World Water Day 2023: भारत की प्राचीन जल संस्कृति को सब मिलकर जीवंत करें

By ललित गर्ग | Mar 22, 2023

जल प्रदूषण एवं पीने के स्वच्छ जल की निरन्तर घटती मात्रा को लेकर बड़े खतरे खड़े हैं। धरती पर जीवन के लिये जल सबसे जरूरी वस्तु है, जल है तो जीवन है। जल ही किसी भी प्रकार के जीवन और उसके अस्तित्व को संभव बनाता है। जीव मंडल में पारिस्थितिकी संतुलन को यह बनाये रखता है। पीने, नहाने, ऊर्जा उत्पादन, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, उत्पादन प्रक्रिया आदि बहुत उद्देश्यों को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। जिन पाँच तत्वों को जीवन का आधार माना गया है, उनमें से एक तत्व जल है। जल के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। मानव एवं जीव-जन्तुओं के अलावा जल कृषि के सभी रूपों और अधिकांश औद्योगिक उत्पादन प्रक्रियाओं के लिये भी बेहद आवश्यक है। परंतु आज पूरी दुनिया जल-संकट के साए में खड़ी है। अनियोजित औद्योगीकरण, बढ़ता प्रदूषण, घटते रेगिस्तान एवं ग्लेशियर, नदियों के जलस्तर में गिरावट, पर्यावरण विनाश, प्रकृति के शोषण और इनके दुरुपयोग के प्रति असंवेदनशीलता पूरे विश्व को एक बड़े जल संकट की ओर ले जा रही है। इन सभी समस्याओं से दुनिया को अवगत कराने एवं सबको जागरूक करने के लिए 1993 से प्रतिवर्ष 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना है साथ ही जल संरक्षण के महत्व पर भी ध्यान केंद्रित करना है। आप सोच सकते हैं कि एक मनुष्य अपने जीवन काल में कितने पानी का उपयोग करता है, किंतु क्या वह इतने पानी को बचाने का प्रयास करता है?


दुनिया की आबादी आठ अरब से अधिक हो चुकी है। इसमें से लगभग आधे लोगों को साल में कम से कम एक महीने पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ता है। जलवायु परिवर्तन के कारण 2000 से बाढ़ की घटनाओं में 134 प्रतिशत वृद्धि हुई है और सूखे की अवधि में 29 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पानी के संरक्षण और समुचित उपलब्धता को सुनिश्चित कर हम पर्यावरण को भी बेहतर कर सकते हैं तथा जलवायु परिवर्तन की समस्या का भी समाधान निकाल सकते हैं। पैकेट और बोतल बन्द पानी आज विकास के प्रतीकचिह्न बनते जा रहे हैं और अपने संसाधनों के प्रति हमारी लापरवाही अपनी मूलभूत आवश्यकता को बाजारवाद के हवाले कर देने की राह आसान कर रही है। विशेषज्ञों ने जल को उन प्रमुख संसाधनों में शामिल किया है, जिन्हें भविष्य में प्रबंधित करना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य होगा। सदियों से निर्मल जल का स्त्रोत बनी रहीं नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं, जल संचयन तंत्र बिगड़ रहा है, और भू-जल स्तर लगातार घट रहा है।

इसे भी पढ़ें: World Water Day: दिल्ली से मुक्ति मांग रही ब्रज की यमुना

धरती पर सुरक्षित और पीने के पानी के बहुत कम प्रतिशत के आंकलन के द्वारा जल संरक्षण या जल बचाओ अभियान हम सभी के लिये बहुत जरूरी हो चुका है। औद्योगिक कचरे की वजह से रोजाना पानी के बड़े स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। जल को बचाने में अधिक कार्यक्षमता लाने के लिये सभी औद्योगिक बिल्डिंगें, अपार्टमेंट्स, स्कूल, अस्पतालों आदि में बिल्डरों के द्वारा उचित जल प्रबंधन व्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिये। पीने के पानी या साधारण पानी की कमी के द्वारा होने वाली संभावित समस्या के बारे में आम लोगों को जानने के लिये जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाना चाहिये। जल की बर्बादी के बारे में लोगों के व्यवहार को मिटाने के लिये इसकी त्वरित जरूरत है।


इसी सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय में जल सम्मेलन आयोजित हो रहा है, जिसमें सभी के लिए जल और स्वच्छता उपलब्ध कराने की दिशा में महत्वपूर्ण चर्चा होगी। पानी धरती पर जीवन के अस्तित्व के लिए आधारभूत आवश्यकता है। आबादी में वृद्धि के साथ पानी की खपत बेतहाशा बढ़ी है, लेकिन पृथ्वी पर साफ पानी की मात्रा कम हो रही है। जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान ने इस समस्या को गंभीर संकट बना दिया है। इस सम्मेलन में सरकार, उद्योग जगत और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों के लिए लक्ष्य तो निर्धारित किये ही जायेगे, साथ ही आम लोगों को पानी बचाने के मुहिम से जोड़ने के लिए भी कारगर कार्ययोजना बनाने पर विचार होगा। दुनिया के कई हिस्सों की तरह भारत भी जल संकट का सामना कर रहा है। वैश्विक जनसंख्या का 18 प्रतिशत हिस्सा भारत मंे ंनिवास करता है, लेकिन चार प्रतिशत जल संसाधन ही हमें उपलब्ध है।


भारत में जल-संकट की समस्या से निपटने के लिये प्राचीन समय से जो प्रयत्न किये गये है, वे दुनिया के लिये मार्गदर्शक हैं। देश के सात राज्यों के 8220 ग्राम पंचायतों में भूजल प्रबंधनों के लिए अटल भूजल योजना चल रही है। स्थानीय समुदायों के नेतृत्व में चलने वाला यह दुनिया का सबसे बड़ा कार्यक्रम है। साथ ही, नल से जल, नदियों की सफाई, अतिक्रमण हटाने जैसे प्रयास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हो रहे हैं। जल संरक्षण की दिशा में ब़ड़ी पहल करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने इस वर्ष जनवरी में राज्यों के जल मंत्रियों का सम्मेलन आयोजित किया था। अब यह सम्मेलन हर साल आयोजित किया जाएगा। इसके उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उचित ही रेखांकित किया कि सभी राज्यों को मिलकर काम करना होगा तथा जल संरक्षण एवं उपयोग किये गये पानी को फिर से इस्तेमान में लाने के उपाय करने होंगे। हमारे यहां जल बचाने के मुख्य साधन है नदी, ताल एवं कूप। इन्हें अपनाओं, रक्षा करो, अभय दो, इन्हें मरुस्थल के हवाले न करो। अन्तिम समय यही तुम्हारे जीवन और जीवनी को बचायेंगे। ख्यात पर्यावरणविद अनुपम मिश्र तो ‘अब भी खरे है तालाब’ कहते कहते स्वर्गस्थ हो गये। आज आवश्यकता इस बात की है कि विश्व जल दिवस की मूल भावना को अपने दैनिक जीवन में उतारकर हर व्यक्ति, हर दिन जल संरक्षण का यथासंभव प्रयास करे।


गाँव के स्तर पर लोगों के द्वारा बरसात के पानी को इकट्ठा करने की शुरुआत करनी चाहिये। उचित रख-रखाव के साथ छोटे या बड़े तालाबों को बनाने के द्वारा बरसात के पानी को बचाया जा सकता है। धरती के क्षेत्रफल का लगभग 70 प्रतिशत भाग जल से भरा हुआ है। परंतु, पीने योग्य जल मात्र तीन प्रतिशत है। इसमें से भी मात्र एक प्रतिशत मीठे जल का ही वास्तव में हम उपयोग कर पाते हैं। पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। जल का संकट एवं विकट स्थितियां अति प्राचीन समय से बनी हुई है। इसी कारण राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश आदि प्रांतों में जल संरक्षण के लिये नाड़ी, तालाब, जोहड़, बन्धा, सागर, समंद एवं सरोवर आदि बनाने की प्राचीन परम्परा रही है। राजा-महाराजाओं तथा सेठ-साहूकारों ने अपने पूर्वजों की स्मृति में अपने नाम को चिरस्थायी बनाने के उद्देश्य से इन प्रदेशांे के विभिन्न भागों में कलात्मक बावड़ियों, कुओं, तालाबों, झालरों एवं कुंडों का निर्माण करवाया। जहाँ प्रकृति एवं संस्कृति परस्पर एक दूसरे से समायोजित रही हैं। राजस्थान के किले तो वैसे ही प्रसिद्ध हैं पर इनका जल प्रबन्धन विशेष रूप से देखने योग्य है और अनुकरणीय भी हैं। जल संचयन की परम्परा वहाँ के सामाजिक ढाँचे से जुड़ी हुई हैं तथा जल के प्रति धार्मिक दृष्टिकोण के कारण ही प्राकृतिक जलस्रोतों को पूजा जाता है। 


- ललित गर्ग

लेखक, पत्रकार, स्तंभकार

प्रमुख खबरें

भाजपा ने आयोग से निकम को ‘बदनाम’ करने के लिए वडेट्टीवार के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया

Southern Lebanon में इजराइली हमले में चार नागरिकों की मौत: मीडिया

Puri Assembly Seat के कांग्रेस उम्मीदवार पर हमला, घायल

Delhi में अधिकतम तापमान 41.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया