By अभिनय आकाश | Dec 26, 2025
राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के बीच 2001 से 2008 तक हुई निजी बातचीत के विस्तृत, गोपनीय दस्तावेजों के हूबहू प्रतिलेख जारी किए हैं। इन दस्तावेजों से पाकिस्तान की परमाणु स्थिरता को लेकर दोनों के बीच गहरी चिंता का पता चलता है। जून 2001 में स्लोवेनिया में हुई अपनी पहली व्यक्तिगत मुलाकात के दौरान पुतिन ने पाकिस्तान को परमाणु हथियारों वाला एक सैन्य शासन बताया था।
दस्तावेजों से पता चलता है कि जहां एक ओर अमेरिका सार्वजनिक रूप से 9/11 के बाद राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के साथ आतंकवाद-विरोधी गतिविधियों के लिए घनिष्ठ साझेदारी बना रहा था, वहीं दूसरी ओर दोनों विश्व नेता निजी तौर पर उनके शासन को परमाणु अप्रसार के लिए एक बड़ी बाधा मानते थे। पुतिन विशेष रूप से मुखर थे और उन्होंने इस्लामाबाद पर लोकतांत्रिक दबाव की कमी के लिए पश्चिम की आलोचना की। पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक ए.क्यू. खान की छाया इन दस्तावेजों पर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। 2004 में खान ने स्वीकार किया कि वह एक वैश्विक काला बाजार चला रहे थे जो ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु सेंट्रीफ्यूज के डिजाइन और सामग्री की आपूर्ति करता था—इस खुलासे ने बुश-पुतिन संबंधों में काफी तनाव पैदा कर दिया था।
दस्तावेजों में सबसे अहम रूप से दोनों ही देश ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर चिंता जताते हैं। पुतिन कहते हैं कि अभी तक यह साफ नहीं है कि ईरान के पास प्रयोगशालाओं में क्या है और वह कहां है लेकिन उनका पाकिस्तान के साथ सहयोग मौजूद है। इस पर बुश कहते हैं, मैंने इस बारे में मुशर्रफ से बात की है। मैंने उनसे कहा कि हमें ईरान और उत्तर कोरिया को ट्रांसफर को लेकर चिंता है। उन्होंने ए क्यू खान और उसके कुछ साथियों को जेल में डाला, फिर हाउस अरेस्ट में रखा। हम जानना चाहते हैं कि उन्हें क्या बताया गया है। मैं मुशर्रफ को लगातार याद दिलाता रहता हूं। या तो उन्हें कुछ पता नहीं है या फिर वे पूरी जानकारी नहीं दे रहे हैं।
इसका जवाब देते हुए पुतिन कहते हैं, मेरी समझ के मुताबिक सेंट्रीफ्यूज में पाकिस्तानी मूल का यूरेनियम मिला है। इस पर बुश ने कहा कि हां, वही चीज जिसके बारे में ईरान ने आईएईए को नहीं बताया था। यह नियमों का उल्लंघन है।