देशभर के लोग अब आसानी से जम्मू-कश्मीर में बना सकेंगे घर, रियल सेक्टर क्षेत्र में हुआ बड़ा निवेश

By नीरज कुमार दुबे | Dec 28, 2021

जम्मू-कश्मीर सरकार ने जमीन जायदाद के क्षेत्र में निवेश करने वाले निवेशकों के साथ करीब 19,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले 39 समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर देश के रियल एस्टेट निवेशकों के लिये केंद्र शासित प्रदेश में निवेश के रास्ते खोल दिये हैं। ये समझौते आवास, होटल और वाणिज्यिक परियोजनाओं के विकास के लिए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने रियल एस्टेट शिखर सम्मेलन में समझौता ज्ञापनों पर हुए हस्ताक्षर को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए कहा कि यह केंद्र शासित प्रदेश में बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शिखर सम्मेलन के दौरान संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही यहां रियल एस्टेट से जुड़े कानून रेरा और आदर्श किराया कानून लागू कर चुकी है। सिन्हा ने कहा कि सरकार अन्य राज्यों की तरह जमीन, मकान और दुकान के पंजीकरण पर स्टाम्प शुल्क में छूट देगी और परियोजनाओं के तेजी से क्रियान्वयन को लेकर एकल मंजूरी व्यवस्था स्थापित करेगी। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने 39 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये। हमें 18,300 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले हैं।’’

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उद्योग संगठन नारेडको ने कहा है कि हीरानंदानी समूह, सिग्नेचर ग्लोबल, एनबीसीसी और रहेजा डेवनपर्स समेत कई कंपनियों ने 18,900 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव वाले समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये। अन्य रियल एस्टेट कंपनियों में सम्यक ग्रुप, रौनक ग्रुप, गोयल गंगा, जीएचपी ग्रुप और श्री नमन ग्रुप ने आवासीय परियोजनाओं के लिए शुरुआती समझौतों पर हस्ताक्षर किए। वहीं होटल परियोजना के लिए शैले होटल्स ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। उद्योग और वाणिज्य विभाग ने हल्दीराम समूह के साथ जम्मू-कश्मीर में इकाई लगाने को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किये। हम आपको बता दें कि इस सम्मेलन का आयोजन जम्मू-कश्मीर सरकार, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय तथा रियल एस्टेट कंपनियों के संगठन नारेडको ने किया था। इस दौरान उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि इन समझौतों से जम्मू-कश्मीर में रोजगार सृजन में मदद मिलेगी। उन्होंने घोषणा की कि इसी प्रकार का रियल एस्टेट सम्मेलन अगले साल 21-22 मई को श्रीनगर में होगा।

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इस अवसर पर संवाददाता सम्मेलन के दौरान विपक्षी दलों के विकास के नाम पर स्थानीय लोगों की जमीन हड़पने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा कि यह डर पैदा करने और लोगों को भड़काने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि इससे जनसंख्या संबंधी कोई परिवर्तन नहीं होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोग नहीं चाहते कि जम्मू-कश्मीर के लोगों को अन्य राज्यों की तरह सुविधाओं और विकास का लाभ मिले। उन्होंने कहा कि लोगों को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है और बेरोजगारी तथा विकास न होने के पीछे अन्य कारणों के अलावा यह भी एक वजह है। सिन्हा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में प्रतिभा और क्षमता की कोई कमी नहीं है और वह दिन दूर नहीं जब केंद्र शासित प्रदेश अन्य राज्यों के बराबर होगा।


हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने केंद्र शासित प्रदेश को रियल एस्टेट निवेशकों के लिए खोलने को लेकर प्रशासन पर निशाना साधा और आरोप लगाया है कि क्षेत्र की जनसांख्यिकी को बदलने के लिए ऐसा किया जा रहा है। उमर अब्दुल्ला ने ट्विटर पर लिखा, 'एक बार फिर सरकार की असली मंशा सामने आ गई है। लद्दाख के लोगों की जमीन, नौकरी, अधिवास कानून और पहचान को सुरक्षित रखते हुए, जम्मू-कश्मीर को बिक्री के लिए रखा जा रहा है। जम्मू के लोगों को सावधान रहना चाहिए। 'निवेशक' कश्मीर से बहुत पहले जम्मू में जमीन खरीदेंगे।' दूसरी ओर महबूबा ने ट्वीट किया, 'भारत के एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य को अमानवीय बनाने, अलग-थलग करने और कमजोर करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को अवैध रूप से रद्द कर दिया गया था। भारत सरकार की खुलेआम लूट और हमारे संसाधनों की बिक्री से पता चलता है कि इसका एकमात्र मकसद हमारी पहचान को खत्म करना और जनसांख्यिकी को बदलना है।'

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