अनुच्छेद 370 और मॉब लिंचिंग पर भागवत ने विदेशी मीडिया से संघ के रुख को किया साझा

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 24, 2019

नयी दिल्ली। आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को अनुच्छेद 370समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर के लोगों में रोजगार एवं जमीन खोने सहित राष्ट्रीय नागरिकता पंजी से जुड़ी चिंताओं को दूर किया जाना चाहिए। सूत्रों ने बताया कि भागवत ने विदेशी मीडियाकर्मियों से संवाद के दौरान जम्मू कश्मीर में विशेष दर्जा समाप्त करने को प्रदेश के लोगों के लिये बेहतर बताया। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू कश्मीर के लोग मुख्यधारा से अलग थलग महसूस कर रहे थे लेकिन अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने से यह बाधा दूर हो गई है जो उनके और शेष भारत के लोगों के बीच रूकावट बनी हुई थी।  सरसंघचालक मोहन भागवत ने मंगलवार को 30 देशों के पत्रकारों के साथ चर्चा की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी विचारधारा, कार्यो एवं प्रासंगिक विषयों के बारे में विचार साझा किये।

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आरएसएस ने अपने बयान में कहा, ‘‘ मोहन भागवत जी नियमित अंतराल पर समाज के विभिन्न वर्गों से भेंट कर संघ के विचार, कार्य तथा समसामायिक विषयों पर चर्चा करते हैं। इसी क्रम में दिल्ली में उपस्थित विदेशी मीडिया के पत्रकारों से भेंट की।’’ बैठक की शुरुआत में मोहन भागवत का उद्घाटन भाषण हुआ और इसके बाद उनके साथ सवाल-जवाब का सत्र हुआ। यह संवाद करीब ढाई घंटे तक चला। इसमें 30 देशों के 50 संगठनों के 80 पत्रकारों ने भाग लिया। इस संवाद सत्र के दौरान सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, सह सरकार्यवाह मनमोहन वैद्य, कृष्ण गोपाल के अलावा वरिष्ठ प्रचारक कुलभूषण आहूजा आदि मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि अनुच्छेद 370 समाप्त किये जाने को लेकर प्रदेश के लोगों में रोजगार एवं जमीन खोने की चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर सरसंघचालक ने कहा कि जो भी भय रोजगार एवं जमीन को लेकर है, उन्हें दूर किया जाना चाहिए। 

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असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी के बारे में एक सवाल के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यह लोगों के निष्कासन से जुड़ा विषय नहीं है बल्कि जो नागरिक हैं और जो नागरिक नहीं हैं, उनकी पहचान से जुड़ा विषय है। समझा जाता है कि संवाद के दौरान उन्होंने नागरिकता विधेयक का समर्थन किया। भीड़ द्वारा पीट पीट कर हत्या की घटनाओं के बारे में एक सवाल के जवाब में समझा जाता है कि भागवत ने कहा कि वह हर तरह की हिंसक घटनाओं की निंदा करते हैं और स्वयंसेवकों को ऐसी घटनाओं को रोकना चाहिए। समलैंगिकता पर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह कोई विसंगति नहीं है।