By अनन्या मिश्रा | Jul 09, 2025
आद्यशक्ति अर्थात सृष्टि की मूल चेतना। आदिदेव ॐ कार के रूप में इसको प्रथम और सर्वोपरि पूज्य माना गया है। इसी को परब्रह्म भी कहा जाता है। यहां पर एक मुख्य मंदिर है, जिसको ज्ञान मंदिर के तौर पर निर्मित किया गया है।
ब्राह्मी को सद्ज्ञान, महाविद्या और सुविचार से परिभाषित किया जाता है। इनको सृजनात्मक सद्वृत्तियों के प्रसुप्त बीजों को जगाने और उगाने वाली महाशक्ति माना जाता है।
वैष्णवी को व्यवस्था और बुद्धि का पर्याय माना गया है। वैष्णवी इस संसार की सुव्यवस्था करने वाली और परिपोषण करने वाली विश्वंभर शक्ति हैं।
शांभवी अवांछनीयता का निवारण करने वाली एक परिवर्तनकारी शक्ति हैं। यह सृष्टि का संतुलन करती हैं। साथ ही अपने प्रभाव से जातक के जीवन में कर्म, गुण और स्वभाव का परिष्कार करती हैं।
वेदमाता को समस्त ज्ञान की ज्ञाता कहा जाता है। इनको वेदविद्या की कुंजी भी कहा गया है।
देव माता देवत्व को जन्म देने वाली देवोपम स्तर की मन:स्थिति को बनाने वाली देवी हैं।
इनको सार्वभौम संस्कृति के संविधान का निरूपण करने वाली देवी हैं। यह देवी वसुधैव कुटुम्बकम् के दर्शन को सार्थक करने वाली शक्ति हैं।
सत्य- असत्य और औचित्य-अनौचित्य का वरण करने में व्यक्ति को सहायता देने वाली शक्ति हैं।
मंदाकिनी देवी गंगा के समान पवित्र और बाह्याभ्यंतर को शुद्ध करने वाली देवी हैं।
यह अविचल निष्ठा और निश्चल स्थिति को सिद्धि देने वाली देवी हैं।
यह आत्मिक विभूतियों से व्यक्ति को असाधारण बना देने वाली शक्ति हैं।
यह वैभव की अधिष्ठात्री, समृद्ध-संपन्न और मनुष्य को प्रामाणिक बनाने वाली देवी हैं।
अचेतन की रहस्यमयी परतों को हटाने वाली पंचमुखी शक्ति हैं।
देवी सरस्वती विद्या और बुद्धि की देवी हैं।
देवी लक्ष्मी 'श्री' तत्त्व बढ़ाने वाले गुणों का विकास करती है।
असुरता का संहार करने वाली, प्रचंडता, मृत्यु की प्रतीक और प्रखरता की पर्याय रौद्रशक्ति हैं।
जीवन की सामान्य ऊर्जा को असामान्य में परिष्कृत करने वाली और तंत्रविद्या की अधिष्ठात्री देवी हैं।
जीवन शक्ति को बढ़ाकर, सामर्थ्य बढ़ाने वाली और प्राणवान बनाने वाली शक्ति हैं।
विश्व और वैभव को अधिष्ठाता बना देने वाली शक्ति हैं।
धनी बनाने वाली, व्यक्ति को युग और नेतृत्व सौंपने वाली देवी विभूति हैं।
संतुलन और सद्बुद्धि देने वाली शक्ति हैं और इनकी कृपा से व्यक्ति को अभाव नहीं सताते हैं।
भ्रांतियों का निवारण करने वाली और भव बंधनों से मुक्ति दिलाने वाली शक्ति हैं।
इनकी कृपा से साधक में ब्रह्मतेज बढ़ता है और कोई अभाव नहीं रहता है।
ओजस्, तेजस् और वर्चस् बढ़ाने वाली देवी हैं।