By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Apr 30, 2018
नयी दिल्ली। दूरसंचार नियामक ट्राई ने कहा कि बिना नीलामी के 'बैकहॉल' स्पेक्ट्रम बैंड आवंटन की उसकी सिफारिश से दो टावरों के बीच मोबाइल फोन सिग्नल ले जाने की क्षमता बढ़ाने, कॉल ड्रॉप की समस्या कम करने और वॉयस एवं डेटा की गुणवता में सुधार करने में मदद मिलेगी। बैकहॉल से अभिप्राय इंटरनेट , वॉयस और वीडियो डेटा के एकसाथ पारेषण से है।
दूरसंचार विभाग के लिए शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय दूरसंचार आयोग वी-बैंड और ई-बैंड के स्पेक्ट्रम के आवंटन पर निर्णय लेने के लिए एक मई को बैठक कर सकता है। ट्राई की सिफारिश पर अत्यधिक कीमती स्पेक्ट्रम की नीलामी होनी है। ट्राई ने कहा कि यहां तक कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों में भी ई-बैंड और वी-बैंड का आवंटन बिना नीलामी के होता है क्योंकि इन एयरवेव्व का इस्तेमाल बैकहॉल के रूप में किया जाता है न कि उपभोक्ताओं के लिए सिग्नल पहुंचाने में किया जाता है।
ट्राई चेयरमैन आर एस शर्मा ने कहा कि नियामक ने सभी हितधारकों से परामर्श के बाद अगस्त 2014 में वी और ई बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटन पर अपनी सिफारिश दी थी। उन्होंने कहा कि सभी एयरवेव का उपयोग मोबाइल फोन पर सिग्नल पारेषण में होता है, इसे एक्सेस स्पेक्ट्रम कहा जाता है। बैकहॉल स्पेक्ट्रम का उपयोग एक्सेस से अलग है। एक्सेस एक क्लाउड की तरह है... जो कि क्षेत्र-वार होता है जबकि बैकहॉल का अर्थ प्वाइंट से प्वाइंट तक है।
शर्मा ने कहा कि 11 से 20 गीगाहर्ट्ज के बीच का बैकडॉल स्पेक्ट्रम आज भी केवल सुनिश्चित मूल्य पर दिया जाता है क्योंकि इसकी नीलामी नहीं की जा सकती। इसकी नीलामी व्यवहारिक नहीं है। ट्राई प्रमुख ने बैकहॉल पारेषण लाइनों की तरह है... एक बार जब आप वितरण लाइनों की क्षमता में वृद्धि करते हैं तो आपको पारेषण लाइनों की क्षमता में भी वृद्धि करने की आवश्यकता होती है।