By अंकित सिंह | Jul 06, 2020
विधानसभा चुनाव से पहले बिहार में राजनीतिक घमासान अपने चरम पर है। सत्ता पक्ष हो या फिर विपक्ष, सभी अपने रणनीति तैयार करने में जुट गए है। एक ओर महागठबंधन में तेजस्वी के नाम पर खटपट दिखाई दे रहा है तो वहीं सत्तापक्ष एनडीए में भी अब मनमुटाव खुल कर सामने आ रहे हैं। यह खटास नीतीश कुमार को लेकर है। हाल में चिराग पासवान के दिए बयानों को देखें तो ऐसा कहीं से नहीं लगता कि वह नीतीश कुमार को सीएम के चेहरे के तौर पर प्रोजेक्ट करने को लेकर बिहार में सहज हैं। 'बिहार प्रथम बिहारी प्रथम' की अपनी यात्रा के दौरान से ही लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान नीतीश कुमार पर हमलावर है। चिराग पासवान के सख्त रुख को देखते हुए राजनीतिक पंडित अब यह मान रहे है कि कहीं ना कहीं एनडीए में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। चिराग के तल्ख तेवर को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि यह सीट बंटवारे को लेकर गठबंधन के बड़े दलों पर दबाव बनाने का भी एक तरीका हो सकता है। खैर, जो भी हो पर चिराग लगातार नीतीश कुमार को लेकर हमलावर हैं।
हालांकि विशेषज्ञ भी मानते है कि एलजेपी सिर्फ और सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही है। यानी कि अपने साथी दलों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है ताकि सीट बंटवारे में उसे सम्मानजनक और मनचाहा सीट मिल सके। ऐसे में एलजेपी के रास्ते में कोई बड़ा पत्थर साबित होगा तो वह जदयू ही होगा। इसी वजह से एलजेपी अध्यक्ष नीतीश कुमार और जदयू पर हमलावर हैं। एलजेपी अध्यक्ष ने तो बिहार प्रथम और बिहारी प्रथम के दौरान भी नीतीश कुमार पर जमकर हमले किए थे और उनके विकास के दावों की पोल खोल रहे थे। इतना ही नहीं, जब प्रवासी मजदूर पैदल चल कर वापस आ रहे थे तो उस समय भी वह नीतीश कुमार पर हमले कर रहे थे। इससे पहले लोकसभा चुनाव के दौरान भी हम देख चुके हैं कि चिराग पासवान और उनकी पार्टी किस तरीके से अपने गठबंधन सहयोगियों पर दबाव बनाने की कोशिश करते है। लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश में चिराग में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली को नोटबंदी पर सवाल उठाते हुए एक पत्र तक लिख डाला था। शायद यही कोशिश फिलहाल लोजपा बिहार में नीतीश कुमार के ऊपर कर रही है।
अगर बात सीट बंटवारे को लेकर करे तो जो कयास चल रहे हैं उसके अनुसार यह माना जा रहा है कि आने वाले विधानसभा चुनाव में लोजपा को मनचाहा सीट फिलहाल तो मिलने नहीं जा रही है। जनता दल यू 115 सीटों से ज्यादा सीटों पर दावा ठोक रही है। वहीं भाजपा भी कम से कम 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ऐसे में एलजेपी के लिए सिर्फ 28 के आस-पास ही सीटें बच पाएंगी। आने वाले विधानसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी को 25 से 30 सीटें ही चुनाव लड़ने के लिए मिल सकती है। दूसरी ओर लोजपा 42 सीटों का दावा कर रही है। लोजपा के इन दावों पर ना ही जनता दल यू और ना ही भाजपा तैयार होगी। इसी को लेकर चिराग पासवान अब अपने गठबंधन सहयोगियों पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
फिलहाल यह खटपट इतना बढ़ गया है कि चिराग ने अपने पार्टी के एक नेता को इसलिए बर्खास्त कर दिया क्योंकि उसने यह दावा किया था कि एनडीए में सब कुछ ठीक चल रहा है। वही एनडीए में खटपट को लेकर कांग्रेस और तेजस्वी यादव भी लगातार अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। वे पहले ही कह चुके हैं कि अगर लोजपा भाजपा को छोड़ हमारे साथ आना चाहेगी तो उनका हम स्वागत करेंगे। अब देखना होगा कि भाजपा जो कि जदयू और लोजपा के बीच अगुआ की भूमिका में है वह कितना अहम रोल गढबंधन को एक साथ रखने में निभा पाती है। हालांकि भाजपा इस बात से लगातार इनकार कर रही है कि एनडीए में कोई भी खटपट चल रही है।