा देता है, अनाधिकृत काम करवाता है। यहीं से वह ताक़त का चौधरी बनना शुरू हो जाता है और दूसरों से बड़ा चौधरी बनने के अवसर खोदना उसका कर्तव्य हो जाता है। उनके प्रदर्शन से प्रभावित हो, बड़े बुद्धिमान चौधरी उन्हें अपने अभ्यारण्य में ले लेते हैं। काफी गहन प्रशिक्षण के बाद इन अपने किस्म के चौधरी को समझ आता है कि वे जिन दूसरे चौधरी की बात कर रहे थे, के जैसा अंतर्राष्ट्रीय कहें तो काफी मुल्कों का चौधरी होना भी ज़रूरी है ताकि वह अपनी धन और गन वाली चौधराहट से दूसरों को दबकाकर रखे।

इसे भी पढ़ें: होममेड संस्करण आचार का (व्यंग्य)

यह पहली बार तो हो नहीं रहा। हालांकि दुनिया में दूसरे बड़े चौधरी भी हैं लेकिन असली चौधरी तो वही माना जाता है जो साम दाम दंड भेद का फार्मूला लगाकर अपनी ताक़त का प्रदर्शन करता रहे। कहीं आग लगा दे फिर आग बुझाने को अपनी टांग तैयार रखे। चौधरी किसी भी रंग, धर्म, जाति, क्षेत्र का हो, नायक बनना आसान नहीं होता। एक नायक जब ताक़त  के जूतों में प्रवेश कर लेता है तो उसका चरित्र ऐसा हो जाता है कि वह अपने सामने किसी को उभरता हुआ देख नहीं पाता। एक ताक़त चौधरी कभी नहीं चाहता कि कोई भी उस जैसा ताक़त चौधरी बन पाए। ताक़त की कुर्सी का मालिक महाचौधरी होता है। ताक़त की दुनिया है जनाब।


- संतोष उत्सुक

प्रमुख खबरें

Vishwakhabram: Modi Putin ने मिलकर बनाई नई रणनीति, पूरी दुनिया पर पड़ेगा बड़ा प्रभाव, Trump समेत कई नेताओं की उड़ी नींद

Home Loan, Car Loan, Personal Loan, Business Loan होंगे सस्ते, RBI ने देशवासियों को दी बड़ी सौगात

सोनिया गांधी पर मतदाता सूची मामले में नई याचिका, 9 दिसंबर को सुनवाई

कब से सामान्य होगी इंडिगो की उड़ानें? CEO का आया बयान, कल भी हो सकती है परेशानी