आज कामदा सप्तमी व्रत है, इस व्रत को करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है, तो आइए हम आपको कामदा सप्तमी व्रत के महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।
जानें कामदा सप्तमी व्रत के बारे में
कामदा सप्तमी व्रत हिन्दू धर्म अपना एक अलग महत्व रखता है। ज्योतिष शास्त्र में कामदा सप्तमी व्रत का विशेष महत्व होता है। कामदा सप्तमी व्रत पूर्णतयः भगवान सूर्य को समर्पित होता है। शास्त्रों में इस व्रत को कामना पूर्ति के लिए खास माना गया है। कामनाओं को पूरा करने वाला यह व्रत पूरे वर्ष भर चलने वाला व्रत होता है। यह व्रत प्रत्येक शुक्ल सप्तमी को किया जाता है और हर चौमासे अर्थात् हर चार माह में इस व्रत का पारण करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से स्वास्थ्य, धन, संतान और पद-प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। ब्रह्मा जी ने कामदा व्रत की महिमा और महत्व भगवान विष्णु जी बतायी थी।
कामदा सप्तमी का दिन विशेष रूप से भगवान सूर्य देव को समर्पित है। कामदा सप्तमी का व्रत भक्त मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु करते हैं। प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी यह व्रत किया जाता है और हर चौमासे यानी कि चार माह में व्रत का पारण करना चाहिए। कामदा सप्तमी का व्रत इस बार 16 मार्च 2024 को रखा जाएगा। कामदा सप्तमी व्रत की महिमा स्वयं ब्रह्मा जी ने अपने श्रीमुख से भगवान विष्णु को बतायी थी। इस व्रत को उन लोगों को करने से विशेष लाभ मिलता है जिन्हें संतान नहीं होती है और जिन्हें धन संबंधी समस्याएं लगातार बनी रहती है। ग्रहों के राजा भगवान सूर्यदेव का आर्शीवाद जीवन में आ रही सभी समस्याओं को दूर करने में मदद करता है।
कामदा सप्तमी का शुभ मूहूर्त
शुक्ल पक्ष सप्तमी
शनिवार, 16 मार्च 2024
15 मार्च 2024 रात्रि 10:09 बजे - 16 मार्च 2024 रात्रि 09:39 बजे
कामदा सप्तमी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति का जीवन उसके जन्म कुण्डली पर निर्भर करता है। जिन व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य नीच स्थान पर होता है उनके जीवन में काफी परेशानियां और धन आदि की हानि होती है। कामदा सप्तमी व्रत करने से इन सभी परेशानियों से निजात मिलता है। कामदा सप्तमी व्रत करने से व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य बलवान होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
कामदा सप्तमी व्रत में ऐसे करें पूजा
शास्त्रों के अनुसार कामदा सप्तमी का दिन खास होता है इस दिन विशेष पूजा करें। इसके लिए षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, “खखोल्काय नमः” मन्त्र से सूर्य भगवान की पूजा करें और अष्टमी को तुलसी दल के समान अर्क के पत्तों का सेवन करें। प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है सारा दिन “सूर्याय नमः” मन्त्र से भगवान का स्मरण किया जाता है। अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन किया जाता है। सूर्य भगवान् का पूजन करके आज घी, गुड़ इत्यादि का दान किया जाता है और दूसरे दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है।
कामदा सप्तमी से एक दिन पूर्व षष्ठी को एक समय भोजन करके सप्तमी को निराहार रहकर, 'खरखोल्काय नमः' मंत्र से सूर्य भगवान की पूजा की जाती है. प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है।
कामदा सप्तमी व्रत में करें इन नियमों का पालन, मिलेगा लाभ
पंडितों के अनुसार कामदा सप्तमी को निराहार व्रत करना होता है। प्रातः स्नानादि के बाद सूर्य भगवान की पूजा की जाती है। सूर्य भगवान का पूजन करके आज घी, गुड़ इत्यादि का दान किया जाता है। सारा दिन “सूर्याय नमः” मंत्र से भगवान का स्मरण किया जाता है। मंदिर के पुजारी को भोजन करवाकर दक्षिणा दें। अष्टमी को स्नान करके सूर्य देव का हवन पूजन करें। दूसरे दिन ब्राह्मणों का पूजन करके खीर खिलाने का विधान है।
कामदा सप्तमी व्रत के दिन इन मंत्रों का करें जाप
- सूर्य देव मंत्र - सहस्रकिरणोज्ज्वल। लोकदीप नमस्तेस्तु नमस्ते कोणवल्लभ.. अर्थ सहित
- प्रत्येक सुबह भगवान सूर्य देव मंत्रो को जाप करना चाहिए
- सूर्य नमस्कार मंत्र
- प्रज्ञा पाण्डेय