बैंक यूनियन ने चुनावी बॉन्ड पर और समय मांगने के लिए SBI की आलोचना की

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Mar 07, 2024

मुंबई। विपक्षी दलों के बाद अब एक राष्ट्रीय बैंक यूनियन ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा चुनावी बॉन्ड मामले में उच्चतम न्यायालय से अधिक समय की अपील करने पर आपत्ति जताई है। उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक को चंदा देने वाले लोगों के साथ इसे प्राप्त करने वाले राजनीतिक दलों का ब्योरा देने का निर्देश दिया था। बैंक एम्प्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव हरि राव ने बुधवार को एक कड़े बयान में कहा कि हम राजनीतिक उद्देश्य के लिए बैंकों का इस्तेमाल करने का विरोध करते हैं। 


राव ने कहा, ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के रूप में एसबीआई को चुनावी बॉन्ड के सभी विवरणों का खुलासा करना चाहिए और चुनाव आयोग को इसे पेश करना चाहिए।...जैसा कि शीर्ष अदालत ने निर्देश दिया है, क्योंकि विलंबित न्याय का मतलब न्याय नहीं मिलना है।’’ भारतीय स्टेट बैंक ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड के ब्योरे का खुलासा करने के लिए 30 जून तक का समय मांगा है। पिछले महीने अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने एसबीआई को छह मार्च तक भारत के चुनाव आयोग को इसका ब्योरा देने का निर्देश दिया था। 


कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा था कि चुनावी बॉन्ड योजना पर भाजपा की स्थिति लोकतांत्रिक नहीं है। इसमें सभी के लिए समान अवसर नहीं है। उन्होंने कहा था, ‘‘नरेन्द्र मोदी सरकार चुनावी बॉन्ड के माध्यम से अपने संदिग्ध लेनदेन को छिपाने के लिए देश के सबसे बड़े बैंक को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है।’’ कांग्रेस के अनुसार, 2017 में चुनावी बॉन्ड योजना शुरू होने के बाद से पिछले वित्त वर्ष तक सभी राजनीतिक दलों को कुल मिलाकर 12,000 करोड़ रुपये से अधिक का चंदा मिला है। इसमें अकेले भाजपा को 6,566.11 करोड़ रुपये मिले है, जो कुल चुनावी बॉन्ड का 55 प्रतिशत है। वहीं कांग्रेस को कुल राशि का नौ प्रतिशत यानी 1,123.29 करोड़ रुपये मिला है।। 

 

इसे भी पढ़ें: IOC अब बनाएगी फॉर्मूला वन रेसिंग में इस्तेमाल होने वाले ईंधन


फेडरेशन के नेता राव ने कहा कि एसबीआई का यह तर्क कि कुछ ब्योरे को भौतिक रूप में एकत्रित किया जाता है और सीलबंद कवर में रखा जाता है, ने डिजिटल युग में विशेष रूप से बैंक क्षेत्र में कई लोगों को हैरान कर दिया है। क्योंकि इस बारे में ज्यादातर जानकारी माउस के एक क्लिक पर उपलब्ध होती है। सरकार को बड़ा झटका देते हुए एक ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि यह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ-साथ सूचना के अधिकार के संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन करता है। शीर्ष अदालत को अभी एसबीआई की याचिका पर सुनवाई करनी है।

प्रमुख खबरें

Lok Sabha Election 2024 Exit Poll: एग्जिट पोल में दिखी भाजपा की आंधी, पीएम मोदी के रिकॉर्ड तीसरे कार्यकाल की भविष्यवाणी!

लोकसभा चुनाव के लिए मतगणना चार जून को सुबह आठ बजे से शुरू होगी: Election Commission

India में पिछले तीन महीनों में भीषण गर्मी की चपेट में आने से 56 लोगों की हुई मौत: Health Ministry

BJP ने शासन-प्रशासन का दुरुपयोग किया, चुनाव आयोग कार्रवाई के मामले में सुस्त रहा : Akhilesh