भाई बहन के त्योहार रक्षाबंधन पर युवा कवियत्री प्राची थापन के यह कविता आपके समक्ष प्रस्तुत है।
रिश्ते की डोर इसका ना कोई अंत है और ना ही कोई छोर
बंधन है ये एक प्यार का और प्यारी सी उस तकरार का
नोक झोक और लड़ाई, छेड़ा छाड़ी और थोड़ी सी कुटाई
इस बंधन का जो है मोल इस दुनिया में है सबसे अनमोल
राखी का वो रेशमी धागा, रक्षा का है बहन को वो वादा
रंग इसके भर देवें खुशियां भाई बहन कि प्यारी सी वो दुनिया
डोर के दो सिरों का वो जोड़, दोनों के बंधन का है अटूट तोड़
छिपना-छिपाना, भाई बहनों का एक दूसरे को खूब सताना
ये बंधन है एक प्यार का और मीठी-मीठी सी तकरार का
एक बात भूल ना जाना बंधन उन जवानों के संग भी निभाना
सरहद पर है देश के खातिर ताकि आवे ना कोई दुश्मन भीतर
बहन का उस भाई के लिए इंतजार, पर पूरा देश है उसका परिवार
सूनी ना छोड़ो उनकी भी कलाई, जिसने बस रक्षा की शपथ निभाई
कर दे नाम शगुन का कुछ भाग उनके भी नाम, जो हंसते-हंसते हो गए हैं कुर्बान
अंत में एक छोटी सी इल्तज़ा कर्नाटक और केरल का भी कर दो भला।।
प्राची थापन