Firozabad Ordnance Equipment Factory की सुरक्षा में लगी सेंध! जहां बन रहे हैं सुखोई-30 लड़ाकू विमान से जुड़े ब्रेक पैराशूट, उस फैक्ट्री में घुस गया विदेशी

By नीरज कुमार दुबे | Aug 25, 2025

उत्तर प्रदेश पुलिस ने फ़िरोज़ाबाद की हज़रतपुर ऑर्डनेंस इक्विपमेंट फ़ैक्ट्री में संभावित “सुरक्षा उल्लंघन और आंतरिक तोड़फोड़” की जाँच शुरू कर दी है। मामला उस समय गंभीर हो गया जब यह पता चला कि एक अमेरिकी एयरोस्पेस और डिफ़ेन्स कंपोनेंट निर्माता कंपनी का दक्षिण अफ़्रीकी कर्मचारी थॉमस फ़र्डिनेंड ऐडलम (60) बिना किसी आधिकारिक अनुमति के फैक्ट्री परिसर में प्रवेश कर गया था। हम आपको बता दें कि यह फ़ैक्ट्री न केवल भारतीय वायुसेना के सुखोई-30 विमान के लिए ब्रेक पैराशूट तकनीक पर काम कर रही है, बल्कि गगनयान अंतरिक्ष परियोजना और ड्रोन विकास जैसे संवेदनशील कार्यक्रमों में भी योगदान दे रही है। ऐसे में यह सुरक्षा उल्लंघन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गहरी चिंता का विषय है।


अंग्रेजी समाचार-पत्र द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐडलम 24 से 28 फ़रवरी तक भारत में टूरिस्ट वीज़ा पर मौजूद था। सुरक्षा अधिकारी और पूर्व नौसेना अधिकारी राघव शर्मा ने अदालत में शिकायत दर्ज कराई कि ऐडलम को दो वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत से अंदर लाया गया। इन अधिकारियों— हिम्मतलाल कुमावत (उप महाप्रबंधक, IOFS 2011 बैच) और विपिन कठियार पर आरोप है कि उन्होंने सुरक्षा नियमों को दरकिनार कर विदेशी नागरिक को फैक्ट्री में प्रवेश दिलाया।

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रिपोर्ट के मुताबिक, जब सुरक्षा अधिकारी शर्मा ने ऐडलम को अनुमति देने से इंकार किया, तो कुमावत ने उन पर दबाव बनाने की कोशिश की। 21 फ़रवरी को दोनों के बीच विवाद इतना बढ़ा कि हिम्मतलाल कुमावत ने कथित रूप से राघव शर्मा पर उनके कार्यालय में हमला कर दिया। गार्ड और अनुबंध कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा।


यह घटना उस समय हुई जब फैक्ट्री से जुड़े चार्जमैन रविंद्र कुमार को एटीएस ने 14 मार्च को गिरफ्तार किया। उस पर आरोप है कि उसने अपने मोबाइल से संवेदनशील दस्तावेज़ पाकिस्तान की खुफ़िया एजेंसी आईएसआई से जुड़े एजेंट को भेजे। जाँच में सामने आया कि हिम्मतलाल कुमावत और विपिन ने पहले भी कर्मचारियों को फ़ैक्ट्री परिसर में मोबाइल फ़ोन इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी, जबकि यह पूरी तरह प्रतिबंधित है।


रिपोर्ट के मुताबिक, फ़िरोज़ाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट नरेश कुमार दिवाकर ने 8 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा कि किसी भी विदेशी को बिना अनुमति रक्षा प्रतिष्ठान में प्रवेश दिलाना संज्ञेय अपराध है। अदालत ने तत्काल एफआईआर दर्ज कर 24 घंटे में रिपोर्ट माँगने का आदेश दिया। लेकिन टुंडला थाने को आदेश की प्रति 22 अगस्त को ही मिली, यानी क़ानूनी कार्रवाई में भी देरी हुई।


देखा जाये तो ऐडलम की अनधिकृत एंट्री और कर्मचारियों का मोबाइल प्रयोग, दोनों घटनाएँ दर्शाती हैं कि अंदरूनी स्तर पर गंभीर लापरवाहियाँ या जानबूझकर तोड़फोड़ हो रही है। चूँकि यह फ़ैक्ट्री भारतीय वायुसेना और इसरो की परियोजनाओं से जुड़ी है, इसलिए किसी भी प्रकार का डेटा लीक सीधे रणनीतिक खतरा पैदा कर सकता है। वहीं अदालत के आदेश के बाद भी पुलिस द्वारा देर से कार्रवाई इस बात का संकेत है कि सुरक्षा मामलों को लेकर संवेदनशीलता की कमी है। इसके अलावा, एक अमेरिकी डिफ़ेन्स कंपनी का कर्मचारी, दक्षिण अफ़्रीकी नागरिक, टूरिस्ट वीज़ा पर रक्षा प्रतिष्ठान में पहुँचना, यह केवल व्यक्तिगत लापरवाही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय खुफ़िया गतिविधियों से जुड़े होने की संभावना भी जगाता है।


बहरहाल, फ़िरोज़ाबाद ऑर्डनेंस फ़ैक्ट्री का यह मामला भारत की रक्षा सुरक्षा व्यवस्था में “आंतरिक खतरे” को उजागर करता है। विदेशी नागरिक का अनधिकृत प्रवेश, कर्मचारियों द्वारा मोबाइल से संवेदनशील जानकारी साझा करना और वरिष्ठ अधिकारियों का कथित सहयोग—ये सब मिलकर गहरी चिंता पैदा करते हैं। यह घटना केवल एक फ़ैक्ट्री की नहीं, बल्कि देश की रणनीतिक सुरक्षा संरचना की मज़बूती पर सवाल उठाती है। अगर समय रहते सख़्त कार्रवाई और सुधार नहीं हुए, तो भारत की रक्षा परियोजनाएँ गंभीर ख़तरे में पड़ सकती हैं।

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