केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ शरद पवार से मिले अरविंद केजरीवाल, जानें क्या हुई दोनों नेताओं की बात

By अंकित सिंह | May 25, 2023

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे से मिलने के एक दिन बाद, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल गुरुवार को मुंबई के यशवंतराव चव्हाण केंद्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, आप सांसद राघव चड्ढा, दिल्ली की मंत्री आतिशी और पार्टी के अन्य नेता भी मौजूद रहे। यशवंतराव चव्हाण केंद्र पहुंचने पर एनसीपी नेताओं ने आप नेताओं का स्वागत किया। दिल्ली को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।

 

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एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश में संकट है और यह दिल्ली तक सीमित मुद्दा नहीं है। एनसीपी और महाराष्ट्र की जनता केजरीवाल का समर्थन करेगी। हम केजरीवाल का समर्थन करने के लिए अन्य नेताओं से भी बात करेंगे। हमें सभी गैर-बीजेपी पार्टियों को एक साथ लाने पर ध्यान देना चाहिए। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि शरद पवार जी ने हमें आश्वासन दिया है कि दिल्ली सरकार के खिलाफ केंद्र के अध्यादेश को बदलने वाले बिल को राज्यसभा में हराने में एनसीपी हमारा समर्थन करेगी। हम सभी गैर-बीजेपी दलों से समर्थन इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं।  

 

केजरीवाल का यह दौरा कोलकता से शुरू हुआ है। उन्होंने सबसे पहले ममता बनर्जी से मुलाकात की थी। इसके बाद वह मुंबई पहुंचे थे। बुधवार को उन्होंने उद्धव ठाकरे से मुलाकात की थी।  मुंबई में शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके आवास पर हुई मुलाकात के बाद केजरीवाल ने कहा कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर राज्य सरकारों को गिराया जा रहा है। वहीं, उद्धव ने केजरीवाल से मुलाकात के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए कहा कि हम उन ताकतों को हराने के लिए एक साथ आए हैं, जो लोकतंत्र के खिलाफ हैं। 

 

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केंद्र सरकार भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ प्रशासनिक कार्यवाही के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के वास्ते 19 मई को एक अध्यादेश लेकर आई थी। इससे एक हफ्ते पहले ही उच्चतम न्यायालय ने पुलिस, लोक सेवा और भूमि से संबंधित विषयों को छोड़कर बाकी सभी मामलों में सेवाओं का नियंत्रण दिल्ली की चुनी हुई सरकार को सौंप दिया था। किसी अध्यादेश को छह महीने के भीतर संसद की मंजूरी मिलना आवश्यक होता है। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार संसद के मानसून सत्र में इस अध्यादेश से संबंधित विधेयक पेश कर सकती है।

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