अर्थव्यवस्था पर विपक्ष को बहुत सुना होगा, अब देखिये नारायणमूर्ति, सुनील भारती मित्तल, दीपक पारेख क्या कह रहे हैं

By नीरज कुमार दुबे | Sep 24, 2022

सरकार चाहे किसी की भी हो वह यह दावा जरूर करती है कि उसके कार्यकाल में देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ बनी हुई है वहीं विपक्ष का काम जनता को यह बताना होता है कि अर्थव्यवस्था की हालत बेहद खराब है। अर्थव्यवस्था कैसी चल रही है और उसके आधार पर देश का भविष्य क्या और कैसा होगा इसके बारे में उद्योग जगत के दिग्गज लोग ही सही राय दे सकते हैं। इसलिए राजनेता क्या बोल रहे हैं इस पर मत जाइये और ऐसे कारोबारी दिग्गजों को सुनिये जिनका किसी खास राजनीतिक दल के साथ जुड़ाव नहीं रहा या जो बिल्कुल निष्पक्ष माने जाते हैं और जिनका औद्योगिक जगत में बड़ा योगदान रहा है।


शुरुआत करते हैं सूचना प्रौद्योगिकी कंपनी इंफोसिस के सह-संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति से। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के वक्त, जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे तब भारत में आर्थिक गतिविधियां 'ठहर" गईं थीं और निर्णय नहीं लिए जा रहे थे। हम आपको बता दें कि भारतीय प्रबंधन संस्थान- अहमदाबाद में युवा उद्यमियों और छात्रों के साथ बातचीत के दौरान नारायण मूर्ति ने यह बात कही। मूर्ति ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह एक असाधारण व्यक्ति थे और मेरे मन में उनके लिए बहुत सम्मान है। लेकिन यह बात भी सही है कि यूपीए के दौर में भारत ठहर गया था और निर्णय नहीं लिए जा रहे थे।

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मूर्ति ने साथ ही कहा कि आज दुनिया में भारत के लिए सम्मान का भाव है और देश अब दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है जोकि एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि एक समय पश्चिमी देश भारत को नीचा देखते थे लेकिन आज पूरी दुनिया में देश का सम्मान बढ़ा है और भारत जो बात कहता है उसे पूरी दुनिया सुनती है। मूर्ति ने कहा कि मोदी सरकार की मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के चलते वैश्विक स्तर पर भारत को अपना मुकाम हासिल करने में मदद मिली है।


एक प्रश्न के दौरान उन्होंने बताया कि जब वह लंदन में एचएसबीसी के बोर्ड सदस्य थे तब बैठकों के दौरान बोर्डरूम में भारत का नाम शायद ही कभी आता था, जबकि चीन का नाम अक्सर लिया जाता था। मूर्ति ने कहा कि अब यह युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि जब भी लोग किसी अन्य देश खासकर चीन का नाम लें तो भारत के नाम का भी उल्लेख जरूर होना चाहिए। उन्होंने अपना संदर्भ देते हुए कहा कि जब मैं आपकी उम्र का था तब हमारी ज्यादा जिम्मेदारी इसलिए नहीं थी क्योंकि तब भारत से बहुत उम्मीद नहीं की जाती थी लेकिन अब हालात बदल चुके हैं इसलिए आप सभी से पूरी दुनिया को बहुत उम्मीद है।


हम आपको बता दें कि भारत में कारोबार सुगमता के बारे में बदले माहौल की बात सिर्फ नारायण मूर्ति ने ही नहीं कही है बल्कि समय-समय पर उद्योग जगत के तमाम दिग्गज इस बात को स्वीकारते रहे हैं। अभी पिछले महीने ही जब 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी तब भारती इंटरप्राइजेज के संस्थापक और चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने एक बयान जारी करके कहा था कि एयरटेल की तरफ से स्पेक्ट्रम बकाया भुगतान करने के कुछ घंटों के भीतर ही हमें आवंटन संबंधी पत्र मिल गया था और इसके लिए अलग से कोई मशक्कत नहीं करनी पड़ी थी। सुनील भारती मित्तल ने कहा था कि बकाया भुगतान करने के बाद बिना राजनीतिक गलियारों के चक्कर लगाये स्पेक्ट्रम आवंटन संबंधी पत्र हाथ में आ गया था। उन्होंने बताया था कि दूरसंचार विभाग के साथ 30 साल से ज्यादा वर्षों के अनुभव में ऐसा उनके साथ पहली बार हुआ। उन्होंने इसे बड़ा बदलाव बताते हुए कहा था कि यही ईज ऑफ डूइंग बिजनेस है।

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इसके अलावा हाल ही में बैंकिंग कारोबार जगत के दिग्गज दीपक पारेख ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना करते हुए कहा था कि उन्होंने 8 साल में शानदार काम किया है और इसके लिए उन्हें कम से कम दो और कार्यकाल मिलने चाहिएं। हाउसिंग फाइनेंस कंपनी एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने शानदार काम किया है। उनके जीवन का एक ही उद्देश्य है कि देश आगे बढ़े, प्रगति करे और वह अपना सारा समय अपने इसी उद्देश्य पर खर्च करते हैं। यही नहीं, मोदी या राहुल गांधी में से कौन चाहिए... इस सवाल के जवाब में दीपक पारेख ने कहा था कि कुछ सोचने का सवाल ही नहीं है।


यह तो हमने आपको कुछ हालिया उदाहरण बताये। उद्योग जगत के समाचारों पर नजर दौड़ाएंगे तो एक बात साफ तौर पर उभर कर आयेगी कि अब कारोबार जगत के लोगों की इस प्रकार की शिकायतों के समाचार नहीं देखने को मिलते कि उनकी परियोजनाओं संबंधी मंजूरी की फाइलें सरकारी विभागों में लटकी हुई हैं या उन्हें अपने कारोबार के लिए मंजूरियां लेने के दौरान भ्रष्टाचार का शिकार बनना पड़ा। मोदी के राज में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस वाकई हकीकत बन चुका है। इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि देश में सिर्फ पुराने कारोबारी घरानों का ही कारोबार आगे नहीं बढ़ा है बल्कि देश के छोटे-छोटे शहरों और कस्बों से भी युवा बिजनेसमैन उभर कर आये हैं जिनके स्टार्टअप्स अब यूनिकॉर्न में तेजी से बदल रहे हैं। साथ ही यूनिकॉर्न की संख्या के मामले में हम चीन को पीछे छोड़ चुके हैं।


बहरहाल, नारायणमूर्ति ने युवाओं पर जो विश्वास जताया है, उस पर हमारे युवा निश्चित ही खरे उतरेंगे। वैश्विक महामारी के दौर में जब विश्व के सभी देश मंदी से जूझ रहे थे और दुनिया के अन्य देशों के लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था तब भारतीय युवाओं ने आपदा में अवसर तलाशते हुए अपने कौशल से विभिन्न तरह के कारोबार खड़े कर दिये। युवाओं ने भारत की अर्थव्यवस्था को दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनाने में जो योगदान दिया, उससे साबित हो गया है कि आने वाला कल भारत का ही है।


-नीरज कुमार दुबे

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