इस फॉर्मूले के तहत हरियाणा में सरकार बनाएगी भाजपा

By अंकित सिंह | Oct 25, 2019

भले ही महाराष्ट्र में भाजपा नेतृत्व वाली महायुती गठबंधन को जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता वापसी में आने का मौका दे दिया है पर हरियाणा में खंडित जनादेश के बाद सत्ता बनाने को लेकर सभी पार्टियों ने चहल कदमी शुरू कर दी है। हालांकि 40 सीटों के साथ भाजपा नंबर एक की पार्टी है। ऐसे में जाहिर सी बात है कि राज्यपाल पहले सबसे बड़ी पार्टी को ही सरकार बनाने का आमंत्रण देंगे।

 

भाजपा भी सरकार बनाने का दावा ठोक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कहकर संकेत भी दे दिया कि भाजपा ने हरियाणा में अच्छा प्रदर्शन किया है और आने वाले दिनों में भी मनोहर लाल हरियाणा में विकास करेंगे। पर अब सवाल यह उठता है कि आखिर भाजपा के इस आत्मविश्वास का कारण क्या है? कल शाम तक इस बात की चर्चा जोरों पर थी कि दुष्यंत चौटाला जिस पार्टी को समर्थन देंगे हरियाणा में सरकार उसी पार्टी की बनेगी। तो क्या दुष्यंत चौटाला ने भाजपा को समर्थन दे दिया है? जी नहीं, दुष्यंत चौटाला ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन भाजपा 46 के जादुई आंकड़े को छू सकती हैं। ऐसा माना जा रहा है कि हरियाणा में जीतने वाले 9 अन्य विधायकों में से 7 भाजपा का समर्थन कर सकते हैं। इन 7 विधायकों में से 6 ऐसे हैं जो पार्टी से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़े थे। हालांकि जिन छह विधायकों के नाम खुलकर सामने आ रहे हैं उनमें हरियाणा लोकगीत पार्टी के गोपाल कांडा, रणजीत चौटाला, राकेश दौलताबाद, नयनपाल रावत, सोमवीर सांगवान और बलराज कुंडू हैं। 

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भाजपा हरियाणा में सरकार गठन को लेकर काफी सक्रिय हो गई है। देर रात तक हरियाणा में सरकार गठन को लेकर पार्टी के आलाकमान में मंत्रणा भी चली। इसी बीच सिरसा की सांसद दो विधायकों को चार्टर प्लेन से लेकर दिल्ली पहुंच गईं। विधायक थे रंजीत सिंह और गोपाल कांडा। सिरसा के सांसद सुनीता दुग्गल ने बताया कि दोनों विधायक के बिना शर्त भाजपा को समर्थन देने की बात कह रहे हैं। इसलिए वह उन्हें आलाकमान से मिलवाने के लिए दिल्ली लेकर आई हैं। इन दो नामों के अलावा बाकी के अन्य विधायक भाजपा के संपर्क में है। अनिल जैन, मनोहर लाल खट्टर और खुद कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा इन विधायकों से बातचीत करने में लगे हुए हैं। हालांकि राजनीतिक जानकार यह बताते हैं कि इन विधायकों से भाजपा को समर्थन लेने में ज्यादा दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा क्योंकि यह ऐसे विधायक हैं जो भाजपा के विचारों से जुड़े रहे हैं, भाजपा के लिए काम करते रहे हैं, लेकिन पार्टी ने जब उन्हें टिकट नहीं दिया तो यह निर्दलीय चुनाव लड़े।

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