अपने लोकगीतों को विश्व पटल पर ले जाने की तैयारी कर रहा है बिहार

By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Nov 23, 2022

बिहार सरकार प्रदेश के लोकगीतों यथा झिझिया, हुरका, मगही झूमर और कजरी के साथ-साथ मिथिला के समा-चकवा उत्सव का जादू फिर से बिखेरने के लिए भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) के साथ मिलकर इन्हें विश्व पटल पर ले जाने की तैयारी कर रही है। आईसीसीआर के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर करने के कुछ दिनों बाद बिहार सरकार के कला और संस्कृति विभाग ने आईसीसीआर के क्षितिज श्रृंखला कार्यक्रम (एचएसपी) के हिस्से के तौर पर प्रदर्शन के लिए प्रसिद्ध लोक नर्तकों, गायकों और कलाकारों को विदेश भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

एमओयू के अनुसार आईसीसीआर में राज्य के कलाकारों की भागीदारी से बिहार को भारत और विदेशों में अपने कला रूपों, प्रतिभा को बढ़ावा देने में सहायता करेगा। बिहार के कला, संस्कृति और युवा विभाग के अतिरिक्त सचिव दीपक आनंद ने पीटीआई-को बताया कि आईसीसीआर विदेशों में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय त्योहारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए राज्य सांस्कृतिक मंडलियों के दौरे की सुविधा भी प्रदान करेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘झिझिया, हुरका, मगही झूमर, कजरी, मिथिला के समा-चकवा उत्सव आदि का प्रदर्शन करने वाले लोक कलाकारों का चयन किया जाएगा और उन्हें एचएसपी कार्यक्रम के तहत प्रदर्शन के लिए विदेश भेजा जाएगा।’’ आनंद ने कहा कि इसके अलावा कजरी, झरनी नृत्य और सोहर खेलावाना बिदेसिया गाने के लोक कलाकारों, मंडलियों को भी प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘बिहार के पास दुनिया को दिखाने के लिए बहुत कुछ है। दुनिया के सबसे पुराने क्षेत्रों में से एक होने के नाते बिहार अपनी अद्भुत प्रोफ़ाइल बनाए रखता है। राज्य के लोक गीत और नृत्य भारत के बाहर काफी लोकप्रिय हैं।’’

उन्होंने बताया, ‘‘झिझिया एक प्रार्थना नृत्य है जिसकी उत्पत्ति बिहार के कोशी क्षेत्र में हुई और सूखे के दौरान किया जाता है। मगही झूमर नृत्य आमतौर पर युगल के रूप में प्रस्तुत किया जाता है जहां पुरूष एवं महिला नर्तक राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में पति और पत्नी की भूमिका निभाते हैं।’’ उन्होंने कहा कि मिथिला क्षेत्र का प्रसिद्ध समा-चकवा एकता का पर्व है और आमतौर पर छठ पूजा की रात से शुरू होने वाला यह उत्सव काफी लोकप्रिय है। आनंद ने कहा कि इसके अलावा बिदेसिया बिहार का एक और लोक प्रदर्शन है जो भारत के बाहर भी बहुत लोकप्रिय है।

उन्होंने कहा, ‘‘साहित्यिक, बौद्धिक और शैक्षणिक क्षेत्रों, मूर्तिकला, व्यंजन, वस्त्र, हस्तशिल्प और वास्तुकला के अन्य क्षेत्रों में नई युवा प्रतिभाओं सहित उत्कृष्ट सांस्कृतिक समूहों एवं कलाकारों की पहचान करने में आईसीसीआर की सहायता करना भी समझौता ज्ञापन का हिस्सा है।’’ आनंद ने कहा कि बिहार में राज्य पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने के लिए विदेशी छात्रों के अध्ययन शिविरों और पर्यटन की सुविधा भी समझौता ज्ञापन का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि इससे बिहार (भारत) और अन्य देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध और आपसी समझ मजबूत होगी।

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