Shaurya Path: India-China, Pakistan, Israel-Hamas और Russia-Ukraine से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

By अंकित सिंह | Mar 28, 2024

प्रभासाक्षी के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में हमेशा की तरह ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) मौजूद रहे। इस दौरान हमने रूस-यूक्रेन युद्ध, रूस पर हुए हमले और अमेरिका के रूख पर हमने उनसे सवाल किया। साथ ही साथ हमने यह भी जानना चाहा कि हमास और इजरायल युद्ध किस स्थिति में है और युद्ध विराम पर बात क्यों नहीं बन पा रही है? हमने अपने कार्यक्रम में पाकिस्तान की स्थिति पर भी बात की कि आखिर वहां इतने हमले क्यों हो रहे हैं? चीन अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है। फिलिपींस के साथ उसका विवाद बढ़ रहा है। भारत फिलिपींस के साथ खड़ा है। ऐसे में चीन को मिर्ची लगी है। इस पर भी हमने डीएस त्रिपाठी से सवाल पूछा है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने सभी विषयों पर विस्तार से बताया। 

 

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सवाल- रूस और यूक्रेन जंग की वर्तमान स्थिति, रूस पर हमले का जिम्मेदार कौन? कैसे आया ISIS का नाम? अमेरिका के रुख पर विवाद क्यों?

जवाब- रूस यूक्रेन युद्ध को लेकर ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि शांति लाना मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। शांति से ही समाधान निकलेगा। भारत के तरफ से कोशिश भी हुई है। लेकिन जिस तरीके से रूस में अटैक हुआ है, उसके बाद से मामला बिगड़ा हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि 22 तारीख को जो रूस में हमला हुआ जिसमें 140 लोगों के आसपास मारे गए हैं, वह बहुत बड़ा हमला है। कहीं ना कहीं इसमें रूस का इंटेलिजेंस फैलियर दिखा है। साथ ही साथ रूस का जवाब भी देरी से आया है। हालांकि रूस ने पूरे मामले के लिए यूक्रेन को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन अमेरिका बचाव करते हुए कहा कि इसके लिए आईएसआईएस जवाबदेह है। ऐसे में सवाल यह है कि आखिर अमेरिका को कैसे पता चला? अमेरिका ने रूस में अपने नागरिकों को पहले से ही सावधान कर रखा था। इससे भी सवाल उठता है कि अमेरिका को क्या यह पहले से पता था? उन्होंने कहा कि नागरिकों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई स्वीकार नहीं है। यह पूरी तरीके से प्लान के तहत धमाका किया गया था। आतंकवादियों को पीछे से किसी का समर्थन जरुर होगा। रूस अपनी ओर से इसकी जांच कर रहा है। त्रिपाठी ने बताया कि 2014 के बाद रूस में अब तक का सबसे बड़ा हमला है। ऐसे में रूस इस हमले का बदला जरूर लेगा। रूस ने अपनी ओर से कार्रवाई भी शुरू कर दिया है। यूक्रेन पर जबरदस्त वार जारी है। यूक्रेन का पहले से ही बुरा हाल है। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने यह भी कहा कि हमले के बाद रूस के लोगों में एक डर आया है जो की बीच में खत्म हो चुका था। 


सवाल- किस स्थिति में है हमास और इजरायल युद्ध, आखिर क्यों नहीं बन पा रही युद्ध विराम पर बात?

जवाब- ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि शांति वार्ता जारी थी। एक समय लगा भी था कि बातचीत से समाधान निकाला जा रहा है। लेकिन बात बढ़ नहीं पाई। इसके कई कारण हो सकते हैं। इजराइल अपनी जीत पर अड़ा हुआ है। वह लगातार कार्रवाई कर रहा है। राफा में भी इजराइल का एक्शन जारी है। गाजा में भी अटैक चल रहा है। हमास कहीं से कमजोर नहीं दिखाई दे रहा है। उसकी ओर से भी अटैक की जा रही है। हिजबुल्लाह भी एक्शन में है। ऐसे में शांति की गुंजाइश बेहद कम दिखती है। उन्होंने कहा कि हमास के लिए यह अहम युद्ध है। साथ ही साथ ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि अमेरिका और इजराइल के बीच मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं। अमेरिका में बहुत ज्यादा लोगों का मानना है कि इजरायल की ओर से अटैक को रोका जाना चाहिए। अमेरिका इसकी कोशिश भी कर रहा है। हालांकि, इजराइल यह करने को तैयार नहीं है। अमेरिका के समर्थन से एक प्रस्ताव यूएन में आया था जिसमें कहा गया था कि रमजान में युद्ध विराम होना चाहिए। इजराइल को लगा कि कहीं ना कहीं अमेरिका हमास का समर्थन कर रहा है। इसलिए यह मतभेद बढ़ गया है। उन्होंने कहा कि इजराइल अपना लक्ष्य हासिल किए बिना रुकना नहीं चाहता है। उसे भी पता है कि हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं। अगर इजराइल यहां रुकते हैं तो फिर से हमास को विस्तार में मदद मिल सकती है। पर सवाल अभी भी है अगर इजराइल नहीं रुकता है तो हमास भी नहीं रुकेगा और ऐसे में युद्ध जारी रहेगा। 


सवाल- क्या अपने ही जाल में फंसता जा रहा पाकिस्तान, पहले नौसैनिक हवाई स्टेशन पर हमला, फिर आत्मघाती बम हमले में पांच चीनी नागरिकों की मौत। क्या है पाकिस्तान की स्थिति?

जवाब- पाकिस्तान के संदर्भ में ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि उसके लिए यह नया नहीं है। जैसा पाकिस्तान ने बोया है, वैसा उसे काटना पड़ रहा है। पाकिस्तान में आतंकवाद की खेती होती है। 50 से 55 ऐसे आतंकवादी संगठन है जिसको पूरा विश्व जानता है। ऐसे पाकिस्तान में इस तरह के हमले होते हैं तो कहीं ना कहीं उसी के भीतर के आतंकवादी संगठन इसके जिम्मेदार होंगे। उन्होंने कहा कि चीन के नागरिकों पर जिस तरीके से हमला किया गया, उससे वह काफी खफा है। चीन पाकिस्तान को चेतावनी भी दे रहा है। हालांकि चीन ने हमेशा पाकिस्तान का समर्थन किया है। ऐसे में उसका समर्थन उसी पर भारी पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में जितने भी आतंकवादी हैं, इनको बचाने के लिए चीन ने समय-समय पर कदम उठाए हैं। ऐसे में अगर अब चीन को ही नुकसान हो रहा है तो इसमें हैरानी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस एक्शन के बाद अगर चीन अपनी फौज को पाकिस्तान में भेजता है तो कहीं ना कहीं पाकिस्तान के लिए चिंता की बात होगी। चीन अपने विस्तारवादी नीति को बढ़ाने की कोशिश कर सकता है। पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान और भारत के लिए भी इसे चिंता बढ़ेगी। 

 

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सवाल- चीन और फिलिपींस के बीच हाल ही में साउथ चीन सी मे कोस्ट गार्ड के बीच में कुछ झड़प हुई है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर जो अभी मनीला में थे उन्होंने फिलिपींस का समर्थन किया है और शांति बनाने में साथ देने की पेशकश की है। इसे आप कैसे देखते हैं?

जवाब- इस सवाल पर ब्रिगेडियर डीएस त्रिपाठी ने कहा कि दक्षिण चीन सागर हमेशा से विवादों में रहा है। चीन की वजह से वहां विवाद और भी ज्यादा बढ़ गया है। 23 मार्च को चीन और फिलिपींस के बीच झड़प भी हुई है। वहां एक थॉमस सोल है, इस पर चीन और फिलिपींस दोनों अपना-अपना दावा करते हैं। ऐसे में दोनों के जहाज आमने-सामने हो गए थे, इसके बाद यह झड़प हुई है। हालांकि, फिलिपींस चीन पर उसके संप्रभुता को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा रहा है। उन्होंने कहा कि नाटो और अमेरिका भी फिलिपींस के साथ खड़े हैं। ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने कहा कि भारत हमेशा शांति के रास्ते पर चलना चाहता है। यही कारण है कि एस जयशंकर ने कहा कि यूएन का समुद्र को लेकर जो कानून है उसका पालन किया जाना चाहिए। इस मामले में फिलिपींस को भारत का समर्थन हासिल है। भारत भी चीन से सबक लेते हुए लाल सागर, हिंद महासागर और इंडो पेसिफिक क्षेत्र में भी अपने नव सैनिकों की तैनाती को मजबूत कर रहा है। लेकिन चीन को मिर्ची लग रही है। चीन द्वारा इस प्रेशर पॉलिटिक्स कहा जा रहा है। चीन कह रहा है कि फिलिपींस के साथ उसका विवाद है। वह दोनों इस विवाद को सुलझा लेंगे। किसी तीसरे पक्ष को आने की जरूरत नहीं है। भारत इस तरीके का बयान देकर प्रेशर बढ़ने की कोशिश कर रहा है जिससे की सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। हालांकि त्रिपाठी ने कहा कि अब ऐसा लग रहा है कि चीन भारत के बयानों को गंभीरता से लेने लगा है। इससे भारत की बढ़ती ताकत का भी पता चलता है। 

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