Anna Hazare Birthday: अन्ना हजारे को कहा जाता है आधुनिक भारत का गांधी, जन्मदिन पर जानिए रोचक बातें

By अनन्या मिश्रा | Jun 15, 2025

आज यानी की 15 जून को अन्ना हजारे का 88वां जन्मदिन है। उनको 21वीं सदी के लोकप्रिय भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का नायक कहा जाता है। अन्ना हजारे ने भारत की जनता को नया अधिकार दिलाने का काम किया और खुद को धूप में तपाया। इसलिए उनको 'आधुनिक भारत का गांधी' कहा गया है। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अन्ना हजारे के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...


जन्म और परिवार

महाराष्ट्र के अहिल्यानगर जिले के एक छोटे से गांव भिंगर में 15 जून 1937 को अन्ना हजारे का जन्म हुआ था। इनका पिता का नाम बाबूराव हजारे और मां का नाम लक्ष्मीबाई था। साल 1947 में जब अन्ना हजारे 9 साल के थे, तब एक रिश्तेदार उनको पढ़ाई के लिए मुंबई ले गए। क्योंकि रालेगण सिद्धि के पास कोई प्राइमरी स्कूल नहीं था। वहीं आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से वह बीच में ही पढ़ाई छोड़कर मुंबई के दादर स्टेशन पर फूल बेचने लगे।


भारतीय सेना में हुए शामिल

कद में छोटे होने के बाद भी अन्ना हजारे साल 1963 में भारतीय सेना में शामिल हुए। साल 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना खेमकरण सेक्टर में तैनात थे। इस जगह पर दुश्मन ने जोरदार हमला किया, जिसमें अधिकांश लोग मारे गए। लेकिन अन्ना हजारे ने मोर्चा संभाला औऱ जिंदा भी बच गए। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। यहीं से उन्होंने फैसला किया कि वह समाज के कल्याण के लिए अपना भावी जीवन समर्पित करेंगे।


नशे के खिलाफ छेड़ा अभियान

अन्ना हजारे ने गांव के लोगों को शपथ दिलाई कि वह शराब की लत से लड़ेंगे। जिसके परिणामस्वरूप गांव में 35 से ज्यादा शराब की दुकानें बंद कर दी गईं। अन्ना ने एक युवा संघ की स्थापना की, जिसने शराब के उन्मूलन की दिशा में काम किया और सिगरेट व तंबाकू की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।


सम्मान

अन्ना हजारे के इन्हीं प्रयासों के कारण साल 1990 में पूर्व राष्ट्रपति आर वेंकटरमन द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया। फिर साल 1992 में अन्ना हजारे को उनकी सामाजिक पहल के लिए 'पद्म भूषण' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।


जन लोकपाल के लिए अनशन

अन्ना हजारे द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबी लड़ाई साल 2011 में सुर्खियों में आई। इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले अन्ना हजारे संसद में लोकपाद विधेयक पारित कराने के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन में बैठे। इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, किरण बेदी और अन्य कई नाम शामिल थे। अन्ना हजारे ने केंद्र को अल्टीमेटम दिया कि यदि अगस्त 2011 तक विधेयक पारित नहीं हुआ, तो वह आमरण अनशन करेंगे।


हालांकि उनकी चेतावनियों को केंद्र सरकार ने नजरअंदाज कर दिया। जिसके बाद अन्ना हजारे ने अन्न त्याग दिया और भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन शुरू हुआ। एक साल के लंबे विरोध के बाद भारतीय संसद ने लोकपाल विधेयक को पारित किया। इस आंदोलन से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ।

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