China पर अमेरिका ने लगा दिया अब कौन सा नया बैन? ड्रैगन बोला- ये तो सीधा भेद-भाव है

By अभिनय आकाश | Jul 10, 2025

अमेरिका और चीन के बीच की अदावत तो किसी से छुपी नहीं है। डोनाल्ड ट्रंप भले ही जिनपिंग को भले ही पसंद करने की बात करते हो। लेकिन एक्शन उनकी बातों से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते। इसलिए तो पहला कार्यकाल हो या ट्रंप 2.0 चीन के प्रति अमेरिका का सख्त रवैया बदस्तूर जारी है। टैरिफ वॉर हो या ताइवान के प्रति चीन का एग्रेसिव नेचर अमेरिका का ड्रैगन के प्रति स्टैंड एकदम साफ रहा है। अब इसी क्रम में अमेरिका ने चीन पर नया बैन लगा दिया है। लेकिन इस बार मसला खरीद-बिक्री से जुड़ा है और वो भी जमीन से जुड़ा मसला है। ट्रंप 2.0 के आने के बाद नया फैसला ये लिया गया है कि अब चीन अमेरिका में कोई खेती की जमीन नहीं खरीद सकता है। चीन इस फैसले को लेकर कह रहा है कि ये तो सीधा भेद-भाव है। 

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अमेरिकी कृषि विभाग ने राष्ट्रीय कृषि सुरक्षा कार्य योजना (एनपीपी) की घोषणा की है, जो एक नई पहल है जिसका उद्देश्य अमेरिकी कृषि भूमि को विदेशी प्रभाव, विशेष रूप से चीन से बचाना है। रक्षा विभाग और गृह सुरक्षा विभाग सहित कई एजेंसियों के सहयोग से विकसित की गई इस योजना का उद्देश्य "चिंताजनक देशों" के विदेशी नागरिकों के साथ अनुबंध समाप्त करना और चीन को अमेरिकी कृषि भूमि खरीदने से रोकना है। कृषि सचिव ब्रुक रोलिंस ने वाशिंगटन डी.सी. में घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिकी कृषि का उद्देश्य केवल हमारे परिवारों का पेट भरना नहीं है, बल्कि हमारे राष्ट्र की रक्षा करना भी है। रोलिंस ने कहा कि चीनी नागरिकों के पास वर्तमान में 2,65,000 एकड़ से ज़्यादा अमेरिकी ज़मीन है, जिनमें से कुछ सैन्य ठिकानों के पास स्थित है। राष्ट्रीय कृषि कानून केंद्र के अनुसार, 20 से ज़्यादा राज्यों ने विदेशी ज़मीन के स्वामित्व पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। यूएसडीए की योजना में कांग्रेस से विदेशी ज़मीन के स्वामित्व पर राष्ट्रीय प्रतिबंध लागू करने का आह्वान किया गया है। 

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दरअसल, अमेरिकी सरकार ने हाल ही में ऐलान किया कि अब कोई भी चीनी कंपनी, संस्था या नागरिक अमेरिका में कृषि भूमि या खेती की जमीन नहीं खरीद सकेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला, खाद्य सुरक्षा पर खतरा और चीन से जुड़ी संस्थाओं पर शक को इस फैसले की वजह बताया जा रहा है। लेकिन बैन सिर्फ चीन तक सीमित नहीं है बल्कि एडवर्सियल कंट्रीज यानी दुश्मन देशों में गिने जाने वाले और भी देशों पर ये पांबदी लागू की जा सकती है। इनमें ईरान, रूस और उत्तर कोरिया शामिल हो सकते हैं। ये फैसला ऐसे वक्त में लिया गया जब डोनाल्ड ट्रंप दोबारा अमेरिका की सत्ता में काबिज होने के बाद अभी अपने सख्त टैरिफ को लेकर चर्चा में हैं।   

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