बैंकों के फंसे कर्ज का संकट खत्म होने में विलंब संभव: फिच

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Jan 31, 2017

रेटिंग एजेंसी फिच ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी के ‘व्यवधानकारी प्रभावों’ के चलते बैंकों के कर्जों की गुणवत्ता में सुधार की प्रक्रिया में और विलंब हो सकता है। उसका कहना है कि फंसे ऋण की वसूली स्थिति पर नोटबंदी का असर क्या रहा है, यह बात जनवरी-मार्च के तिमाही परिणामों में दिखने लगेगी। फिच के एक बयान में कहा गया है, ‘‘नोटबंदी से बैंकों की परिसम्पत्तियों की गुणवत्ता सुधरने में और देरी हो सकती है क्योंकि नकदी के कारण देश की विशाल असंगठित अर्थव्यवस्था पर व्यवधानकारी प्रभाव हुआ है।’’

 

इसके अनुसार भारतीय बैंकों के संकटग्रस्त ऋणों का अनुपात मार्च 2017 की समाप्ति पर कुल दिए गए कर्ज के 12 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। यह पिछले साल मार्च के अंत में 11.4 प्रतिशत था। नवंबर 2016 में बैंकों के ऋण कारोबार में वृद्धि 4.8 प्रतिशत रही जबकि अक्तूबर में यह 6.7 प्रतिशत थी। एजेंसी का मानना है कि इस वित्त वर्ष में ऋण की वृद्धि दर पहले के 10 प्रतिशत के अनुमान से भी कम रहेगी और यह पिछले वित्त वर्ष के 8.8 प्रतिशत से भी कम रह सकती है।

 

प्रमुख खबरें

बांग्लादेशी नेता हादी हत्याकांड: मुख्य आरोपी भारत में शरण में, ढाका पुलिस ने किया बड़ा खुलासा

ट्रंप–जेलेंस्की मुलाकात से शांति की उम्मीद, यूक्रेन युद्ध पर निर्णायक बातचीत की तैयारी

कोल इंडिया की आठ सहायक कंपनियों को शेयर बाजार में उतारेगी सरकार, पारदर्शिता पर जोर

IPO की तैयारी में Zepto, 10 मिनट डिलीवरी का स्टार्टअप बड़े दांव के लिए तैयार, शेयर बाजार में खलबली!