Yadav कथावाचक को Etawah में अपमानित किये जाने पर भड़के Akhilesh, बोले- प्रभुत्ववादी सीमा लांघते जा रहे हैं

By नीरज कुमार दुबे | Jun 24, 2025

उत्तर प्रदेश में इटावा जिले के दांदरपुर गांव में कथित तौर पर ब्राह्मण समुदाय के लोगों की ओर से यादव जाति के एक कथा वाचक और उसके सहयोगी का सिर मुंडवा देने की घटना ने राजनीतिक रूप से तूल पकड़ लिया है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया है कि घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर आया जिस पर संज्ञान लेते हुए पुलिस ने मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि यह घटना रविवार और सोमवार की मध्यरात्रि को हुई। इटावा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने पत्रकारों को बताया कि जिस व्यक्ति का सिर मुंडवाया गया था, उसकी शिकायत के आधार पर इटावा जिले के बकेवर थाने में मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि मुख्य आरोपी समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और अपर पुलिस अधीक्षक को घटना की जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसएसपी ने बताया कि उक्त घटना के संबंध में दूसरे पक्ष का कहना है कि कथावाचकों ने उनसे जाति छिपाई।


वहीं पत्रकारों से बातचीत में पीड़ित कथा वाचक ने कहा, ''मैं पहले एक निजी स्कूल संचालित करता था लेकिन सरकार ने स्कूल बंद करवा दिया, इसलिए मैं भागवत कथा करने लगा और कथा वाचक मुकुट मणि का सहायक बन गया।’’ उसने कहा, ‘‘हमें 21 जून से दांदरपुर गांव में भागवत कथा के लिए बुलाया गया था। हमसे हमारी जाति पूछी गई। इसके बाद मुझे पूरी रात प्रताड़ित किया गया और मेरे बाल मुंडवा दिए गए।’’ इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल पीड़ितों के साथ एसएसपी से मिला और उन्हें न्याय दिलाने की मांग की।

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वहीं समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए चेतावनी दी कि अगर तीन दिनों में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो ‘पीडीए के मान-सम्मान की रक्षा’ के लिए एक बड़े आंदोलन का आह्वान किया जाएगा। आज अखिलेश यादव ने लखनऊ में सपा कार्यालय में इटावा के पीड़ित कथावाचकों का सम्मान किया और उन्हें 21-21 हजार की मदद दी। साथ ही समाजवादी पार्टी की ओर से 51-51 हजार की आर्थिक सहायता देने की घोषणा भी की गयी। इस दौरान इन कथावाचकों से कथा सुनी गयी और इसके बाद अखिलेश यादव ने सवाल किया कि भागवत कथा सब सुन सकते हैं, तो सब बोल क्यों नहीं सकते? 

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