International Labour Day 2024: हर साल 01 मई को मनाया जाता है अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस, जानिए इतिहास और महत्व

International Labour Day 2024
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हर साल 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसको कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। इंटरनेशनल लेबर डे को श्रम दिवस, श्रमिक दिवस, कामगार दिवस और मई दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।

हर साल 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाया जाता है। इसको कई अन्य नामों से भी जाना जाता है। इंटरनेशनल लेबर डे को श्रम दिवस, श्रमिक दिवस, कामगार दिवस और मई दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को बेहद खास मकसद के साथ मनाया जाता है। इंटरनेशनल लेबर डे के दिन श्रमिकों के योगदान की सराहना करने के साथ उनकी परिस्थिति और समस्याओं के बारे में लोगों को जागरुक किया जाता है।

श्रमिकों के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने और देश के निर्माण में श्रमिकों की अहम भूमिका के बारे में भी सजग किया जाता है। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको इंटरनेशनल लेबर डे की थीम, महत्व और उद्देश्य के बारे में बताने जा रहे हैं।

देश में इंटरनेशनल लेबर डे मनाने की शुरूआत

साल 1923 में भारत के चेन्नई शहर में सबसे पहले मजदूर दिवस को मनाने की शुरुआत हुई थी। यह शुरूआत वामपंथियों ने की थी। जिसके बाद देश के कई मजदूर संगठनों ने इस दिन को मनाए जाने की शुरूआत की। हर साल भारत में 01 मई को इंटरनेशनल लेबर डे मनाया जाता है और इस दिन पब्लिक हॉलिडे भी होता है।

थीम

हर साल इस मौके पर एक खास तरह की थीम चुनी जाती है। इस साल की थीम 'जलवायु परिवर्तन के बीच काम की जगह पर श्रमिकों के स्वास्थय और सुरक्षा को सुनिश्चित करना' रखा गया है।

इतिहास

बता दें कि करीब 135 साल पहले अमेरिका में मजदूरों की हालत बेहद खराब थी। श्रमिकों को एक दिन में 15 घंटे काम करना पड़ता था और काम की जगह भी साफ नहीं होती थी। बदतर स्थितियों से परेशान होकर श्रमिकों ने हड़ताल करने का फैसला किया। जिसके बाद 01 मई 1886 को अमेरिका की सड़कों पर मजदूर उतर आए। श्रमिकों की मांग थी कि 15 घंटे की जगह 8 घंटे काम लिया जाए और काम की जगह में सुधार किया जाए।

वहीं जब स्थिति पुलिस के नियंत्रण से बाहर जाने लगी, तो पुलिस ने श्रमिकों पर गोलियां चला दीं। जिसमें करीब 100 से अधिक लोग घायल हो गए और कई श्रमिकों की जान चली गई। इसके बाद 1889 को को अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में इस दिन को याद करते हुए 01 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मनाने का प्रस्ताव दिया गया। इसके अलावा इस दिन को अवकाश की तरह मनाया जाने लगा और मजदूरों से 8 घंटे से अधिक काम न करवाने का फैसला पारित किया गया।

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