208 शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र, कहा- लेफ्ट विंग ने शिक्षण संस्थानों का माहौल बिगाड़ा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 12, 2020

नयी दिल्ली। विश्वविद्यालयों के कुलपतियों सहित 200 से अधिक शिक्षाविदों ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर देश में बिगड़ते अकादमिक माहौल के लिए ‘वामपंथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे समूह’ को जिम्मेदार ठहराया है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘हमारा मानना है कि छात्र राजनीति के नाम पर एक विध्वंसकारी धुर वाम एजेंडा को आगे बढ़ाया जा रहा है। जेएनयू से लेकर जामिया तक, एएमयू से लेकर यादवपुर (विश्वविद्यालय) तक परिसरों में हुई हालिया घटनाएं हमें वामपथी कार्यकर्ताओं के एक छोटे से समूह की शरारत के चलते बदतर होते अकादमिक माहौल के प्रति चौकन्ना करती हैं।’’

इसे भी पढ़ें: दीपिका पादुकोण या उनकी फिल्म का बहिष्कार गलत है: संजय राउत

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक बयान पर हस्ताक्षर करने वालों में हरि सिंह गौर विश्वविद्यालय के कुलपति आर पी तिवारी,दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति एचसीएस राठौर और सरदार पटेल विश्वविद्यालय के कुलपति शिरीष कुलकर्णी सहित अन्य शामिल हैं। इसे ‘शैक्षणिक संस्थानों में वामपंथी अराजकता के खिलाफ बयान’ शीर्षक दिया गया है। दो सौ आठ शिक्षाविदों के इस बयान को अकादमिक जगत में समर्थन जुटाने का शासन का प्रयास माना जा रहा है। दरअसल, संशोधित नागरिकता अधिनियम (सीएए) और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में हुए हालिया हमले सहित कई मुद्दों को लेकर कुछ विश्वविद्यालयों में हुए प्रदर्शनों को लेकर विद्वानों के एक हिस्से द्वारा सरकार आलोचना का सामना कर रही है।

इसे भी पढ़ें: भारत को पूर्ण राष्ट्र न मानने वाले लोग कर रहे उच्च शिक्षण संस्थानों में नारेबाजी : योगी

वामपंथ की ओर झुकाव रखने वाले समूहों को आड़े हाथ लेते हुए बयान में कहा गया है कि वामपंथी राजनीति द्वारा थोपे गए सेंसरशिप के चलते जन संवाद आयोजित करना या स्वतंत्र रूप से बोलना मुश्किल हो गया है। मोदी को लिखे पत्र में कहा गया है कि वाम के गढ़ों में हड़ताल, धरना और बंद आम बात हो गई है तथा वाम विचारधारा के अनुरूप नहीं होने पर लोगों को व्यक्तिगत रूप से निशाना बनाना, सार्वजनिक छींटाकशी और प्रताड़ना बढ़ रही है। बयान में कहा गया है कि इस तरह की राजनीति से सबसे बुरी तरह से गरीब छात्र और हाशिये पर मौजूद समुदायों के छात्र प्रभावित हो रहे हैं। इसमें कहा गया है, ‘‘ये छात्र सीखने और अपने लिए बेहतर भविष्य बनाने का अवसर खो देंगे। वे अपने विचारों को प्रकट करने और वैकल्पिक राजनीति की स्वतंत्रता खो देंगे। वे खुद को बहुसंख्यक वाम राजनीति के अनुरूप करने के प्रति सीमित पाएंगे। हम सभी लोकतांत्रिक ताकतों से एकजुट होने और अकादमिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा विचारों की बहुलता के लिए खड़े होने की अपील करते हैं।’’

प्रमुख खबरें

Madhya Pradesh : मरम्मत के लिए खड़ी बस के खाई में गिरने से 10 यात्री घायल

ED ने अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ तस्करी गिरोह मामले में उत्तराखंड के एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया

Lok Sabha Election 2024: BJP में शामिल हुए दिल्ली-पंजाब के 1500 ज्यादा सिख, नड्डा बोले- ये हमारे लिए गौरव और खुशी की बात

Apple का सबसे बड़ा iOS तहलका मचाने को तैयार, फीचर्स जानकर चौंक जाएंगे आप