By अभिनय आकाश | Nov 12, 2025
दिल्ली हाई कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को वह विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया है, जिसमें अन्य च्यवनप्राश को 'धोखा' बताया गया था। अदालत ने पतंजलि आयुर्वेद को निर्देश दिया कि वह 1तीन दिन में सभी इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और प्रिंट मीडियम से इस विज्ञापन को हटाए। हाई कोर्ट ने कहा, विज्ञापन के जरिए यह संदेश देना कि सिर्फ पतंजलि का ही प्रोडक्ड असली है और दूसरे धोखा है, यह गलत है और सामान्य तौर च्यवनप्राश की सभी कैटिगरी को बदनाम करता है।
जस्टिस तेजस करिया ने कहा, कोई भी शख्स अगर आयुर्वेदिक प्रोडक्ट का निर्माण कानून और उसमें दर्ज नियमों का पालन करते हुए करता है, तो उसके प्रोडक्ट को भ्रामक बताकर बदनाम नहीं किया जा सकता, जब कानून उसे अच्छी और स्वीकार्य आयुर्वेदिक औषधि मानता है। डाबर इंडिया पतंजलि द्वारा जारी किए गए 25 सेकंड के विज्ञापन से व्यथित था, जिसका शीर्षक था 51 जड़ी-बूटियाँ। 1 सत्य। पतंजलि च्यवनप्राश! पतंजलि के विज्ञापन में, एक महिला अपने बच्चे को च्यवनप्राश खिलाते हुए कहती है, चलो धोखा खाओ। इसके बाद, रामदेव कहते हैं, अधिकांश लोग च्यवनप्राश के नाम पर धोखा खा रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि यह विज्ञापन एक आयुर्वेदिक फॉर्मूलेशन, अर्थात् च्यवनप्राश से संबंधित है और योग एवं वैदिक प्रथाओं के जाने-माने विशेषज्ञ रामदेव द्वारा प्रस्तुत इस विज्ञापन के एक सामान्य दर्शक पर, उनका यह दावा कि केवल उनका उत्पाद ही असली च्यवनप्राश है, एक गहरी छाप छोड़ सकता है।