भाई-बहन के उज्ज्वल भविष्य का पर्व है भाई दूज, जानें भाई को तिलक लगाने का सही मुहूर्त

By टीम प्रभासाक्षी | Oct 26, 2022

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाईदूज का पर्व मनाया जाता है। भाईदूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है। भैया दूज का पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के माथे पर रोली और अक्षत से तिलक कर उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए कामना करती हैं। इस दिन बहनें अपने भाईओं को अपने घर भोजन के लिए बुलाती हैं। माना जाता है कि इससे भाई की उम्र बढ़ती है। इसके साथ ही भाई अपनी बहन को कुछ उपहार या दक्षिणा देते हैं। भाईदूज के दिन यमराज का पूजन किया जाता है और इस दिन यमुना में डुबकी लगाने का विशेष महत्व है। पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि इस दिन यम देव अपनी बहन यमुना के कहने पर घर पर भोजन करने गए थे।


भाई दूज पर तिलक का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषों के अनुसार भाई दूज का पर्व मनाने का शुभ मुहूर्त 26 अक्टूबर बुधवार दोपहर 2:34 बजे से शुरू होकर 27 अक्टूबर गुरुवार दोपहर 1:18 बजे से 3:30 बजे तक चलेगा।

इसे भी पढ़ें: कार्तिक मास में तुलसी और आंवले की पूजा से बढ़ती है समृद्धि

भाईदूज पर भाई को तिलक लगाने की विधि 

- इस दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और भगवान की पूजा करें।

- अब भाई का तिलक करने के लिए थाल सजा लें।

- पूजा की थाली में कुमकुम, सिंदूर, चंदन, फल, फूल, मिठाई, अक्षत और सुपारी आदि रख लें।

- भाई को तिलक करने से पहले पिसे हुए चावल के आटे या घोल से चौक बनाएं और शुभ मुहूर्त में इस चौक पर भाई को बिठाएं। इसके बाद भाई को तिलक लगाएं।

- भाई को तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उनकी आरती उतारें।

- तिलक और आरती करने के बाद भाई को मिठाई खिलाएं और अपने हाथों से बना भोजना कराएं।


भाई दूज से जुड़ी पौराणिक कथा

भगवान सूर्यदेव की पत्नी का नाम छाया है। उनकी कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती हैं। वह उनसे बराबर निवेदन करतीं कि वह उनके घर आकर भोजन करें, लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात टाल जाते थे। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया। बहन के घर जाते समय यमराज ने नरक में निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को देखते ही यमुना ने हर्ष−विभोर होकर भाई का स्वागत सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा। बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाये, उसे आपका भय न रहे। यमराज तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर यमपुरी चले गये। ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता।

प्रमुख खबरें

RCB vs CSK IPL 2024: आरसीबी ने चेन्नई सुपर किंग्स का सपना तोड़ा, बेंगलुरु ने 9वीं बार प्लेऑफ के लिए किया क्वालीफाई

Kashmir में आतंक का डबल अटैक, शोपियां में पूर्व सरपंच को गोलियों से भूना, पहलगाम में जयपुर से आए दपंत्ति को बनाया निशाना

Shah ने BJP और उसके छद्म सहयोगियों को नेशनल कॉन्फ्रेंस को हराने का निर्देश दिया: Omar

विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने में Congress अव्वल : Chief Minister Mohan Yadav