मां महागौरी देवी पार्वती का एक रूप हैं। पार्वती जी ने कठोर आराधना कर भगवान शिव को पति-रूप में पाया था। एक बार देवी पार्वती शंकर भगवान से रूष्ट हो गयीं। नाराज होकर तपस्या करने लगीं। जब भगवान शिव खोजते हुए उनके पास पहुंचें तो वहां पहुंच कर चकित रह गए। पार्वती जी का रंग और उनके वस्त्र और आभूषण से देखकर उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं। महागौरी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत तथा मृदुल स्वभाव की हैं। देवी की आराधना इस मंत्र से की जाती है “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”।
साथ ही मां महागौरी के विषय में एक और कथा भी प्रचलित है। एक बार एक शेर बहुत भूखा था और वह भोजन की खोज में वहां पहुंच गया जहां देवी तपस्या कर रही थीं। देवी को देखकर शेर की भूख बढ़ गयी लेकिन मां के तेज से वहीं बैठकर तपस्या खत्म होने का इंतजार करने लगा। बहुत देर तक प्रतीक्षा करने से वह कमज़ोर हो गया। महागौरी जब तपस्या से उठी तो शेर की दशा देखकर बहुत दुखी हुईं और उन्होंने उस शेर को अपना वाहन बना लिया।
महागौरी की पूजा का महत्व
देवी दुर्गा के आठवें रूप की पूजा करने से सभी ग्रह दोष दूर हो जाते हैं। विधिवत महागौरी की पूजा करने से दांपत्य जीवन, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि बढ़ती है। नृत्य, कला और अभिनय में अपना कैरियर बनाने वाले लोगों को महागौरी की उपासना से लाभ मिलता है। उनकी आराधना से त्वचा से जुड़े रोग भी खत्म हो जाते हैं।