By Ankit Jaiswal | Oct 06, 2025
केंद्र सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने एक नया मसौदा अधिसूचना जारी किया है। इसके तहत उन स्टैंडअलोन सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट्स को पर्यावरणीय मंजूरी (EC) लेने से छूट देने का प्रस्ताव है, जिनमें कैप्टिव पावर प्लांट नहीं है। यह अधिसूचना 26 सितंबर को जारी की गई थी।
अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो अडाणी समूह को कल्याण क्षेत्र में बनने वाली 1,400 करोड़ रुपये की लागत वाली सीमेंट ग्राइंडिंग परियोजना को बड़ी राहत मिलेगी। यह संयंत्र अंबुजा सीमेंट लिमिटेड के नाम से दर्ज है और इसकी क्षमता सालाना 6 मिलियन टन है।
स्थानीय लोग, खासकर मोहने गांव और आसपास के दस गांवों के निवासी, इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इससे वायु प्रदूषण, धूल और गैस उत्सर्जन बढ़ेगा और स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ेगा। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) की हाल की जनसुनवाई में नागरिकों ने भी इस पर आपत्ति जताई थी।
मंत्रालय का कहना है कि स्टैंडअलोन यूनिट्स में उच्च तापीय प्रक्रियाएं कैल्सिनेशन और क्लिंकराइजेशन नहीं होतीं, इसलिए प्रदूषण कम होता है। साथ ही, यदि कच्चा माल और उत्पादों का परिवहन रेलवे या इलेक्ट्रिक वाहनों से किया जाए, तो प्रदूषण और कम होगा। विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है।
स्थानीय संगठन और पर्यावरण विशेषज्ञ इस कदम को लेकर चिंतित हैं। मोहने कोलिवाड़ा ग्रामस्थ मंडल के अध्यक्ष सुभाष पाटिल ने कहा कि वे अधिसूचना का अध्ययन करेंगे और सामूहिक रूप से आगे की रणनीति तय करेंगे।
जनता इस मसौदे पर 60 दिनों के भीतर अपनी आपत्तियां या सुझाव दर्ज करा सकती है। प्रस्तावित प्लांट पुरानी नेशनल रेयान कंपनी (NRC) की जमीन पर 26 हेक्टेयर क्षेत्र में बनाया जाएगा, जिसमें 9.67 हेक्टेयर हरित पट्टी के लिए आरक्षित है।
यदि यह अधिसूचना लागू होती है, तो पूरे देश में कई औद्योगिक परियोजनाओं को पर्यावरणीय मंजूरी से राहत मिल सकती है, जिससे निवेश आसान होगा लेकिन पर्यावरण सुरक्षा और स्थानीय समुदायों के हितों पर सवाल खड़े होंगे।