कानूनी मामलों में AI और ChatGPT का हो रहा इस्तेमाल, जानें भारतीय अदालतों ने क्या कहा?

By Kusum | May 29, 2024

पिछले हफ्ते मणिपुर हाई कोर्ट ने एक बयान में कहा था कि एक मामले पर फैसला लेते समय उसे गूगल और चैटजीपीटी 3.5 के माध्यम से अतिरिक्त शोध करने के लिए मजबूर किया गया था। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब किसी हाई कोर्ट ने रिसर्च के लिए AI का इस्तेमाल किया है। बता दें कि, दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत में भी अदालतें न्यायिक कामों के लिए AI का इस्तेमाल किया जा रहा है। 


मणिपुर HC ने ChatGPT का इस्तेमाल किया?

36 वर्षीय जाकिर हुसैन को जनवरी 2021 में उनके जिले के ग्राम रक्षा बल (वीडीएफ) से "निष्कासित" कर दिया गया था। उस दौरान एक कथित अपराधी पुलिस स्टेशन से भाग गया था। वहां उस समय हुसैन ही ड्यूटी पर थे। लेकिन हुसैन को अपनी बर्खास्तगी के आदेश पत्र कभी नहीं मिला। 


वहीं हुसैन ने अपनी बर्खास्तगी को चुनौती देने के लिए मणिपुर हाई कोर्ट में गुहार लगाई। जिसके बाद दिसंबर 2023 में न्यायमूर्ति ए गुणेश्वर शर्मा ने पुलिस को "वीडीएफ कर्मियों की वापसी" की प्रक्रिया का विवरण देते हुए एक हलफनामा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। लेकिन प्रस्तुत हलफनामा अधूरा पाया गया और यह नहीं बताया गया कि वीडीएफ क्या था। इसने अदालत को आगे के शोध के लिए चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया।


वहीं, चैटजीपीटी ने कहा कि मणिपुर में वीडीएफ में "स्थानीय समुदायों के स्वयंसेवक शामिल हैं जो विद्रोही गतिविधियों और जातीय हिंसा सहित कई खतरों के खिलाफ अपने गांवों की रक्षा करने के लिए प्रशिक्षित और सुसज्जित हैं" जिसके बाद यही जानकारी न्यायमूर्ति शर्मा ने अपने फैसले में इस्तेमाल की थी।


आखिर में हाई कोर्ट ने मणिपुर गृह विभाग द्वारा जारी 2022 के एक ज्ञापन का हवाला देते हुए हुसैन की बर्खास्तगी को रद्द कर दी। जिसमें कहा गया था कि बर्खास्तगी पर, वीडीएफ कर्मियों को "कथित आरोपों के किसी भी मामले में स्पष्टीकरण देने का अवसर" दिया जाना चाहिए। जिसे याचिकाकर्ता को इस मामले में अस्वीकार कर दिया गया था। 

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