अब्दुल्ला और मुफ्ती नमक यहाँ का खाते हैं पर गुणगान कहीं और का क्यों करते हैं?

By दीपक कुमार त्यागी | Oct 28, 2020

वर्ष 2019 में नरेंद्र मोदी सरकार के जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 हटाने के बेहद क्रांतिकारी निर्णय की वजह से घाटी में लंबे समय से भारत विरोधी दुकान चलाने वाले बहुत सारे अलगाववादी नेताओं के साथ-साथ आये दिन लोगों को बेवजह बरगलाने वाले मुफ्ती व अब्दुल्ला जैसे बहुत सारे राजनेताओं की भारत विरोधी सियासी दुकान पर ताला लग चुका है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के इस कदम से देश की भूमि पर बहुत लंबे अरसे से चली आ रही भारत विरोधी गतिविधियों व पाक परस्त सियासत का सफाया होना शुरू हो गया था। 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव के द्वारा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश करके, जम्मू कश्मीर राज्य से संविधान के अनुच्छेद-370 को हटाकर, राज्य का विभाजन जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख के दो केंद्र शासित क्षेत्रों के रूप में करने का प्रस्ताव केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के द्वारा किया गया था। तभी से राज्य में अनुच्छेद-370 पर सियासत करके अपनी दुकान चला रहे चंद राजनेता व कुछ लोग बहुत ज्यादा परेशान हैं। जिसके बाद राज्य में अमन-चैन स्थापित करने के उद्देश्य से व कुछ राजनेताओं के द्वारा भारत सरकार के विरुद्ध दुष्प्रचार फैलाने से रोकने के लिए राज्य के कुछ नेताओं को गिरफ्तार व घरों में नजरबंद किया गया था। जिसके परिणामस्वरूप सरकार ने वहां के शांति प्रिय निवासियों के समूह का विश्वास जीतने में काफी हद तक कामयाबी हासिल करने का काम किया था।

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लेकिन अफसोस की बात यह है कि तभी से ही राज्य में अनुच्छेद-370 और 35ए पर पीडीपी की महबूबा मुफ्ती और नेशनल कांफ्रेंस के उमर अब्दुल्ला व फारुख अब्दुल्ला की तरफ से बार-बार जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों को एकत्र करके अपने-अपने स्वार्थ सिद्ध करने के लिए राजनीति की जाती रही है। लेकिन अभी कुछ दिनों पूर्व महबूबा मुफ्ती के रिहा होने के बाद से ही उनके द्वारा की जा रही देश विरोधी बयानबाजी व फारुख अब्दुल्ला के बेहद जहरीले देश विरोधी तल्ख बयानों की वजह से अनुच्छेद-370 का यह समाप्त हुआ मसला जम्मू-कश्मीर के आवाम के साथ-साथ देश के आम लोगों व राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर जबरदस्त चर्चाओं में होकर अपने उफान पर है। अनुच्छेद-370 देश की एकता अखंडता संप्रभुता से जुड़ा हुआ बेहद भावनात्मक संवेदनशील मामला है, केन्द्र सरकार का इन चंद देश विरोधी हरकत करने वाले राजनेताओं के जहरीले बयानों पर तत्काल सख्ती से संज्ञान लेना जरूरी है। जिस तरह से महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला व जम्मू कश्मीर के अन्य कुछ राजनीतिक दल अपने क्षणिक राजनीतिक स्वार्थों की पूर्ति के लिए भारत विरोधी कार्य कर रहे हैं, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। राज्य के कुछ राजनेता आये दिन अनुच्छेद-370 और 35ए को समाप्त करने के मसले को एक वर्ष से अधिक समय बीतने के बाद बेवजह की जहरीली बयानबाजी करके और राजनीतिक दलों की आये दिन मीटिंग करके तूल देना चाह रहे हैं। इस स्थिति को जम्मू-कश्मीर के आवाम के हित में व देशहित में बेहद सख्ती के साथ जल्द से जल्द भारत सरकार को तत्काल रोकना होगा। क्योंकि अब बहुत लंबे अंतराल के बाद जम्मू-कश्मीर विकास की राह पर तेजी से दिन-प्रतिदिन अग्रसर हो रहा है। लंबे समय तक पाक परस्त आतंकवाद से जूझने के बाद, अब रोजाना तेजी से शांति के पथ पर अग्रसर हो रहे जम्मू-कश्मीर राज्य में, चंद सत्तालोलुप बेहद स्वार्थी राजनेताओं की वजह से किसी भी प्रकार का नया बखेड़ा खड़ा होना, वहाँ की आम जनता व देशहित में बिल्कुल भी उचित नहीं है।


जम्मू-कश्मीर की मौजूदा परिस्थितियों में हमारे देश के नीति-निर्माताओं के सामने विचारणीय प्रश्न यह है कि जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती का जेल से रिहा होने के तुरंत बाद बहुत तेजी से एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उससे कहीं ना कहीं मुफ्ती के छिपे हुए एजेंडा व देश विरोधी साजिश की बू आती है। जिस तरह से इस वीडियो में पिछले वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा 5 अगस्त 2019 के अनुच्छेद-370 व 35ए हटाने के फ़ैसले के खिलाफ़ संघर्ष करने के लिए राज्य के आम लोगों को उकसाने वाली बातें की गयी हैं, वह कोई साधारण बात नहीं है। वैसे भी सोचने वाली बात यह है कि जब देश बेहद घातक कोरोना महामारी से जूझ रहा है, उस समय अमन-चैन की राह पर चल रहे जम्मू-कश्मीर राज्य में इस तरह की जहरीले बयानों वाली ऑडियो क्लिप वायरल होना और पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला का देश विरोधी बयान आना आश्चर्यचकित करता है और उनकी भारत विरोधी मानसिकता को प्रदर्शित करता है। भारत सरकार को ध्यान रखना होगा कि कहीं पाकिस्तान परस्त चंद राजनेताओं के द्वारा एक बार फिर शांत हो चुके जम्मू-कश्मीर को सुलगाने की कोई गंभीर साजिश तो नहीं चल रही है, देश विरोधी कार्य करने वाले ऐसे चंद राजनेताओं व कुछ लोगों के खिलाफ सरकार को देशहित में सख्त से सख्त कदम उठाकर इस तरह की बन रहे हालात को तत्काल समय रहते रोकना होगा।

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जिस तरह से जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से रिहा होने के तुरंत बाद, अपनी अनुच्छेद-370 विरोधी रणनीति को अमली जामा पहनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उनके घर जाकर मिले थे, उस घटनाक्रम को देशहित में उचित नहीं कहा जा सकता है। महबूबा मुफ्ती के घर हुई इस मुलाकात में इन दोनों राजनेताओं ने 14 माह बाद रिहा हुई पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का हालचाल जाना और इसके साथ-साथ 4 अगस्त 2019 की ‘गुपकार घोषणा’ (Gupkar Declaration) पर आगे की रणनीति बनाने पर भी चर्चा की थी। उन्होंने ही उस समय 'गुपकार घोषणा' की आगामी मीटिंग में शामिल होने के लिए महबूबा मुफ्ती को आमंत्रित भी किया था, बाद में इस मीटिंग में जम्मू-कश्मीर के इन तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों के साथ-साथ अन्य कुछ राजनेता भी शामिल हुए थे और वहां पर अनुच्छेद-370 को राज्य में फिर से बहाल करने के लिए एक नया गठबंधन 'पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन' बनाया गया था। जिसके बाद से ही जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के बेहद ज्वंलत मुद्दे पर एकदम शांत हो चुके राज्य की राजनीति में अचानक जबरदस्त भूकंप आ गया है। हालांकि भारत सरकार राज्य की स्थिति पर एक-एक पल नजर बनाए हुए है और स्थिति पर सफलतापूर्वक पूर्ण नियंत्रण रखे हुए हैं।


वैसे राज्य की स्थिति देखकर हमारे देश के नीति-निर्माताओं के लिए विचारणीय बात यह है कि जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनेता हमेशा भारत विरोधी अपने विवादित बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं। यह लोग आये दिन जानबूझकर बार-बार बेहद विवादित और राष्ट्रविरोधी बयान देकर जम्मू-कश्मीर राज्य का माहौल खराब करना चाहते हैं। ऐसी परिस्थिति में आज फिर भारत सरकार के सामने बेहद अहम सवाल यह है कि आखिरकार क्यों व किस उद्देश्य से जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनेता अक्सर देशविरोधी बयान देते रहते हैं। अब देशहित व जम्मू-कश्मीर की जनता के हित में समय आ गया है कि देशभक्त जनता के सामने इस तरह के चंद राजनेताओं की पोल खुलनी चाहिए, सभी देशवासियों को पता लगना चाहिए कि आखिरकार इन चंद राजनेताओं की आस्था भारत के संविधान की बजाय किसी और दुश्मन देश से क्यों जुड़ी हुई है और किस लोभ-लालच के चलते जुड़ी हुई है। भारत के दुश्मन देशों के प्रति जम्मू-कश्मीर के कुछ राजनेताओं का प्यार समझ से परे है और यह कृत्य हर-हाल में देश विरोधी गतिविधि के दायरे में आता है। राज्य के चंद राजनेता व कुछ लोग जिस तरह से नमक भारत का खाते हैं और आये दिन गुणगान हमारे दुश्मन देश पाकिस्तान व चीन का करते हैं, वह अब 21वीं सदी के आधुनिक भारत में बिल्कुल भी नहीं चलेगा। भारत सरकार को जम्मू-कश्मीर की देशभक्त जनता के हित में तत्काल ऐसे देशद्रोही चंद राजनेताओं व कुछ लोगों के सुधार के लिए तत्काल प्रभावी कदम उठाकर, देश की एकता, अखंडता व संप्रभुता को दृढ़तापूर्वक सुरक्षित रखने के लिए प्रभावी स्थाई कदम उठाने चाहिए।


-दीपक कुमार त्यागी

(स्वतंत्र पत्रकार, स्तंभकार व रचनाकार)

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