10 साल पहले यूपीए सरकार को मोदी ने बताया था संघीय ढांचे के लिए खतरा, आज उन पर ही लग रहा यह आरोप

By अंकित सिंह | Jun 04, 2021

आज से ठीक 10 साल पहले गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस सरकार और यूपीए गठबंधन पर जमकर निशाना साधा था। लखनऊ में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में नरेंद्र मोदी ने यूपीए सरकार के खिलाफ एक प्रस्ताव पास किया था। इस प्रस्ताव का शीर्षक था- यूपीए: हमारे संघवाद के लिए बड़ा खतरा। इस प्रस्ताव के जरिए नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर राज्यों की कानून बनाने की शक्तियों को हड़पने का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, इस दौरान यह भी कहा गया था कि कांग्रेस सरकार जांच एजेंसियों और संवैधानिक तथा कानूनी तंत्रों का गलत इस्तेमाल कर रही है। इस प्रस्ताव में राज्यपाल को लेकर भी बातें कही गई थी। राज्यपाल को लेकर कहा गया था कि उन्हें राजनीतिक मोहरा बनाकर भेजा जा रहा है।

 

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लेकिन आज परिस्थितियां बदली हुई है। आज खुद केंद्र में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के रूप में मौजूद हैं और उन पर भी कुछ इसी तरह का आरोप लगाए जा रहे हैं। दो बार लगातार सत्ता में आने के बावजूद एनडीए सरकार विपक्ष द्वारा शासित राज्यों में भरोसा कायम करने में नाकाम सी नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ की सरकारों ने केंद्र पर सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करने का कई बार आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, सीबीआई को सरकार का तोता कहने वाली भाजपा सरकार पर भी सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगातार लगता रह रहा है। वैक्सीन नीति को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, बंगाल और लक्ष्यदीप में जो कुछ हो रहा है उसको लेकर भी मोदी सरकार से सवाल पूछे जा रहे हैं।

 

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नरेंद्र मोदी सरकार पर भी देश के संवैधानिक प्रक्रिया को खत्म करने का विपक्ष लगातार आरोप लगाता रहता है। इसको लेकर तो विपक्ष ने कई बार बकायदा अभियान तक चलाया है। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य राज्यपाल की भूमिका पर ही सवाल उठाने लगे हैं। विपक्षी दल यह भी आरोप लगाते हैं कि चुनाव से पहले केंद्र सीबीआई का दुरुपयोग कर विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों द्वारा राज्यों के मंत्री और मुख्यमंत्रियों से होने वाली बैठकों में टकराव की स्थिति तब बन जाती है जब कई मंत्री इसमें शामिल नहीं होने की बात करते हैं। हाल में ही हमने देखा कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा बुलाई गई बैठक में तमिलनाडु के शिक्षा मंत्री शामिल नहीं हुए थे। कई राज्य लगातार केंद्र के साथ टकराव की स्थिति में है। वैक्सीन खरीद प्रक्रिया को लेकर भी कई राज्य और केंद्र के बीच टकराव की स्थिति देखी जा रही है।

 

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