बस्तर में कहानियाँ और कला दोनों है: बोइशाली सिन्हा

By दिनेश शुक्ल | Jun 29, 2020

जगदलपुर। बस्तर टॉक के पहले सीजन में अंतरराष्ट्रीय फिल्म कला निर्देशिका बोइशाली सिन्हा ने 'सिनेमा में कला का सौन्दर्यबोध' विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा कि बस्तर के जीवन में कहानियां और समृद्ध लोककला दोनों हैं।जो हमेशा समाज और सिनेमा को प्रभावित करती रही है। हर दौर में बस्तर विश्व सिनेमा का साक्षी रहा है और भविष्य में भी रहेगा। उन्होंने कहा कि सिनेमा समाज की साझा संस्कृति है और उसे हम समझने के लिए ही सिनेमाघरों तक जाते रहे हैं। लेकिन अभी के हालत में सिनेमा के स्वरूप में काफी बदलाव आ रहा है। उसके निमार्ण से लेकर उसकी प्रदर्शन की प्रक्रिया में काफी परिवर्तन दिख रहा है। 

 

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बोइशाली सिन्हा ने कहा कि हम सिनेमा के स्क्रीन पर अपने इर्द-गिर्द की कहानियों को खोजते हैं। उन कहानियों में उस समय की कला, संस्कृति व जीवन को दिखाना हर कला निर्देशिक के लिए बड़ी चुनौती होती है। उन्होंने कहा कि इस समय सिनेमा एक नए दौर की ओर है। वेब सीरीज व सोशल मीडिया ने सिनेमा के लिये एक नया बाजार खड़ा किया है। कला निर्देशिका बोइशाली सिन्हा ने कहा कि हमारी परंपराएं व लोक कलाओं की अनुभूति ही हमारी दृष्टि है। बस्तर हमेशा अपने सौंदर्य और सिनेमा के लिए प्रसिद्ध रहा है। चाहे एक दौर में बनी कस्तूरी फिल्म की बात हो या वर्तमान के दौर की फिल्म न्यूटन की। यहां की सुंदरता और लोकजीवन ने सबको प्रभावित किया है। इसलिए बस्तर में सिनेमा को लेकर काफी संभावनाएं हैं। 

 

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उन्होंने कहा कि हमें सिनेमा के क्षेत्र में आने से पहले पूरी तरह से तैयार करनी चाहिए और एक मजबूत आत्मविश्वास भी होना चाहिए। हमेशा सिनेमा का स्क्रीन संघर्ष मांगता है। निर्देशिका बोइशाली सिन्हा की हाल ही फिल्म "एलेक्सेज स्ट्रिप" स्पेन व कई देशों में प्रदर्शित हुई है। इसके अलावा उन्होंने बालीवुड की मशहूर फिल्म राउडी राठौर, गब्बर इज बेक, स्पेशल 26 जैसी फिल्मों में अपने कलात्मक सोच को पर्दे पर उतारने की कोशिश की है।


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