By सुखी भारती | May 01, 2025
भगवान शंकर की बारात हिमाचल की ओर बढ़ चली। संसार में ऐसी विचित्र बारात न तो इतिहास में, इससे पूर्व कभी हुई थी, और न ही शायद आज के पश्चात कभी हो। इधर हिमाचल ने भी धरा का कोई कोना ऐसा नहीं छोड़ा था, जहाँ अपनी पुत्री के विवाह का निमंत्रण न भेजा हो-
‘सैल सकल जहँ लगि जग माहीं।
लघु बिसाल नहिं बरनि सिराहीं।।
बन सागर सब नदी तलावा।
हिमगिरि सब कहुँ नेवत पठावा।।’
जगत में जितने छोटे-बड़े पर्वत थे, जिनका वर्णन करके पार नहीं मिलता तथा जितने वन, समुद्र, नदियाँ और तालाब थे, हिमाचल ने सबको नेवता भेजा। सभी बारती मार्ग में भाँति-भाँति के कोतुहल करते हुए बारात की शोभा बढ़ाते हुए चल रहे थे। बारात में कोई नाच रहा है, कोई गा रहा है, तो कोई अन्य करतब दिखा रहा है। हिमाचल ने जहाँ-जहाँ निमँत्रण भेजे हैं, वे सब विभिन्न प्रकार के रुप धारण करने वाले हैं। वे इच्छानुसार सुंदर सरीर धारण कर, सुंदर स्त्रियों व समाजों सहित हिमाचल के घर पधारे हुए हैं। सभी स्नेह सहित मंगल गीत गा रहे हैं। हिमाचल ने पहले से ही बहुत से घर सजवा रखे हैं। अपने-अपने योग्य घर जान, सब उन स्थानों पर जा पहुँचे। हिमाचल नगरी ऐसी सुंदर सजी थी, कि ब्रह्मा की रचना चातुरी भी, उसके समक्ष तुच्छ प्रतीत हो रही थी। नगर की शोभा देखकर तीनों लोकों में चर्चायों का बाजार गर्म था। हिमाचल के सौदर्य में वन, बाग, कुएँ, तालाब, नदियाँ सभी मानों परलोक की कल्पना थे। जिसका वर्णन अपनी वाणी से भला कौन कर सकता है? घर-घर बहुत से सुंदर सूचक तोरण और ध्वजा-पताकाएँ सुशोभित हो रही हैं। वहाँ के सुंदर और चतुर स्त्री-पुरुषों की छवि देखकर मुनियों के भी मन मोहित हो रहे हैं। वैसे भी जिस नगर में स्वयं जगदंबा माता ने अवतार लिया हो, क्या उसका वर्णन हो सकता है? वहाँ ऋद्धि, सिद्धि, सम्पति और सुख नित नए बढ़ते जाते हैं।
उधर जैसे ही भोले बाबा की बारात हिमाचल नगर में प्रवेश की, तो चारों और हिमाचल वासी उत्साह, प्रेम व जिज्ञासा से भर गए। सभी अपने अपने कार्यों से निर्वती लेकर, बारात के स्वागत को तत्पर होने लगे। चारों ओर चहल-पहल हो गई। जिससे बारात की शोभा और भी बढ़ गई। अगवानी करने वाले लोग बनाव-श्रंृगार करके तथा नाना प्रकार की सवारियों को सजाकर आदर सहित बारात को लेने चले-
‘नगर निकट बरात सुनि आई।
पुर खरभरु सोभा अधिकाई।।
करि बनाव सजि बाहन नाना।
चले लेन सादर अगवाना।।’
वाह! कितने भाग्यशाली होंगे वे लोग, जिनको ऐसा अवसर प्राप्त हुआ, कि वे एक ऐसी बारात के साक्षी बन रहे थे, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु व महेश तीनों एक साथ वि़द्यमान थे। हमें इस बात पर चिंतन करना होगा, कि संपूर्ण जगत इन त्रिदेवों के दर्शन करने के लिए स्वयं चलकर आता है। अपार कष्ट सहकर भी उन्हें त्रिदेवों के दर्शन प्राप्त नहीं हो पाते। किंतु हिमाचल ने ऐसा क्या कार्य सिद्ध किया, कि त्रिदेव स्वयं उनके द्वार पर आ रहे हैं। कारण स्पष्ट था, कि हिमाचल ने संतों की सेवा की, उनके बताये मार्ग पर चले। जिस कारण उनके घर में आदि शक्ति का उदय होता है। वह आदि शक्ति का प्रभाव ही ऐसा है, कि त्रिदेव तो क्या, सृष्टि का कण-कण भी उन्हें देखने व पाने के लिए उमड़ पड़ता है। केवल संतों की सेवा ही वह साधन है, जिससे मानव त्रिदेवों के पास नहीं जाता, अपितु त्रिदेव स्वयं चलकर, अपने दल-बल के साथ आपके घर तक आते हैं।
आगे हिमाचल वासी बारात का स्वागत कैसे करते हैं, जानेंगे अगले अंक में---।
क्रमशः
- सुखी भारती