By अनन्या मिश्रा | May 06, 2025
आज ही के दिन यानी की 06 मई को कोल्हापुर की रियासत के पहले महाराजा मराठा छत्रपति शाहू महाराज का निधन हो गया था। वह भोंसले राजवंश से थे। वह सिर्फ एक महान योद्धा ही नहीं बल्कि दूरदर्शी नेता और समाज सुधारक भी थे। उन्होंने समाज को बदलने के लिए शिक्षा समेत कई मुद्दों को अहमियत दी थी। तो आइए जानते हैं उनकी डेथ एनिवर्सरी के मौके पर छत्रपति शाहू महाराज के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में...
जन्म और परिवार
कोल्हापुर में 26 जून 1874 को छत्रपति शाहूजी महाराज का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम श्रीमंत जयसिंह राव आबा साहब घाटगे और मां का नाम राधाबाई साहिबा था। उनकी शुरूआती शिक्षा राजकोट में राजकुमार कॉलेज से हुई थी। वहीं उच्च शिक्षा के लिए वह 1890 से लेकर 1894 तक धाड़बाड़ में रहे। इस दौरान उन्होंने इतिहास, अंग्रेजी और कारोबार चलाने की शिक्षा प्राप्त की। वहीं अप्रैल 1897 में उनकी शादी लक्ष्मीबाई से हुई थी।
उठाए कई अहम कदम
उन्होंने 20 साल की उम्र में कोल्हापुर का राजकाज संभाला। उन्होंने अपने शासनकाल में लगे सभी ब्राह्मणों को हटा दिया। साथ ही बहुजन समाज को मुक्ति दिलाने के लिए क्रांतिकारी कदम उठाया। इसके साथ ही उन्होंने शूद्रों और दलितों के लिए शिक्षा का दरवाजा खोला। आमतौर पर राजाओं को जबरन वसूलने और हड़पने के लिए जाने जाते थे। लेकिन शाहू महाराज ने अपने शासन काल के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं किया।
उन्होंने अपने कार्यकाल में राज्य में कई परिवर्तन किए और इन परिवर्तन का उद्देश्य समाज के सभी जाति के लोगों की सहभागिता चाहते थे। छत्रपति शाहूजी महाराज ने नीचे तबके के लोगों के लिए आरक्षण का कानून बनाया और इस कानून के तहत बहुजन समाज के लोगों को 50 फीसदी आरक्षण दिया गया।
शाहू महाराज ने दलितों को समाज में सम्मान और हक दिलाने में उनकी मदद की। लेकिन इस बात को ब्राह्मण समाज को बर्दाश्त नहीं कर पाए। शाहू महाराज के जीवन पर ज्योतिबा फूले का काफी गहरा प्रभाव था। फूले के निधन के बाद महाराष्ट्र में चले सत्य शोधक समाज आंदोलन चलाने वाला कोई नायक नेता नहीं था। साल 1910 से 1911 तक शाहू महाराज ने इस आंदोलन का अध्ययन किया। राजा शाहूजी ने साल 1911 में अपने संस्थान में सत्य शोधक समाज की स्थापना की।
मृत्यु
बहुजन समाज के हितकारी राजा छत्रपति शाहू महाराज का 06 मई 1922 को निधन हो गया था।