By अभिनय आकाश | Dec 18, 2025
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में आतंकी बाप-बेटे ने ताबड़तोड़ गोलीबारी करते हुए कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन अब इससे भी कई गुणा बड़ा हमला करने की बड़ी साजिश का भंडाफोड़ हुआ है। ये हमला अमेरिका में नए साल पर किया जाने वाला था। जिसमें 15 हजार लोगों को मारने की साजिश रची गई थी। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता के चलते ये हमला नाकाम हो गया। दरअसल, आतंकियों ने लॉस एजेंलिस और औरेंज काउंटी में 5 बड़े बम धमाके करने की योजना बनाई थी। पहले हमले में एक हजार लोगों को मारने का प्लान था। दूसरे हमले में 1500 लोग मारे जाते। तीसरे हमले में दो हजार लोगों को मारने का प्लान था। चौथे हमले में 2500 लोग मारे जाते। पांचवे हमले में तीन हजार लोगों को मिटा देने का मंसूबा पाला गया था। सोचिए अमेरिका पर 9/11 हमला हुआ था तो अमेरिका किस तरह से भड़क गया था। अलकायदा के हमले में तीन हजार लोग मारे गए थे। लेकिन इस बार तो एक ही दिन में 5-5 9/11 जैसे हमले की बात सामने आ रही है।
अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई और सीआईए ने इसका खुलासा किया है। ऑस्ट्रेलिया में आतंकी हमले के बाद से पूरी दुनिया में अलर्ट है। इस दौरान अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े थे। तभी एफबीआई को चार ऐसे लोगों के बारे में इनपुट मिला, जिनके दिलों-दिमाग में यहूदियों को लेकर जहर भरा था। सिडनी में भी यहूदियों के खिलाफ नरसंहार हुआ। लिहाजा जांच टीम ने कट्टपंथी गैंग के चार लोगों टीना लाई, ऑड्री कैरोल, जैफरी ऐरन पेज, डांटे एफील्ड को हिरासत में लिया। कट्टरगैंग की मास्टरमाइंड ऑड्री कैरोल के पास आठ पन्नों का एक लेटर मिला। हाथों से लिखे नोट को लेकर पूछताठ के बाद अमेरिकी इतिहास की सबसे बड़ी साजिश का भंडा फोड़ हो गया।
ट्रंप ने इस्लामिक आतंकवाद का जिक्र करके दुनियाभर के कट्टरपंथी ब्रिगेड की नींद उड़ा दी है। ट्रंप के इस बयान में बदले की जबरदस्त आग नजर आ रही है। लेकिन इस बयान से मजहबी चिंगारी भी फूट पड़ी है। ट्रंप के इस बयान से कट्टरपंथी संगठनों की नींच उड़ी हुई है। ट्रंप ने अपने बयान में दो ऐसे शब्द बोले हैं जिसे लेकर देश-विदेश और सोशल मीडिया तक बहस छिड़ गई है। ट्रंप के इरादे इस समय पूरी दुनिया से इस्लामिक आतंकवाद को मिटा देने वाले हैं। ट्रंप इस्लामिक आतंकवाद को एक ग्लोबल चैलेंज मान रहे हैं। और इससे निपटने के लिए वो पूरी दुनिया को एक मंच पर लाने की कोशिश कर रहे हैं।
इस्लामिक आतंकवाद पर उनका यह बयान पहले से ही उनकी टीम ने तैयार किया था और ट्रंप जो कुछ भी बोल रहे हैं वो बिल्कुल नपातुला है। दरअसल डोनाल्ड ट्रंप वाइट हाउस में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में हुए आतंकी हमले पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा ऑस्ट्रेलिया में हमला असल में एक कट्टरपंथी इस्लामिक आतंकवाद। अब वक्त आ चुका है जब सभी देशों को मिलकर इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने जाना चाहिए और शैतानी शक्तियों के खिलाफ सबको एक साथ खड़े होना होगा। ट्रंप के इस बयान के बाद पूरी दुनिया में कट्टरपंथी संगठनों में खौफ है। आईएसआई से लेकर अलकायदा और लश्कर लश्कर से लेकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों में ट्रंप का खौफ है।
पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में जो भी आतंकी हमले हुए हैं, शायद उनसे जुड़े तथ्यों के आधार पर ही ट्रंप ने यह बात कही और ट्रंप खुद भी यह जानते हैं कि कैसे उनका देश ही एक विक्टिम बन चुका है। देखिए सबसे पहले नाम अमेरिका में 2001 में हुए 91 हमलों का है। जिसका मास्टरमाइंड अलकायदा का ओसामा बिन लातिन था। इसी तरह मुंबई में 2008 में हुआ आतंकी हमला जिसका डायरेक्टर आतंकी हाफिज सईद है और आज भी पाकिस्तान की जमीन उसके लिए जन्नत बनी हुई है। वर्ष 2001 में भारतीय संसद पर हुआ आतंकी हमला भी आपको याद होगा इसकी स्क्रिप्ट जो थी वो आतंकी मसूद हजर ने लिखी थी। यह भी पाकिस्तान का मेहमान बनकर वहां घूम रहा है। इससे पहले वर्ष 2017 में लंदन ब्रिज अटैक भी हुआ। इसका मास्टरमाइंड भी खुर्रम शहजाद भट्ट था। वर्ष 2015 के पेरिस हमले की कहानी समझेंगे तो पता चलेगा कि आतंक का यह खेल अब्दुल हमीद अबऊद नाम के आतंकी ने किया था। वर्ष 2015 में शार्ली हेबद्दो के दफ्तर पर हमला हुआ। इसके मास्टरमाइंड कुआची ब्रदर्स थे। जिनका नाम था सईद कुआची और शरीफ कुआची और इसके अलावा वर्ष 2002 में अमेरिकी पत्रकार डेनियल प्ल्क की हत्या भी हुई।