मोदी सरकार का कृषि अध्यादेश, क्यों हो रहा है विरोध और सरकार की क्या है दलील, विस्तार से जानें

By अभिनय आकाश | Sep 16, 2020

देश में कृषि ऑर्डिनेस लाये जाने के बाद से केंद्र सरकार का विरोध लगातार जारी है। दो-तीन राज्यों के किसान ज्यादा उद्दवेलित हैं। पंजाब, हरियाणा, हैदराबाद और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। तीन बिल हैं इससे जुड़े हुए किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020 जिसका विरोध हो रहा है। सबसे पहले आपको इन तीन बिलों के बारे में बताते हैं। 

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किसान उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश, 2020, राज्य सरकारों को मंडियों के बाहर की गई कृषि उपज की बिक्री और खरीद पर टैक्स लगाने से रोकता है और किसानों को लाभकारी मूल्य पर अपनी उपज बेचने की स्वतंत्रता देता है। सरकार का कहना है कि इस बदलाव के जरिए किसानों और व्यापारियों को किसानों की उपज की बिक्री और खरीद से संबंधित आजादी मिलेगी। जिससे अच्छे माहौल पैदा होगा और दाम भी बेहतर मिलेंगे।

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आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 

साढ़े छह दशक पुराने आवश्यक वस्तु अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी ताकि अनाज, दलहन और प्याज सहित खाद्य वस्तुओं को नियमन के दायरे से बाहर किया जा सके। आवश्‍यक वस्‍तु (संशोधन) विधेयक, 2020 अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेल, प्‍याज आलू को आवश्‍यक वस्‍तुओं की सूची से हटाने का प्रावधान करता है। इससे निजी निवेशकों को उनके व्‍यापार के परिचालन में अत्‍यधिक नियामक हस्‍तक्षेपों की आशंका दूर हो जाएगी। उत्‍पाद, उत्‍पाद सीमा, आवाजाही, वितरण और आपूर्ति की स्‍वतंत्रता से बिक्री की अर्थव्‍यवस्‍था को बढ़ाने में मदद मिलेगी और कृषि क्षेत्र में निजी क्षेत्र/विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश आकर्षित होगा।

मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश, 2020

'मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश-2020' में किसानों को पहले से तय मूल्य पर कृषि उपजों की आपूर्ति के लिए एक लिखित समझौता करने की अनुमति दी गयी है। केंद्र सरकार इसके लिए आदर्श कृषि समझौते के दिशानिर्देश जारी करेगी, ताकि किसानों को लिखित समझौते करने में मदद मिल सके। बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी और किसानों को अपनी फसल का बेहतर मूल्य मिलेगा। 

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क्या है किसानों की चिताएं

इन बिलों को लेकर जो सबसे बड़ी चिताएं किसानों की हैं वो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर हैं।  हालांकि एमएसपी बंद नहीं करने जा रही है सरकार। आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश को लेकर किसानों ने रिलायंस जियो का उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे पहले जियो आया और उन्होंने सस्ता दिया और बाद में धीरे-धीरे दाम बढ़ गए। किसानों का कहना है कि निर्याकतों को इस आवश्यक वस्तु (संशोधन) बिल से बाहर रख रहे हैं। जिसका मतलब है कि उनपर ये लागू नहीं होगा। वो जितना अनाज चाहे अपने साथ रख सकते हैं क्योंकि उन्हें निर्यात करना है। लेकिन किसानों पर ये पाबंदी लागू होगी कि वो एक तय लिमिट से ज्यादा नहीं रख सकते हैं। उन्हें लगता है कि प्राइवेट प्लेयर्स आएंगे और किसानों को सुविधाएं, पैसा देंगे लेकिन उसके बाद किसान उनके अधीन हो जाएंगे। जो वो कहेंगे उनकी शर्तों पर किसानों को रहना पड़ेगा। त्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक शिरोमणि अकाली दल ने भी विरोध किया. अकाली दल ने विधेयक और अध्यादेश को वापस लेने की सरकार से मांग की है। वहीं मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता अध्यादेश का विरोध करने वालों का दावा है कि अब निजी कंपनियां खेती करेंगी जबकि किसान मजदूर बन जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि इसमें एग्रीमेंट की समयसीमा तो बताई गई है लेकिन न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र नहीं किया गया है। 

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किसान बिल पर बीजेपी का पक्ष

इन विधेयकों पर जानकारी देते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। नड्डा ने बताया कि सरकार किसानों के हित में तीन विधेयक लेकर आई है। इन विधेयकों को कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि पहले इन विधेयकों का कांग्रेस द्वारा समर्थन किया जा रहा था, लेकिन अब इस पर राजनीति की जा रही है। नड्डा ने इन विधेयकों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि आवश्यक वस्तु विधेयक 1955 का है। उस दौरान उपज काफी कम हुआ करती थी, जो अब बहुत बढ़ गई है। इसलिए अब इस बिल में संशोधन करते हुए अपवाद की स्थिति को ध्यान में रखा गया है। अब इसमें निजी क्षेत्र भी निवेश कर पाएंगे। 

उन्होंने बताया कि किसानों के व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश के जरिए किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए सुविधा प्रदान की गई है। इसके पास होने के बाद किसान मंडी के बाहर भी अनाज बेच सकेंगे। इस बिल के जरिए ये जानकारी भी दी जाएगी कि किस जगह कितना दाम चल रहा है और आगे चलकर क्या दाम रहने वाला है। भाजपा अध्यक्ष ने बताया कि किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर आधारित है। यह विधेयक इसलिए जरूरी है क्योंकि देश में सब लोग खेती नहीं करते हैं, इसलिए इसके माध्यम से एक समझौता किया जाएगा। अगर कॉन्ट्रैक्ट खेती करने वाला जमीन पर कोई निवेश भी करता है तो ऐसी स्थिति में भी जमीन का मालिकाना हक किसान के पास ही रहेगा। 

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