By प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क | Sep 19, 2017
नयी दिल्ली। बच्चों के लिये जानलेवा साबित हो रहे ऑनलाइन गेम ब्लूव्हेल पर शिकंजा कसे जाने के बाद अब इसे सोशल मीडिया पर सक्रिय ‘सीक्रेट ग्रुप्स’ के जरिये बच्चों तक पहुंचाने की कोशिशें जारी हैं। केन्द्र सरकार ने इस खतरे से अभिभावकों को आगाह करते हुये इससे बच्चों को बचाने के लिए विशेष परामर्श जारी किये है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गत सप्ताह जारी विस्तृत परामर्श में ब्लूव्हेल गेम को बच्चों को ख़ुदकुशी के लिए उकसाने वाला माना गया है।
मंत्रालय ने कहा कि इंटरनेट सर्फिंग से जुड़ी विभिन्न रिपोर्टों में सोशल मीडिया पर सक्रिय तमाम गुप्त समूहों के मार्फ़त इस गेम का प्रसार अभी भी जारी होने की सूचनायें मिल रही है। इसके मद्देनजर सरकार ने अभिभावकों से बच्चों के गुपचुप तरीके से इंटरनेट पर सक्रिय रहने और उनकी सर्फिंग संबंधी जानकारियों को हिस्ट्री से मिटाने जैसी गतिविधियों पर सतत नजर रखने का परामर्श दिया है। साइबर कानून एवं अपराध विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने सरकार की इस पहल का स्वागत करते हुये इस समस्या के लिये किये जा रहे तात्कालिक उपायों को नाकाफी बताया है।
दुग्गल ने सरकार से सोशल मीडिया पर सक्रिय सीक्रेट ग्रुप्स पर शिकंजा कसने के लिये साइबर कानून में पुलिस को कोई अधिकार नहीं दिये जाने जैसी मौजूदा कानून की खामियों को दूर करने का सुझाव दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस की साइबर अपराध शाखाओं द्वारा ऐसे समूहों को निष्क्रिय करने के गंभीर तात्कालिक उपाय करते हुये अभिभावकों के लिये जारी परामर्शों को सिर्फ सरकारी वेबसाइट पर चस्पा करने के बजाय व्यापक जागरुकता अभियान चलाना चाहिये। मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में अभिभावकों से अव्वल तो बच्चों की सोशल मीडिया में सक्रियता पर निगरानी सुनिश्चित करने को कहा है। इसके लिए अभिभावकों से घर में इंटरनेट सर्फिंग की निगरानी के लिए बाजार में उपलब्ध सॉफ्टवेयर सम्बन्धी तकनीकी उपाय अपनाने को कहा है।
मंत्रालय ने अभिभावकों से घर में कंप्यूटर और मोबाइल फोन सहित इंटरनेट से जुड़े तमाम उपकरणों को बेहतर गुणवत्ता वाले "पेरेंटिंग सॉफ्टवेयर" लगाने का सुझाव दिया है। जिससे बच्चे ब्लूव्हेल जैसे खतरनाक गेम्स की जद से दूर रहे। इस सॉफ्टवेयर की मदद से माता पिता अपने बच्चों की सोशल मीडिया पर गतिविधियों की निगरानी आसानी से रख सकते है। साथ ही इस तरह के किसी खतरे का आभास होते ही बच्चों की दिमागी उलझने दूर करने के लिए तत्त्काल किसी पेशेवर कॉउंसलर की मदद लेने का भी अभिभावको को सुझाव दिया गया है। जिससे बच्चों के दिमाग का फितूर यथाशीघ्र दूर किया जा सके। इसमें अभिभावको को इस बात की सख्त हिदायत दी गई है कि वे बच्चों से इस गेम के बारे में तभी कोई बात करें जब उन्हें लगे कि बच्चे इस गेम की जद में आ गए हैं या आ सकते हैं।
अनावश्यक रूप से जिक्र करने पर बच्चे के लिए इस गेम को जिज्ञासावश ऑनलाइन सर्च करने का खतरा होगा। मंत्रालय द्वारा पिछले महीने फेसबुक, गूगल इंडिया, व्हाट्सएप, याहू इंडिया, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया और इंस्टाग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया माध्यमों से ब्लूव्हेल एवं अन्य खतरनाक किस्म के ऑनलाइन गेम के लिंक हटाने को कहा जा चुका है। सरकार ने यह पहल पिछले कुछ दिनों में ब्लूव्हेल खेलने पर बच्चों में खुदकुशी की घटनाओं के मद्देनजर की है। इस खेल के चंगुल में बच्चों के अभी भी आने के कारण उच्चतम न्यायालय ने भी 15 सितंबर को केन्द्र सरकार से इस दिशा में उठाये गये कदमों की जानकारी तलब की।