By अभिनय आकाश | May 20, 2021
इजरायल और फिलिस्तीन एक दूसरे पर मिसाइलें दाग रहे हैं। मिसाइलों की गूंज भले ही दुनिया के दूसरे देशों तक न पहुंचे पर दागी जा रही मिसाइलों की तपिश साफ महसूस की जा सकती है। इजरायल के मुताबिक हमास ने करीब 3 हजार रॉकेट उन पर दागे हैं, जिसमें दस से ज्यादा लोग मरे हैं। जवाबी कार्रवाई में इजरायल की सेना हवाई हमलों के जरिए गाजा की इमारतों को निशाना बना रही है। हमास और इजरायल दोनों ही अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सीजफायर की अपीलों को नजरअंदाज कर रहे हैं। अनुमान जताया जा रहा है कि यह हिंसा कुछ दिनों तक नहीं बल्कि कुछ हफ्तों तक चल सकती है। इजरायल और फिलिस्तीन मुद्दे पर जहां एक तरफ पाकिस्तान, तुर्की समेत ज्यादातर मुस्लिम देश फिलिस्तीन का साथ दे रहे हैं वहीं अमेरिका, अलबेनिया, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, ब्राजील, कनाडा, कोलंबिया, साइप्रस, जॉर्जिया, जर्मनी, हंगरी, इटली, स्लोवेनिया और यूक्रेन समेत कई देश इजरायल के साथ खड़े हैं। लेकिन भारत ने दोनों देशों से शांति बनाए रखने की अपील की। भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में इस मुद्दे पर अपने विचार रखें। भारत में इस वक्त इजरायल और फिलिस्तीन संघर्ष को लेकर सोशल मीडिया का बाजार दो धड़ों में बंटा हुआ है। एक धड़ा इजरायल की कार्रवाई अपनी सुरक्षा के लिए उठाया गया कदम बताया जा रहा है तो दूसरे धड़े की ओर से फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्ट किए जा रहे हैं। इन सब से इतर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का एक वीडियो खूब वायरल हो रहा है। जिसमें उन्हें फिलिस्तीन के पक्ष में बात करते हुए सुना जा सकता है। क्या है उस वीडियो में आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
इजरायल- फिलिस्तीन मुद्दे पर अटल के बेबाक विचार
अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि अरबों की जिस जमीन पर इजरायल कब्जा करके बैठा है, वो जमीन उसको खाली करनी होगी। आक्रमणकारी आक्रमण के फलों का उपभोग करे, ये हमें अपने संबंध में स्वीकार नहीं है। तो जो नियम हम पर लागू है, वो औरों पर भी लागू होगा। जो फिलिस्तीन है और जो फिलिस्तीनी है, उनके उचित अधिकारों की प्रस्थापना होना चाहिए। इजरायल के अस्तित्व को सोवियत रूस, अमेरिका ने भी स्वीकार किया है। हम भी स्वीकार कर चुके हैं।
जनता पार्टी की विजय रैली में दिया था भाषण
अटल बिहारी वाजपेयी 1977 के लोकसभा चुनावों में जनता पार्टी की जीत के बाद नई दिल्ली के रामलीला मैदान में भाषण दे रहे थे। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने 270 सीटें जीती थीं। जिसके बाद अपने दम पर जनता पार्टी ने पहली बार केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार का गठन किया था। इस दौरान वाजपेयी ने अपने भाषण में इजरायल-फिलिस्तीन के बारे में नई सरकार के सोच को बताते हैं। इस दौरान वो भारत में आपसी भाईचारे की बात करते हुए कहते हैं कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध, जैन सहित विभिन्न मत को मानने वाले इस देश के निर्माण में अपना योगदान देंगे। इसी दौरान उन्होंने इजरायल और फिलिस्तीन के मुद्दे का भी जिक्र किया।
फिलिस्तीन और भारत के संबंध
भारत और फिलिस्तीन के रिश्तों की बात करें तो सत्तर के दशक में फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के अगुवा यासिर अराफात के रहते हुए भारत के साथ उनके रिश्ते काफी बेहतर थे। यासिर अराफात इंदिरा गांधी को अपनी बड़ी बहन मानते थे और जब वो भारत आते थे तो एयरपोर्ट पर उन्हें लेने इंदिरा गांधी खुद जाया करती थी। 1988 में फिलिस्तीन को बतौर राष्ट्र मान्यता देने वालों में भारत पहली पंक्ति में खड़ा था।