By अभिनय आकाश | Feb 08, 2025
“दिल्ली के लोगों की सेवा करनी है, मैं अकेला कुछ नहीं कर सकता। मैं बहुत छोटा आदमी हूं।” साधारण सी चप्पल, नीले रंग की स्वेटर, सफ़ेद कमीज और ढीला-ढाला पैंट पहने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद को परिभाषित करने के लिए न जाने कितनी बार इन शब्दों का इस्तेमाल किया होगा। अपने व्यक्तित्व और बोलने कि बेचारगी भरी शैली से किसी को भी पहली नज़र में वह किसी कक्षा के आज्ञाकारी छात्र प्रतीत हो सकते है। ईमानदारी वैसे तो एक शब्द है। लेकिन इस शब्द की ताकत के सहारे ही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी एक समय दिल्ली के दिलों को जीत कर सत्ता पर काबिज हुई थी। आंदोलन वाले केजरीवाल से सत्ता वाले केजरीवाल बनने के एक दशक बाद आज दिल्ली की जनता ने उन्हें विधानसभा से भी भेजने लायक नहीं समझते हुए बता दिया कि आरोप लगाने वाली राजनीति नहीं।
हिट एंड रन स्टाइल की राजनीति हुई एक्सपोज
अरविंद केजरीवाल की राजनीति का एक सीधा- साधा फॉर्मूला है जो बिल्कूल आसान है लाईट, कैमरा एक्शन और आरोप। चार शब्दों के इस फॉर्मूले के सहारे अरविंद केजरीवाल ने पहले अन्ना आंदोलन के जरिए पूरे देश में अपनी पहचान बनाई। जब वो अन्ना हजारे की बगल में बैठा करते थे फिर दिल्ली में अपनी राजनीति चमकाई जब उन्होंने अपनी खुद की राजनीतिक पार्टी बना ली। वो लगातार लोगों पर आरोपों के तीर मारकर भागते रहे। ये केजरीवाल की राजनिति का हिट एंड रन स्टाइल था। अरविंद केजरीवाल ने कॉमन वेल्थ घोटाले में शीला दीक्षित पर तमाम आरोप लगाए। लेकिन अपनी सरकार के दौरान शीला दीक्षित के खिलाफ न तो कुछ साबित कर पाए और न ही उन पर कोई कार्रवाई की। अरविंद केजरीवाल ने गैस प्राइसिंग को लेकर मुकेश अंबानी पर आरोप लगाए लेकिन अब तक कोई ठोस सबूत नहीं मिले। उन्होंने गैस प्राइसिंग पर पूर्व पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली पर आरोप लगाए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अरविंद केजरीवाल ने बाकायदा एक प्रेस कांफ्रेंस करके ट्रस्ट में हेराफेरी को लेकर पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद पर भी आरोप लगाए थे। ये मामला भी आगे नहीं बढ़ा और इसका कोई नतीजा नही निकला।
30 भ्रष्ट नेताओं की लिस्ट का क्या हुआ?
अरविंद केजरीवाल ने 30 भ्रष्ट नेताओं की एक लिस्ट जारी की थी जिसमें उन्होंने कई नेताओं का नाम लिया था। केजरीवाल इस लिस्ट के बारे में कुछ नहीं बोलते और जिन लोगों के नाम इस लिस्ट में शामिल थे उन के बारे में भी चुप रहे। इस लिस्ट में केजरीवाल ने नितिन गडकरी का नाम भी लिया था जिस पर नितिन गडकरी ने केजरीवाल को मानहानि का नोटिस भेजा था जिसकी वजह से केजरीवाल को जेल भी जाना पड़ा था। क्योंकि वो कुछ साबित नही कर पाए थे। केजरीवाल ने दूसरों पर लगाए आरोपों को ईटों की तरह इस्तेमाल करके अपनी राजनीति की दीवार खड़ी कर ली।
अपनी सीट नहीं बचा सके
अरविंद केजरीवाल नई दिल्ली सीट से दो बार के पूर्व भाजपा सांसद परवेश वर्मा से दोबारा चुनाव हार गए हैं, जिन्हें पार्टी ने पिछले साल लोकसभा चुनाव के लिए टिकट नहीं दिया था। केजरीवाल अपने प्रतिद्वंद्वी से लगभग 1,200 वोटों से पीछे रहे, जबकि कांग्रेस के संदीप दीक्षित तीसरे स्थान पर रहे। अरविंद केजरीवाल 2013 से नई दिल्ली सीट पर काबिज हैं, जब उन्होंने कांग्रेस की दिग्गज नेता और तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को हराकर यह घोषणा की थी कि दिल्ली में आप का एक दशक लंबा शासन क्या होगा।
जेल से ही सीएम मैं ही रहूंगा
शराब सेहत के लिए अच्छी नहीं होती है। लेकिन शराब ने एक राजनेता के राजनीतिक कैरियर को ही अनिश्चितताओं में डाल दिया। दिल्ली का शराब घोटाला जिसकी वजह से आप सरकार के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत कई दिग्गज नेताओं को जेल की हवा खानी पड़ी। एक समय आलम ये हो गया था कि केजरीवाल ये कहने पर मजबूर हो गए कि मैं जेल से ही सीएम रहूंगा। बाद में सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सशर्त बेल मिलने के बाद मजबूरी बस उन्होंने सीएम पद छोड़ने का ऐलान किया और आतिशी को बतौर सीएम आगे किया। लेकिन जनता सारी चीजों को बड़ी बारीकि से देख रही थी। कभी आरोप लगाकर ही इस्तीफा मांगने वाले केजरीवाल ने कैसे जेल जाने के बाद भी सीएम पद नहीं छोड़ा। छोड़ा भी तब जब सुप्रीम कोर्ट ने सीएम हाउस जाने तक पर पाबंदी लगा दी।