कृषि वैज्ञानिकों ने मार्च में बड़े हुए तापमान को गेंहू की फसल के लिए बताया घातक, पैदावार और गुणवत्ता, दोनों पर पड़ेगा असर

By राजीव शर्मा | Mar 24, 2022

यूपी देश का सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादन करने वाला राज्य है। वेस्ट यूपी में गेहूं की औसत पैदावार सबसे अधिक है। यूपी के बाद पंजाब व हरियाणा गेहूं उत्पान में आते हैं। देश में कुल गेहूं उत्पादन का 30 प्रतिशत गेहूं अकेले यूपी में पैदा किया जाता है।लेकिन इस बार मार्च में ही उत्तर भारत के साथ -साथ वेस्ट यूपी में भी समय से पहले अधिक गर्मी पड़ने के कारण गेहूं का दाना सिकुड़ने की आशंका से कृषि विभाग के वैज्ञानिकों की चिंता बढ़ती नज़र आ रही है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मार्च के इस मौसम में औसत से 10 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान पहुंच रहा है,गेहूं की फसल की पैदावार पर तो इसका असर पड़ेगा ही,साथ ही गेहूं की गुणवत्ता भी कम रहेगी।


यूपी में सबसे अधिक गेहूं वेस्ट यूपी में पैदा किया जाता है। यहां की मिट्टी अधिक उपजाऊ होने के साथ ही सिंचाई के अधिक साधन हैं। गेहूं की औसत पैदावार मेरठ, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, मुरादाबाद और बरेली मंडल के जिलों में अधिक है। कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, झांसी, गोरखपुर और अन्य जिलों में गेहूं की औसत पैदावार कम रहती है। वेस्ट यूपी में गेहूं की औसत उपज 40 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि पूर्वांचल में यह उपज 35 कुंतल प्रति हेक्टेयर पर रह जाती है।वेस्ट यूपी में जहां सिंचाई के साधन अधिक हैं और उपजाऊ मिट्टी है वहां गेहूं एक हेक्टयर में 55 से 60 क्विंटल तक भी पैदा देता है। गेहूं की बुवाई अक्टूबर माह के आखिरी सप्ताह से लेकर 15 जनवरी तक की जाती है। 30 मार्च के बाद गेहूं की फसल पकने लगती है, जिन जिलों में गर्मी जल्दी पड़ती है। वहां गेहूं की फसल जल्दी पकने लगती है।


कृषि विभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रितेश शर्मा का कहना है कि गेहूं की फसल के लिए पर्याप्त समय मिलना चाहिए। वेस्ट यूपी में गन्ने की कटाई के बाद जनवरी में भी गेहूं की बुवाई की जाती है। बोवाई के समय तापमान 15 डिग्री सेल्सियस के आस-पास रहता है। फरवरी और मार्च में गेहूं की बाली निकलनी शुरू हो जाती है। इस मौसम में औसत तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस रहता था। मगर, इस बार तापमान 38 और 39 डिग्री सेल्सियस पहुंच रहा है। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष तापमान 10 डिग्री सेल्सियस अधिक है।जिस कारण कृषि विभाग के वैज्ञानिकों द्वारा माना जा रहा है कि समय से पहले अधिक गर्मी पड़ने के कारण गेहूं का दाना सिकुड़ जाएगा। साथ ही गेहूं की फसल समय से पहले पक जाएगी। जिससे गेहूं की चमक कम हो जाएगी। पैदावार घटना के साथ गुणवत्ता भी कम रहेगी। अधिक समय तक सर्दी पड़ने से दाना मोटा व चमकीला रहता है। लेकिन गर्मी में दाना सिकुड़ जाएगा। इससे गेहूं की क्वालिटी पर भी असर पड़ेगा। अगेती फसल में करीब 5 से 7 प्रतिशत कम पैदा होने का अनुमान है। जबकि पिछेती फसल जिसकी बुवाई जनवरी में हुई है उसमें एक चौथाई नुकसान होने की संभावना है।


वही मौसम विभाग के सुभाष का कहना है की इस बार होली के बाद अचाकन मौसम बदला है। 20 मार्च के बाद यूपी के अलग अलग जिलों में अधिक तापमान रहा है। मेरठ में तापमान 37 डिग्री तक पहुंच रहा है। लखनऊ, झांसी, आगरा, प्रयागराज व वाराणसी में तापमान 39 डिग्री को छू गया। अभी तो मार्च माह में एक सप्ताह बचा है। आने वाले दिनों गर्मी और भी अधिक पड़ेगी।


प्रमुख खबरें

केमिकल ट्रीटमेंट से खराब हुए बाल? तो हफ्ते में एक बार ये जादुई हेयर मास्क ट्राई करें, घर बैठे पाएं सिल्की-शाइनी बाल!

करोड़ों के अय्यर को बेंच पर बैठाएगी RCB? कुंबले बोले - जीतने वाली टीम से छेड़छाड़ क्यों करें

सर्दी की सुबह को बनाएं लाजवाब: मूली-चावल की पूड़ी का अनोखा स्वाद, जानें आसान रेसिपी

धीरेन्द्र शास्त्री का चेतावनी: खतरे में बांग्लादेश में हिंदुओं की पहचान, तुरंत एक्शन ले भारत