विश्व कप में एक और उलटफेर, मोरक्को ने बेल्जियम को 2-0 से हराया

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 28, 2022

फीफा विश्व कप में रविवार को यहां एक और उलटफेर देखने को मिला जिसमें मोरक्को ने ग्रुप एफ में बेल्जियम को 2-0 से हरा दिया। इस हार से केविन डि ब्रून और 2018 के सेमीफाइनल में पहुंची बेल्जियम पर ग्रुप चरण में बाहर होने का खतरा छा गया है। कोई बड़ा खिताब नहीं जीतने वाली उम्रदराज सितारों की टीम के कई खिलाड़ियों के लिये यह संभवत: अंतिम विश्व कप होगा। मोरक्को के स्थानापन्न अब्देलहामिद साबिरी ने 73वें मिनट में बायीं ओर से फ्री किक पर गोल कर अपनी टीम को बढ़त दिलायी जो गोलकीपर थिबॉट कोर्टोइस के शरीर के नीचे आ गया।

टीम के लिये दूसरा गोल जकारिया अबोखलाल ने हाकिम जियेच के पास पर स्टॉपेज टाइम में किया जो नेट के ऊपरी हिस्से में लगा। ब्राजील के बाद दुनिया की दूसरी रैंकिंग की टीम बेल्जियम ने इस उलटफेर सेपहले विश्व कप में पिछले सात ग्रुप मैच जीते थे। यह मोरक्को की 1998 के बाद विश्व कप में पहली और कुल तीसरी जीत है। बेल्जियम अगर मोरक्को को हरा देती तो वह गत चैम्पियन फ्रांस के साथ नॉकआउट चरण में क्वालीफाई करने वाली दूसरी टीम बन जाती।

बेल्जियम अब ग्रुप के अपने महत्वपूर्ण अंतिम मैच में 2018 के फाइनल में पहुंची क्रोएशिया से भिड़ेगा जबकि मोरक्को का सामना कनाडा से होगा। मोरक्को के लिये पहले हाफ में जियेच के एक गोल को ऑफसाइड के बाद अमान्य करार कर दिया गया। जब बेल्जियम 0-1 से पिछड़ रही थी तो मैच खत्म होने से 10 मिनट पहले टीम के कोच रोबर्टो मार्टिनेज ने फॉरवर्ड रोमलू लुकाकु को स्थानापन्न के तौर मैदान पर उतारा।

लुकाकू बायें जांघ की समस्या के बाद वापसी कर रहे हैं और अक्टूबर से नहीं खेले हैं। बेल्जियम ने लुकाकू, डि ब्रून और इडेन हजार्ड के गोलों की बदौलत रूस में 2018 विश्व कप के सेमीफाइनल में जगह बनायी थी लेकिन चैम्पियन बनी फ्रांस से हार गयी थी। बेल्जियम की टीम ने पिछले साल की यूरोपीय चैम्पियनशिप में भी प्रभावित किया था जिसमें उसने पुर्तगाल को बाहर किया लेकिन क्वार्टरफाइनल में इटली से हार गयी थी। इटली ने फिर खिताब जीता था।

बेल्जियम को कतर में शुरूआती मैच में कनाडा पर 1-0 की जीत के लिये मशक्कत करनी पड़ी थी। बेल्जियम को अपने स्टार स्ट्राइकर लुकाकू की काफी कमी खली जिसने 2018 विश्व कप में चार और यूरो 2020 में चार गोल दागे थे। मोरक्को ने पहले मैच में क्रोएशिया से गोलरहित ड्रा खेला था और इसी आत्मविश्वास से खेलते हुए यहां जीत हासिल की। इससे उसकी 1986 के बाद पहली बार नॉकआउट दौर में पहुंचने की उम्मीदों को बल मिला है। टीम पहली बार 1986 में ही नॉकआउट में पहुंची थी।

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