By अनन्या मिश्रा | Sep 12, 2025
सनातन धर्म में हर साल 4 नवरात्रि पड़ती हैं। जिनमें से दो गुप्त और दो सामान्य होती हैं। गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ महीने में पड़ती हैं। तो वहीं सामान्य नवरात्रि चैत्र और आश्विन माह में पड़ती हैं। साल 2025 में आश्विन माह की शुक्ल पक्ष से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। इस बार 22 सितंबर 2025 की सुबह 01:23 मिनट से आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरूआत हो रही है। ऐसे में 22 सितंबर 2025 से शारदीय नवरात्रि की शुरूआत हो रही है। वहीं 01 अक्तूबर 2025 को महानवमी के दिन इसकी समाप्ति होगी।
श्रीमद् देवीभागवत महापुराण के मुताबिक देवी मां का आगमन किस वाहन पर होगा यह उस दिन पर तय होता है, जिस दिन से नवरात्रि की शुरूआत होती है। यानी की अगर नवरात्रि की प्रतिपदा सोमवार या रविवार के दिन पड़ती है, तो इसका अर्थ है कि मां दुर्गा गज यानी की हाथी पर आरूढ़ होती हैं। शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के आगमन और विदाई के वाहन का विशेष महत्व माना जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरूआत सोमवार से हो रही है, तो मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी। हाथी पर मां का आगमन शुभ माना जाता है। जोकि समृद्ध फसल, अच्छी वर्षा, आर्थिक स्थिरता और शांति का प्रतीक है।
नवरात्रि की शुरूआत घटस्थापना के साथ होती है। जोकि प्रतिपदा तिथि पर की जाती है। इस बार घटस्थापना 22 सितंबर 2025 की सुबह या दोपहर में होगी। इस अनुष्ठान में एक कलश में जौ बोए जाते हैं, जोकि मां दुर्गा की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक होते हैं। घटस्थापना घर में पॉजिटिव एनर्जी का संचार करती है और 9 दिनों तक मां की उपस्थिति सुनिश्चित करती है। यदि शुभ मुहूर्त में पूजा संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में पूजा संपन्न किया जा सकता है।
शारदीय नवरात्रि में पूजा और उपायों का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। फिर एक वेदी पर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें और घटस्थापना करें। एक कलश में सुपारी, जल, सिक्का और जौ डालकर इसको लाल वस्त्र से सजाएं। हर दिन सुबह और शाम को मां दुर्गा की आरती करें और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। फिर मां दुर्गा को विशिष्ट भोग अर्पित करें।
नवरात्रि के 9 दिनों तक दीपक जलाएं और देवी मां का ध्यान करें। इस दौरान व्रत करने वाले जातक सात्विक भोजन ग्रहण करें और फिर अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन किया। इस दौरान नौ कन्याओं को भोजन कराएं और उनको गिफ्ट दें।