अमित शाह ने स्पीकर ओम बिरला से की मुलाकात, जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा?

By अभिनय आकाश | Jul 22, 2025

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके आवास पर मुलाकात की और सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस मुलाकात में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा होने की संभावना है, जिनके घर से इस साल की शुरुआत में जले हुए नोट मिले थे। इससे पहले सोमवार को 152 सांसदों द्वारा अध्यक्ष बिरला को हस्ताक्षरित ज्ञापन सौंपे जाने के बाद न्यायमूर्ति वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू हो गई। उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपने आवास पर बेहिसाब नकदी मिलने के बाद कदाचार के आरोपों के चलते पद से हटाए जाने का सामना कर रहे हैं। संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत दायर इस प्रस्ताव को भाजपा, कांग्रेस, टीडीपी, जेडी(यू), सीपीआई(एम) और अन्य दलों सहित विभिन्न दलों के सांसदों का समर्थन प्राप्त हुआ। हस्ताक्षरकर्ताओं में सांसद अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूडी, सुप्रिया सुले, केसी वेणुगोपाल और पीपी चौधरी शामिल हैं। 

इसे भी पढ़ें: 24 जुलाई को राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का अनावरण करेंगे अमित शाह, जानें क्या है इसकी मुख्य बातें

सोमवार देर रात उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफ़ा देने वाले जगदीप धनखड़ ने उच्च सदन में कहा कि उन्हें न्यायमूर्ति वर्मा को हटाने की मांग वाला एक प्रस्ताव मिला है, जिस पर 50 से ज़्यादा राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर हैं। चूँकि 152 लोकसभा सांसदों ने भी ऐसा ही प्रस्ताव दिया था, इसलिए उन्होंने महासचिव को महाभियोग प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए ज़रूरी कदम उठाने का निर्देश दिया। संविधान के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश को हटाने के लिए राष्ट्रपति के आदेश का पालन करना ज़रूरी है, जिसके पहले कम से कम 100 लोकसभा या 50 राज्यसभा सांसदों के हस्ताक्षर वाला प्रस्ताव होना चाहिए। प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए या नहीं, यह अध्यक्ष या सभापति तय करते हैं।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड को अटल जी ने बनाया, अब मोदी जी संवार रहे..., रुद्रपुर में बोले अमित शाह

जस्टिस वर्मा सुर्खियों में क्यों हैं? 

न्यायमूर्ति वर्मा 14 मार्च से सुर्खियों में हैं, जब एक आग लगने की घटना के बाद अग्निशमन दल और पुलिस उनके सरकारी आवास पर पहुँची थी। इसके बाद, वहाँ भारी मात्रा में अधजली नकदी बरामद हुई थी। उस समय, न्यायमूर्ति वर्मा दिल्ली उच्च न्यायालय में कार्यरत थे और बाद में उनका तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कर दिया गया था। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शील नागू की अध्यक्षता में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त एक जाँच पैनल ने 10 दिनों तक इस घटना की जाँच की। पैनल ने 55 गवाहों से पूछताछ की और आग लगने वाली जगह का निरीक्षण किया, जो कथित तौर पर 14 मार्च की रात लगभग 11.35 बजे लगी थी। इसकी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया कि न्यायमूर्ति वर्मा और उनके परिवार का उस स्टोर रूम पर गुप्त या सक्रिय नियंत्रण था जहाँ नकदी मिली थी, जिससे यह साबित हुआ कि उनका कदाचार इतना गंभीर था कि उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए। 

प्रमुख खबरें

New Zealand की आसान जीत, जैकब डफी ने झटके पांच विकेट और वेस्टइंडीज पर दबदबा

Vinesh Phogat की दमदार वापसी, 18 माह बाद कुश्ती में लौटेंगी, लॉस एंजेलिस 2028 की करेंगी तैयारी

Lionel Messi India Tour 2025: मेसी का भारत दौरा शुरू, चैरिटी शो और 7v7 मैच में लेंगे हिस्सा

IndiGo Flight Crisis: डीजीसीए ने सीईओ को तलब किया, जांच और मुआवज़े पर सवाल तेज